ETV Bharat / city

दीपावली विशेष : इस बार 'कमल' के साथ करें पूजा, मां लक्ष्मी की होगी विशेष कृपा

दीपावली का त्योहार नजदीक है, जिसे लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन दीपावली पर होने वाली विशेष लक्ष्मी पूजा अपने आप में ही खास है. ऐसे में अगर आप विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे तो आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाएंगी.

author img

By

Published : Oct 23, 2019, 11:31 AM IST

Updated : Oct 23, 2019, 12:00 PM IST

Diwali, दीपावली, Lakshmi Pujan with lotus flower, कमल के फूल से लक्ष्मी पूजन, भरतपुर न्यूज,

भरतपुर. यूं तो धनतेरस के दिन से ही दीपावली का त्योहार शुरू हो जाता है लेकिन अमावस्या तिथि में दीपावली के दिन महालक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है. इस बार पूरे विधि विधान के साथ कमल पुष्प चढ़ाकर यदि प्रदोष काल में महालक्ष्मी का पूजन किया जाए तो घर में बरकत आएगी.

दीपावली पर कमल के फूल से लक्ष्मी पूजन करें

लक्ष्मी पूजन का समय...

शहर के पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि इस बार रविवार 27 अक्टूबर को चतुर्दशी है लेकिन दोपहर 12:34 बजे से अमावस्या तिथि लग जाएगी. ऐसे में महालक्ष्मी के पूजन से पूर्व नए वस्त्र धारण कर सबसे पहले अपने पितरों का पूजन करें. उसके पश्चात लक्ष्मी पूजन से पूर्व सुबह 11:59 से दोपहर 12:44 तक अभिजीत बेला रहेगी.

  • दोपहर 1:45 बजे से दोपहर 3:09 बजे तक अमृत वाला बेला रहेगी.
  • शाम 5:56 बजे से रात 8:30 बजे तक प्रदोष काल.
  • शाम 7:03 बजे से देर रात तक स्थिर लग्न.
  • मध्य रात्रि 1:31 बजे से कल सुबह 3:46 बजे तक सिंह लग्न वाले पूजा बेला रहेगी.

लक्ष्मी पूजन की विधि...

पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि सर्वप्रथम लक्ष्मी और गणेश जी को एक धवल या लाल रंग के वस्त्र पर विराजमान कर दीपक प्रज्वलित करें. उसके बाद स्वयं व भगवान पर जल से छींटे देकर पवित्रीकरण करें. महालक्ष्मी और गणेश जी का रोली चावल गंध आदि से पूजन कर नवधान्य यानी खील, बतासे शिव भोग लगाएं. उसके बाद फल आदि चढ़ाएं.

कमल पुष्प का महत्तव...

महालक्ष्मी को विशेष रूप से कमल पुष्प अर्पित करें. लक्ष्मी जी को सफेद मिठाई व कमल पुष्प अति प्रिय है. यही वजह है कि लक्ष्मी जी सदैव कमल पर विराजमान रहती हैं. इसके बाद महालक्ष्मी जी की आरती कर घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें.

पूजन सामग्री का महत्व...

  • जल - सर्वप्रथम पूजन स्थल पर भगवान पर जल छिड़क कर शुद्धिकरण किया जाता है. जल पवित्रता का प्रतीक है.
  • रोली - रोली पर सूर्य ग्रह का प्रभाव होता है. इसका लाल रंग तेज का प्रतीक है. इसलिए भगवान पर रोली अर्पित करने के बाद इसे मस्तक पर लगाया जाता है ताकि हमारे मस्तक पर भी सूरज जैसा तेज आ जाए.
  • अक्षत - अक्षत यानी साबुत चावल यह चंद्रमा के प्रतीक होते हैं जो मन को शांति व शीतलता प्रदान करने वाला होता है.
  • कमल पुष्प - महालक्ष्मी को कमल पुष्प अति प्रिय है. जैसे कमल की पंखुड़ियां चाहो और बिखर जाती हैं उसी प्रकार हमारे घर में लक्ष्मी और समृद्धि की आभा जहां और बिखर जाए इसी भावना के साथ महालक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित किया जाता है.
  • नैवेद्य - बताशे हमारी संस्कृति के सबसे शुद्ध मिठाई माने जाते हैं. इसी प्रकार खील हमारा नवधान्य है जो सबसे पहले भगवान को चढ़ाना चाहिए.
  • तांबूल - पान के पत्ते पर सुपारी, लोंग और इलाइची लगाकर महालक्ष्मी को चढ़ाने चाहिए ताकि भोग के बाद भगवान की मुख्य शुद्धि ही हो सके.

इन मंत्रों का करें जाप...

लक्ष्मी पूजन के बाद श्री सुख, महालक्ष्मी स्त्रोत व लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें. साथ ही देर रात को गोपाल सहस्रनाम और विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करना चाहिए इससे घर में बरकत आती है.
अमावस्या को आने वाले त्यौहार दीपावली पर पूरे विधि विधान के साथ महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. जिससे हमारे जीवन भर और परिवार में सुख व समृद्धि आ सके.

भरतपुर. यूं तो धनतेरस के दिन से ही दीपावली का त्योहार शुरू हो जाता है लेकिन अमावस्या तिथि में दीपावली के दिन महालक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है. इस बार पूरे विधि विधान के साथ कमल पुष्प चढ़ाकर यदि प्रदोष काल में महालक्ष्मी का पूजन किया जाए तो घर में बरकत आएगी.

दीपावली पर कमल के फूल से लक्ष्मी पूजन करें

लक्ष्मी पूजन का समय...

शहर के पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि इस बार रविवार 27 अक्टूबर को चतुर्दशी है लेकिन दोपहर 12:34 बजे से अमावस्या तिथि लग जाएगी. ऐसे में महालक्ष्मी के पूजन से पूर्व नए वस्त्र धारण कर सबसे पहले अपने पितरों का पूजन करें. उसके पश्चात लक्ष्मी पूजन से पूर्व सुबह 11:59 से दोपहर 12:44 तक अभिजीत बेला रहेगी.

  • दोपहर 1:45 बजे से दोपहर 3:09 बजे तक अमृत वाला बेला रहेगी.
  • शाम 5:56 बजे से रात 8:30 बजे तक प्रदोष काल.
  • शाम 7:03 बजे से देर रात तक स्थिर लग्न.
  • मध्य रात्रि 1:31 बजे से कल सुबह 3:46 बजे तक सिंह लग्न वाले पूजा बेला रहेगी.

लक्ष्मी पूजन की विधि...

पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि सर्वप्रथम लक्ष्मी और गणेश जी को एक धवल या लाल रंग के वस्त्र पर विराजमान कर दीपक प्रज्वलित करें. उसके बाद स्वयं व भगवान पर जल से छींटे देकर पवित्रीकरण करें. महालक्ष्मी और गणेश जी का रोली चावल गंध आदि से पूजन कर नवधान्य यानी खील, बतासे शिव भोग लगाएं. उसके बाद फल आदि चढ़ाएं.

कमल पुष्प का महत्तव...

महालक्ष्मी को विशेष रूप से कमल पुष्प अर्पित करें. लक्ष्मी जी को सफेद मिठाई व कमल पुष्प अति प्रिय है. यही वजह है कि लक्ष्मी जी सदैव कमल पर विराजमान रहती हैं. इसके बाद महालक्ष्मी जी की आरती कर घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें.

पूजन सामग्री का महत्व...

  • जल - सर्वप्रथम पूजन स्थल पर भगवान पर जल छिड़क कर शुद्धिकरण किया जाता है. जल पवित्रता का प्रतीक है.
  • रोली - रोली पर सूर्य ग्रह का प्रभाव होता है. इसका लाल रंग तेज का प्रतीक है. इसलिए भगवान पर रोली अर्पित करने के बाद इसे मस्तक पर लगाया जाता है ताकि हमारे मस्तक पर भी सूरज जैसा तेज आ जाए.
  • अक्षत - अक्षत यानी साबुत चावल यह चंद्रमा के प्रतीक होते हैं जो मन को शांति व शीतलता प्रदान करने वाला होता है.
  • कमल पुष्प - महालक्ष्मी को कमल पुष्प अति प्रिय है. जैसे कमल की पंखुड़ियां चाहो और बिखर जाती हैं उसी प्रकार हमारे घर में लक्ष्मी और समृद्धि की आभा जहां और बिखर जाए इसी भावना के साथ महालक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित किया जाता है.
  • नैवेद्य - बताशे हमारी संस्कृति के सबसे शुद्ध मिठाई माने जाते हैं. इसी प्रकार खील हमारा नवधान्य है जो सबसे पहले भगवान को चढ़ाना चाहिए.
  • तांबूल - पान के पत्ते पर सुपारी, लोंग और इलाइची लगाकर महालक्ष्मी को चढ़ाने चाहिए ताकि भोग के बाद भगवान की मुख्य शुद्धि ही हो सके.

इन मंत्रों का करें जाप...

लक्ष्मी पूजन के बाद श्री सुख, महालक्ष्मी स्त्रोत व लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें. साथ ही देर रात को गोपाल सहस्रनाम और विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करना चाहिए इससे घर में बरकत आती है.
अमावस्या को आने वाले त्यौहार दीपावली पर पूरे विधि विधान के साथ महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. जिससे हमारे जीवन भर और परिवार में सुख व समृद्धि आ सके.

Intro:भरतपुर. यूं तो धनतेरस के दिन से ही दीपावली का त्यौहार शुरू हो जाता है लेकिन अमावस्या तिथि में दीपावली के दिन महालक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है। इस बार पूरे विधि विधान के साथ कमल पुष्प चढ़ाकर यदि प्रदोष काल में महालक्ष्मी का पूजन किया जाए तो घर में बरकत आएगी।Body:लक्ष्मी पूजन का समय
शहर के पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि इस बार रविवार 27 अक्टूबर को चतुर्दशी है लेकिन दोपहर 12:34 बजे से अमावस्या तिथि लग जाएगी। ऐसे में महालक्ष्मी के पूजन से पूर्व नए वस्त्र धारण कर सबसे पहले अपने पितरों का पूजन करें। उसके पश्चात लक्ष्मी पूजन से पूर्व सुबह 11:59 से दोपहर 12:44 तक अभिजीत बेला रहेगी।

दोपहर 1:45 बजे से दोपहर 3:09 बजे तक अमृत वाला बेला रहेगी।

शाम 5:56 बजे से रात 8:30 बजे तक प्रदोष काल।

शाम 7:03 बजे से देर रात तक स्थिर लग्न।

मध्य रात्रि 1:31 बजे से कल सुबह 3:46 बजे तक सिंह लग्न वाले पूजा बेला रहेगी।

लक्ष्मी पूजन की विधि
पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि सर्वप्रथम लक्ष्मी और गणेश जी को एक धवल या लाल रंग के वस्त्र पर विराजमान कर दीपक प्रज्वलित करें। उसके बाद स्वयं व भगवान पर जल से छींटे देकर पवित्रीकरण करें। महालक्ष्मी और गणेश जी का रोली चावल गंध आदि से पूजन कर नवधान्य यानी खील,बतासे शिव भोग लगाएं। उसके बाद फल आदि चढ़ाकर महालक्ष्मी को विशेष रूप से कमल पुष्प अर्पित करें। लक्ष्मी जी को सफेद मिठाई वाह कमल पुष्प अति प्रिय है। यही वजह है कि लक्ष्मी जी सदैव कमल पर विराजमान रहती हैं। इसके बाद महालक्ष्मी जी की आरती करें घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करना चाहिए।

पूजन सामग्री का महत्व
जल - सर्वप्रथम पूजन स्थल पर भगवान पर जल छिड़ककर शुद्धिकरण किया जाता है। जल पवित्रता का प्रतीक है।

रोली - रोली पर सूर्य ग्रह का प्रभाव होता है। इसका लाल रंग तेज का प्रतीक है। इसलिए भगवान पर रोली अर्पित करने के बाद इसे मस्तक पर लगाया जाता है ताकि हमारे मस्तक पर भी सूरज ऐसा तेज आ जाए।

अक्षत - अक्षत यानी साबुत चावल यह चंद्रमा के प्रतीक होते हैं जोकि मन को शांति व शीतलता प्रदान करने वाला होता है।

कमल पुष्प - महालक्ष्मी को कमल पुष्प अति प्रिय है। जैसे कमल की पंखुड़ियां चाहो और बिखर जाती हैं उसी प्रकार हमारे घर में लक्ष्मी व समृद्धि की आभा जहां और बिखर जाए इसी भावना के साथ महालक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित किया जाता है।

नैवेद्य - बताशे हमारी संस्कृति के सबसे शुद्ध मिठाई माने जाते हैं। इसी प्रकार खील हमारा नवधान्य है जो कि सबसे पहले भगवान को चढ़ाना चाहिए।

तांबूल - पान के पत्ते पर सुपारी लोंग इलाइची लगाकर महालक्ष्मी को चढ़ाने चाहिए ताकि भोग के बाद भगवान की मुख्य शुद्धि ही हो सके।

इन मंत्रों का करें जाप
लक्ष्मी पूजन के बाद श्री सुख, महालक्ष्मी स्त्रोत व लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही देर रात को गोपाल सहस्रनाम व विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करना चाहिए इससे घर में बरकत आती है।Conclusion:अमावस्या को आने वाले त्यौहार दीपावली पर पूरे विधि विधान के साथ महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिए जिससे हमारे जीवन भर और परिवार में सुख व समृद्धि आ सके।

बाइट - पंडित मनु मुद्गल

वीडियो - खिल व बतासे

वीडियो - कमल पुष्प
Last Updated : Oct 23, 2019, 12:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.