भरतपुर. पक्षियों के संसार से रूबरू कराने और लोगों को जागरूक करने के लिए 7 से 9 अक्टूबर तक भरतपुर बर्डिंग वीक (Bharatpur birding week) आयोजित किया जाएगा. वीक के तहत 8 अक्टूबर को न केवल भरतपुर और पूरा देश बल्कि 180 से अधिक देशों के वाइल्ड लाइफर पक्षियों की प्रजातियों की गणना करेंगे. इतना ही नहीं गत वर्ष आयोजित हुए बर्डिंग वीक के आंकड़ों में यह भी खुलासा हुआ है कि पूरे भारत में पक्षियों की कुल प्रजातियों की 50 फीसदी से अधिक भरतपुर क्षेत्र में नजर आईं हैं. इससे साबित होता है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और भरतपुर क्षेत्र को यूंही पक्षियों का स्वर्ग नहीं कहा जाता बल्कि यह हकीकत में पक्षियों की पसंदीदा जगह है.
एक दिन में 180 से अधिक देश करेंगे गणना
भरतपुर बर्डिंग वीक के आयोजक विष्णु सिंह ने बताया कि गत वर्ष आयोजन के दौरान 130 देशों के वाइल्ड लाइफर ने बर्ड वाचिंग (wild lifer in Bharatpur birding week) की थी. इस बार यह संख्या 180 से अधिक देशों तक पहुंच गई है. उम्मीद है कि कल वीक के शुरू होने तक 200 देश इस आयोजन से जुड़ जाएंगे. 8 अक्टूबर को भरतपुर समेत दुनिया के 180 से अधिक देशों की टीमें (180 countries team in Bharatpur birding week) सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक पक्षियों की प्रजातियों की गड़ना करेंगी.
देश की 50% अधिक पक्षियों की प्रजाति भरतपुर में
विष्णु सिंह ने बताया कि पिछले साल बर्डिंग वीक के दौरान 130 देशों की टीमों ने गणना की थी. भारत में पक्षियों की करीब 700 प्रजातियों की पहचान की गई थी जिसमें से 370 प्रजाति यानी करीब 53% पक्षी अकेले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और भरतपुर क्षेत्र में ही देखे गए थे.
पढ़ें. राजस्थान: मानसून का संदेश लेकर घना पहुंचे 'मानसून दूत', ओपन बिल स्टॉर्क ने शुरू की नेस्टिंग
गत वर्ष बना था वर्ल्ड रिकॉर्ड
विष्णु सिंह ने बताया कि पिछले साल बर्डिंग वीक के दौरान एक दिन में 32,670 वाइल्ड लाइफर ने बर्ड वॉचिंग की और पक्षियों की 7,269 प्रजाति की पहचान की. तीन दिन में 7,670 प्रजाति के पक्षियों की गड़ना की गई जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था.
पढ़ें. IIT हैदराबाद इंटरप्रिटेशन सेंटर को बनाएगा हाईटेक, वर्चुअली होगा घना घूमने का अहसास
जल संकट का समाधान जरूरी
विष्णु सिंह ने बताया कि भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की दुनिया भर में विशेष पहचान है, लेकिन बीते करीब 20 साल से यह उद्यान जलसंकट से जूझ रहा है. जब से करौली के पांचना बांध का पानी मिलना बंद हुआ है तब से यहां पानी की समस्या बरकरार है. हालांकि सरकार और प्रशासन चंबल और गोवर्धन ड्रेन से पानी उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं, लेकिन चंबल योजना से कभी भी तय 62 एमसीएफटी पूरा पानी नहीं मिल पाता. जबकि गोवर्धन ड्रेन से मिलने वाला पानी प्रदूषित भी रहता है. ऐसे में घना को बचाना है तो पांचना का पानी मिलना जरूरी है. इसको लेकर राज्य सरकार और प्रशासन को गंभीरता से प्रयास करने होंगे.
युवाओं को जोड़ने का प्रयास
विष्णु सिंह ने बताया कि इस बार 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक भरतपुर बर्डिंग वीक के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को वाइल्ड लाइफ से जोड़ने का प्रयास रहेगा. तीन दिन के आयोजन के दौरान कई पक्षी विशेषज्ञ भरतपुर के युवाओं, रिक्शा चालक, नेचर गाइड से रूबरू होंगे. उन्हें पक्षियों की प्रजाति, वेट लैंड, ग्रासलैंड, हैबिटाट के बारे में जानकारी देंगे.