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उर्वरक संकट : भरतपुर में DAP के लिए तरसे किसान..खाद दुकानों पर भीड़, आधा भी नहीं मिल रहा उर्वरक - DAP Fertilizer Shortage

भरतपुर जिले में किसान बीते साल सरसों में अच्छा मुनाफा पाकर इस बार सरसों की उपज की ओर रूझान करना चाह रहे थे. लेकिन डीएपी उर्वरक की भारी कमी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. उर्वरक की दुकानों पर भीड़ देखी जा रही है. पर्याप्त उर्वरक नहीं मिलने से किसान परेशान हैं.

भरतपुर में DAP के लिए तरसे किसान
भरतपुर में DAP के लिए तरसे किसान
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Published : Oct 9, 2021, 6:50 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 7:01 PM IST

भरतपुर. इस वर्ष देर तक हुई मानसूनी बारिश के कारण सरसों की बुवाई में देर हो चुकी है. उस पर दोहरी मार यह कि रबी की फसल की बुवाई के लिए किसानों को डीएपी उर्वरक भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. भरतपुर जिले के किसान बीते करीब 15 दिन से उर्वरक के लिए दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन पर्याप्त उर्वरक नहीं मिल रहा है. इस वजह से किसान समय पर सरसों की बुवाई नहीं कर पा रहा है.

30 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की जरूरत

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भरतपुर जिले में इस वर्ष करीब 3.65 लाख हेक्टेयर भूमि में रबी फसल की बुवाई होनी है. इसके लिए औसतन करीब 30 हजार मैट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है. बीते 3 महीने की बात करें तो जिले में जरूरत से काफी कम उर्वरक किसानों को उपलब्ध हो पाया है. जिले के किसानों को अगस्त में 4000 मीट्रिक टन, सितंबर में 6500 मीट्रिक टन उर्वरक बेची गई थी. जबकि अक्टूबर माह में अब तक सिर्फ 2500 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है.

खाद संकट से जूझ रहे किसान

10 दिन से चक्कर काट रहे किसान

माढोनी गांव के किसान विश्राम और मोती लाल ने बताया कि वे बीते दस दिन से रोज भरतपुर शहर आ रहे हैं. वे सुबह 7 बजे दुकान के सामने लाइन में लगते हैं और उर्वरक नहीं मिलने पर शाम को खाली हाथ वापस लौट जाते हैं. शनिवार को हालात ये हो गए कि शहर के चांदपोल क्षेत्र में दुकान के सामने किसानों की भीड़ बढ़ गई और रोड जाम हो गया.

पढ़ें- देश में 'उर्वरक संकट' : चीन से रिश्ते बिगड़ने का असर, DAP उर्वरक की 80 फीसदी तक शॉर्टेज के आसार..बड़े खाद संकट की आहट

सरसों की फसल का अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार किसानों में सरसों की बुवाई अधिक करने का रुझान है. लेकिन समय पर उर्वरक नहीं मिल पाया तो उन्हें मजबूरन गेहूं की फसल की तरफ मुड़ना पड़ेगा. जिले में रबी की फसल के लिए किसानों को 30,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है. बीते तीन माह में सिर्फ 13 हजार मीट्रिक टन उर्वरक ही उपलब्ध हो सका है. इस वर्ष जिले में करीब 2.30 लाख हेक्टेयर में सरसों बुवाई का लक्ष्य है. करीब 1.15 लाख हेक्टेयर में गेंहू बुवाई होगी. इस तरह कुल 3.65 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई होगी. लेकिन उर्वरक की कमी ने किसानों की उम्मीदों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं.

भरतपुर में DAP के लिए तरसे किसान
खाद की दुकानों पर भीड़ का नजारा

एसएसपी भी उपयोगी

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि इस बार भले ही डीएपी की उपलब्धता कम है. लेकिन किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है. देशराज सिंह ने बताया कि एसएसपी एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें कि 16% फास्फोरस और 11% सल्फर की मात्रा पाई जाती है. इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है.

इतना ही नहीं एसएसपी उर्वरक डीएपी की तुलना में सस्ता है और बाजार में आसानी से उपलब्ध है. प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फास्फोरस और 9 किलो नाइट्रोजन पाई जाती है. यदि डीएपी के विकल्प के रूप में तीन बैग एसएसपी और एक बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन एवं फास्फोरस प्राप्त किया जा सकता है.

भरतपुर. इस वर्ष देर तक हुई मानसूनी बारिश के कारण सरसों की बुवाई में देर हो चुकी है. उस पर दोहरी मार यह कि रबी की फसल की बुवाई के लिए किसानों को डीएपी उर्वरक भी उपलब्ध नहीं हो रहा है. भरतपुर जिले के किसान बीते करीब 15 दिन से उर्वरक के लिए दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन पर्याप्त उर्वरक नहीं मिल रहा है. इस वजह से किसान समय पर सरसों की बुवाई नहीं कर पा रहा है.

30 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की जरूरत

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भरतपुर जिले में इस वर्ष करीब 3.65 लाख हेक्टेयर भूमि में रबी फसल की बुवाई होनी है. इसके लिए औसतन करीब 30 हजार मैट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है. बीते 3 महीने की बात करें तो जिले में जरूरत से काफी कम उर्वरक किसानों को उपलब्ध हो पाया है. जिले के किसानों को अगस्त में 4000 मीट्रिक टन, सितंबर में 6500 मीट्रिक टन उर्वरक बेची गई थी. जबकि अक्टूबर माह में अब तक सिर्फ 2500 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है.

खाद संकट से जूझ रहे किसान

10 दिन से चक्कर काट रहे किसान

माढोनी गांव के किसान विश्राम और मोती लाल ने बताया कि वे बीते दस दिन से रोज भरतपुर शहर आ रहे हैं. वे सुबह 7 बजे दुकान के सामने लाइन में लगते हैं और उर्वरक नहीं मिलने पर शाम को खाली हाथ वापस लौट जाते हैं. शनिवार को हालात ये हो गए कि शहर के चांदपोल क्षेत्र में दुकान के सामने किसानों की भीड़ बढ़ गई और रोड जाम हो गया.

पढ़ें- देश में 'उर्वरक संकट' : चीन से रिश्ते बिगड़ने का असर, DAP उर्वरक की 80 फीसदी तक शॉर्टेज के आसार..बड़े खाद संकट की आहट

सरसों की फसल का अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार किसानों में सरसों की बुवाई अधिक करने का रुझान है. लेकिन समय पर उर्वरक नहीं मिल पाया तो उन्हें मजबूरन गेहूं की फसल की तरफ मुड़ना पड़ेगा. जिले में रबी की फसल के लिए किसानों को 30,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है. बीते तीन माह में सिर्फ 13 हजार मीट्रिक टन उर्वरक ही उपलब्ध हो सका है. इस वर्ष जिले में करीब 2.30 लाख हेक्टेयर में सरसों बुवाई का लक्ष्य है. करीब 1.15 लाख हेक्टेयर में गेंहू बुवाई होगी. इस तरह कुल 3.65 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई होगी. लेकिन उर्वरक की कमी ने किसानों की उम्मीदों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं.

भरतपुर में DAP के लिए तरसे किसान
खाद की दुकानों पर भीड़ का नजारा

एसएसपी भी उपयोगी

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि इस बार भले ही डीएपी की उपलब्धता कम है. लेकिन किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है. देशराज सिंह ने बताया कि एसएसपी एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें कि 16% फास्फोरस और 11% सल्फर की मात्रा पाई जाती है. इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है.

इतना ही नहीं एसएसपी उर्वरक डीएपी की तुलना में सस्ता है और बाजार में आसानी से उपलब्ध है. प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फास्फोरस और 9 किलो नाइट्रोजन पाई जाती है. यदि डीएपी के विकल्प के रूप में तीन बैग एसएसपी और एक बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन एवं फास्फोरस प्राप्त किया जा सकता है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 7:01 PM IST
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