भरतपुर. राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर प्रवासी राजस्थानियों को लाने के लिए भेजी गई 500 बसें बीते 2 दिन से अनुमति के इंतजार में खड़ी हैं. उत्तर प्रदेश सरकार कागजों के अभाव का आरोप लगाते हुए इन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दे रही है. जबकि वहीं बुधवार को बॉर्डर से एक दूसरी तस्वीर भी सामने आई. उत्तर प्रदेश की तरफ से एक व्यक्ति बैसाखी के सहारे धीरे-धीरे चलता हुआ ऊंचा नगला बॉर्डर पर पहुंचा. यह व्यक्ति दोनों पैरों से दिव्यांग है.
भरतपुर निवासी भीम सिंह नामक इस व्यक्ति ने बताया कि वह कानपुर से भरतपुर की तरफ पैदल ही आ रहा है. लेकिन किरावली से कोई वाहन नहीं मिलने की वजह से बैसाखी के सहारे पैदल चलकर बड़ी मुश्किल से ऊंचा नगला बॉर्डर पहुंचा है. यहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों और कांग्रेस के पदाधिकारियों ने भीम सिंह को कुर्सी पर बैठाया और पानी पिलाया. भीम सिंह ने बताया कि उसके परिवार में कोई नहीं है. ऐसे में वह कानपुर चला गया. लेकिन जैसे ही कोरोना महामारी का यह दौर शुरू हुआ तो उसने फिर से भरतपुर आने की सोची. कानपुर से जैसे-तैसे करके किसी ना किसी वाहन में बैठकर वह किरावली तक तो पहुंच गया.
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लेकिन, किरावली से भरतपुर तक पहुंचने के लिए उसे कोई साधन नहीं मिला. ऐसे में वह बैसाखी के सहारे ही पैदल चलकर बॉर्डर तक पहुंचा. ऊंचा नगला बॉर्डर पर भीम सिंह की स्वास्थ्य जांच की गई तो उसका टेंपरेचर ज्यादा मिला. ऐसे में उसकी स्वास्थ्य जांच और सैंपलिंग के लिए प्रशासन ने एंबुलेंस मंगा कर उसे अस्पताल भेज दिया. वहीं कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी ट्वीट कर अपने कार्यालय से भीम सिंह को ले जाने के लिए गाड़ी भेजने के लिए कहा लेकिन, तब तक प्रशासन ने उसे एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचा दिया.
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गौरतलब है कि कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश में फंसे प्रवासी राजस्थानियों को लाने के लिए 500 बसें मंगलवार सुबह से ऊंचा नगला बॉर्डर पर भेजी गई है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इन बसों को उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह बसें बीते 2 दिन से बॉर्डर पर ही रुकी हुई हैं. यदि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इन को प्रवेश की अनुमति मिल गई होती, तो भीम सिंह जैसे हजारों गरीब और असहाय लोगों को वापस घर तक पहुंचने का साधन मिल गया होता.