भरतपुर. विश्व विरासत केवलादेव नेशनल पार्क इस बार भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है. मानसूनी सीजन गुजरने वाला है और अभी तक उद्यान को जरूरत का सिर्फ 20% पानी ही मिल पाया है. अब आगे उद्यान को और पानी मिलने की संभावना भी ना के बराबर रह गई है. ऐसे में इस बार के पर्यटन सीजन में जहां उद्यान में कम प्रवासी पक्षी पहुंचने की आशंका सिर उठाने लगी (migratory birds in Keoladeo National Park) है. वहीं यहां आने वाले पर्यटकों को पक्षियों की कमी के चलते मायूसी हाथ लग सकती है.
550 में से सिर्फ 105 एमसीएफटी पानी: उद्यान के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि इस बार कम बरसात के चलते उद्यान को जरूरत का पूरा पानी नहीं मिल पाया है. पूरा मानसूनी सीजन निकलने के बाद भी घना को अभी तक सिर्फ 105 एमसीएफटी पानी ही मिल पाया है, जिसमें 12 एमसीएफटी चंबल से और करीब 93 एमसीएफटी गोवर्धन ड्रेन से मिला है. जबकि उद्यान को एक पर्यटन सीजन में 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है.
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कम पहुंचेंगे प्रवासी पक्षी: उद्यान में जरूरत के अनुरूप पानी नहीं मिलने की वजह से देशी-विदेशी पक्षियों के कम पहुंचने की आशंका है. पानी की कमी के चलते यहां पक्षियों को पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाएगा. ऐसे में आशंका है कि इस बार प्रवासी पक्षी यहां के बजाय किसी अन्य स्थान की ओर पलायन कर सकते हैं.
कुछ पक्षियों ने ही की नेस्टिंग: उद्यान 28.73 वर्ग किलोमीटर में क्षेत्र में फैला है, जिसे करीब 21 ब्लॉक में विभाजित किया गया है. लेकिन इस बार इनमें से सिर्फ बी और डी ब्लॉक में ही पानी भरा जा सका है. इन्हीं दो ब्लॉक में पेंटेड स्टार्क, ओपन बिल्ड स्टार्क और आईबिस पक्षियों ने नेस्टिंग की है. हालांकि अन्य प्रजातियों के भी कुछ पक्षियों ने यहां आना शुरू कर दिया है, लेकिन देखना ये है कि पानी की कमी के चलते ये पक्षी यहां कितने समय तक ठहराव कर सकेंगे.
गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए गोवर्धन ड्रेन, चंबल परियोजना और करौली जिले के पांचना बांध से 550 एमसीएफटी पानी उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन इस बार बरसात कम होने के चलते उद्यान को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है. यहां अमूमन हर साल करीब 350 प्रजाति के प्रवासी पक्षी डेरा डालते हैं, लेकिन इस बार पक्षियों की प्रजाति और संख्या में गिरावट आने की आशंका है, जिसका सीधा असर यहां के पर्यटन व्यवसाय पर भी पड़ेगा.