भरतपुर. राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों और व्याख्याताओं ने प्लास्टिक वेस्ट से ईंट का निर्माण किया है. यह ईंट जहां सामान्य ईंट से करीब चार गुना ज्यादा मजबूत है.. वहीं इससे निर्मित मकान में सीलन की समस्या भी नहीं रहेगी. महाविद्यालय के सिविल ब्रांच के विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई इन ईंटों की जब मजबूती टेस्ट किया गया, तो यह सामान्य से करीब 4 गुना ज्यादा मजबूत पाई गई. इस शोध कार्य के तहत अब तक करीब 50 ईंट तैयार की जा चुकी है.
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सिविल ब्रांच के 6 विद्यार्थियों ने अक्टूबर 2018 में असिस्टेंट प्रोफेसर अंकित कुमार और अमित दहिया के निर्देशन में वेस्ट प्लास्टिक से ईंट तैयार करने का प्रोजेक्ट शुरू किया. इसके तहत सबसे पहले वेस्ट प्लास्टिक ( प्लास्टिक की बोतल ) को इकट्ठा किया गया.
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ऐसे होता है ईंट का निर्माण
असि. प्रो. अंकित ने बताया कि सबसे पहले वेस्ट प्लास्टिक को धोकर साफ किया गया और उसके बाद उसे छोटे-छोटे टुकड़े किए गए. ईंट तैयार करने के लिए वेस्ट प्लास्टिक के टुकड़ों के साथ मिट्टी और लकड़ी का बुरादा भी बराबर मात्रा में मिलाया गया. एक निर्धारित आकार के सांचे में उस मिश्रण को भरकर लैब के ओवन में डाला गया. ओवन का तापमान करीब 700 डिग्री सेल्सियस तक रखा गया. जिसमें प्लास्टिक मिट्टी और लकड़ी का बुरादा पूरी तरह से मेल्ट होकर मिल गया. उसके बाद ओवन से निकलकर उसे करीब 3 से 4 घंटे तक ठंडा होने के लिए रख गया. ठंडा होने के बाद उसे सांचों से निकाल कर अलग किया गया और ईंट तैयार हो गई.
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सामान्य 8 से 4 गुना ज्यादा मजबूत
असि. प्रो. अंकित ने बताया कि वेस्ट प्लास्टिक से तैयार ईंट सामान्य से करीब 4 गुना ज्यादा मजबूत है और उससे अधिक भार सहन करने की क्षमता भी है. इसके लिए लैब की कंप्रेसिंग टेस्टिंग मशीन में इसकी मजबूती की जांच की गई. इसमें सामने आया कि वेस्ट प्लास्टिक से तैयार ईंट की भार सहने की क्षमता 370 किलो न्यूटन है, जबकि सामान्य ईंट की यह क्षमता 100 से 110 किलो न्यूटन होती है. अंकित ने बताया कि ऐसे में इस ईंट से यदि कोई निर्माण कार्य किया जाए तो वह सामान्य की तुलना में काफी मजबूत होगा.
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पानी, सर्दी और गर्मीरोधी
अंकित ने बताया कि कई बार बरसात के दिनों में घरों की दीवारों में सीलन की समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन ये ईंट वेस्ट प्लास्टिक से निर्मित होने की वजह से इसमें यह समस्या नहीं रहेगी. साथ ही सर्दी के दिनों में घर के अंदर का तापमान बाहर की तुलना में अधिक और गर्मी में काम रहेगा.
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सबको पता है कि वेस्ट प्लास्टिक पर्यावरण के साथ ही मानव और जीव जंतुओं के लिए भी खतरा बना हुआ है. ऐसे में जगह-जगह पड़े रहने वाले वेस्ट प्लास्टिक का यदि ईंट निर्माण में उपयोग किया जाता है, तो उस से पर्यावरण को खतरा भी कम होगा और उसका सही इस्तेमाल भी हो सकेगा.