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भरतपुर: RBM अस्पताल की हालत दयनीय, परिजनों को खुद खींचना पड़ रहा स्ट्रेचर

भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल की हालात दयनीय होती चली जा रही है. यहां चार दिन बीत जाने के बाद भी आरबीएम अस्पताल में मरीजों की हालत जस की तस बनी हुई है. मरीजों के परिजन खुद ही स्ट्रेचर खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं.

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आरबीएम अस्पताल में मरीजों की हालत दयनीय
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Published : Sep 4, 2020, 6:37 PM IST

भरतपुर. जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी. तब जिले से तीन विधायकों को सरकार में मंत्री बनाया गया था, जिसमें डॉ. सुभाष गर्ग को चिकित्सा राज्य मंत्री का पदभार दिया गया. लोगों के मन में एक उम्मीद की किरण उठी थी कि अब चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ बेहतर होगा. लेकिन यहां के लोगों को ये नहीं पता था कि भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग को चिकित्सा राज्य मंत्री बनाने के बाद भी उनको संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में स्ट्रेचर खींचने पड़ेंगे. इसके अलावा अस्पताल के न तो सिक्योरिटी गार्ड मिलेंगे और न ही ट्रॉली पुलर.

आरबीएम अस्पताल में मरीजों की हालत दयनीय

शुक्रवार को चार दिन बीत जाने के बाद भी संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल में मरीजों के परिजन खुद अपने परिजनों को स्ट्रेचर पर डालकर ट्रॉली खींचने को मजबूर हैं. अगर मरीजों को ट्रॉली नहीं मिलती तो वह कंधे पर अपने मरीज को रखकर वार्ड में ले जाते हैं और अगर मरीज थोड़ा चल पा रहा है तो वह जमीन से घसीटते हुए डॉक्टर्स के पास पहुंच जाता है.

यह भी पढ़ेंः भरतपुर: गार्ड और ट्रॉली पुलर हटने से आरबीएम अस्पताल में फैली अव्यवस्था

संभाग के सबसे अस्पताल की ऐसी हालत होने के बावजूद भी जिम्मेदारों की आंखे बंद हैं. इन दिनों अस्पताल के मेन गेट पर एक भी सिक्योरिटी गॉर्ड नहीं हैं. एडमिट कार्ड वाली खिड़की पर मरीजों का जमावड़ा लगा रहता है. पहले सिक्योरिटी गॉर्ड होते थे तो वे हालातों को संभाले रखते थे. लेकिन सिक्योरिटी गॉर्ड न होने की वजह से जमकर कोरोना की गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. डॉक्टर्स को खुद ही मरीजों को संभालना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः भरतपुर के RBM जिला अस्पताल में अब कैंसर मरीजों की हो सकेगी कीमोथेरेपी

वहीं इस बारे में जिला कलेक्टर नथमल डिडेल से बात की तो उनका कहना है कि जिला अस्पताल में ट्रॉली पुलर और सिक्योरिटी गॉर्ड को लेकर पिछले तीन दिनों से विवाद चल रहा है. इसको लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की तो उनका कहना है कि कुछ ट्रॉली पुलर और सिक्योरिटी गॉर्ड ऐसे हैं, जिनका नाम तो चल रहा है. लेकिन वे ड्यूटी पर नहीं आ रहे. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और पीएमओ के साथ एक बैठक है, जिसके बाद से जिला अस्पताल में पहले जैसी व्यवस्था की जाएगी.

भरतपुर. जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी. तब जिले से तीन विधायकों को सरकार में मंत्री बनाया गया था, जिसमें डॉ. सुभाष गर्ग को चिकित्सा राज्य मंत्री का पदभार दिया गया. लोगों के मन में एक उम्मीद की किरण उठी थी कि अब चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ बेहतर होगा. लेकिन यहां के लोगों को ये नहीं पता था कि भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग को चिकित्सा राज्य मंत्री बनाने के बाद भी उनको संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में स्ट्रेचर खींचने पड़ेंगे. इसके अलावा अस्पताल के न तो सिक्योरिटी गार्ड मिलेंगे और न ही ट्रॉली पुलर.

आरबीएम अस्पताल में मरीजों की हालत दयनीय

शुक्रवार को चार दिन बीत जाने के बाद भी संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल में मरीजों के परिजन खुद अपने परिजनों को स्ट्रेचर पर डालकर ट्रॉली खींचने को मजबूर हैं. अगर मरीजों को ट्रॉली नहीं मिलती तो वह कंधे पर अपने मरीज को रखकर वार्ड में ले जाते हैं और अगर मरीज थोड़ा चल पा रहा है तो वह जमीन से घसीटते हुए डॉक्टर्स के पास पहुंच जाता है.

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संभाग के सबसे अस्पताल की ऐसी हालत होने के बावजूद भी जिम्मेदारों की आंखे बंद हैं. इन दिनों अस्पताल के मेन गेट पर एक भी सिक्योरिटी गॉर्ड नहीं हैं. एडमिट कार्ड वाली खिड़की पर मरीजों का जमावड़ा लगा रहता है. पहले सिक्योरिटी गॉर्ड होते थे तो वे हालातों को संभाले रखते थे. लेकिन सिक्योरिटी गॉर्ड न होने की वजह से जमकर कोरोना की गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. डॉक्टर्स को खुद ही मरीजों को संभालना पड़ रहा है.

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वहीं इस बारे में जिला कलेक्टर नथमल डिडेल से बात की तो उनका कहना है कि जिला अस्पताल में ट्रॉली पुलर और सिक्योरिटी गॉर्ड को लेकर पिछले तीन दिनों से विवाद चल रहा है. इसको लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से बात की तो उनका कहना है कि कुछ ट्रॉली पुलर और सिक्योरिटी गॉर्ड ऐसे हैं, जिनका नाम तो चल रहा है. लेकिन वे ड्यूटी पर नहीं आ रहे. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और पीएमओ के साथ एक बैठक है, जिसके बाद से जिला अस्पताल में पहले जैसी व्यवस्था की जाएगी.

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