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चोरी कहीं से भी जायज नहीं है...लेकिन, साहब क्या करें...बेटा दिव्यांग था इसलिए साइकिल चुरानी पड़ीः मजदूर का पत्र - साइकिल चुराकर साइकिल मालिक को लिखा पत्र

'मैं एक मजबूर मजदूर हूं, मेरा बच्चा विकलांग है, वो चल नहीं सकता, मुझे यूपी के बरेली तक जाना है. मैं आपका कसूरवार हूं. हो सके तो मुझे क्षमा कर देना. ये शब्द उस मजबूर और बेबस मजदूर के हैं, जिसने अपने विकलांग बेटे के लिए एक साइकिल चोरी की और साइकिल मालिक से बकायदा पत्र लिखकर अपनी बेबसी बयां करते हुए माफी मांगी.

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साइकिल चुराने के बाद पत्र लिख मांगी माफी
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Published : May 16, 2020, 5:53 PM IST

भरतपुर. जिले में लॉकडाउन के चलते पलायन करने वाले एक मजदूर की ओर से साइकिल चोरी करने का मामला सामने आया है. दरअसल, बरेली निवासी एक मजदूर भरतपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के लिए पैदल ही पलायन कर रहा था. उसने एक गांव से साइकिल चोरी कर ली. लेकिन चोरी करते समय साइकिल मालिक के लिए एक पत्र भी छोड़कर गया.

पैदल ही पलायन करने वाले मजदूर ने चुराई साइकिल

इस घटना के बाद जब परिजनों को यह पत्र मिला, जिसमें मजदूर की ओर से क्षमा मांगा गया था और उसमें लिखा था कि 'मैं मजबूर मजदूर है और मेरा बच्चा विकलांग है, जो चल नहीं सकता. इसलिए मैं आपकी साइकिल ले जा रहा है. हो सके तो मुझे माफ कर दें. क्योंकि, मेरे पास कोई साधन नहीं है. साथ ही पत्र में लिखा है कि मेरा बेटा विकलांग है, उसी के लिए मुझे ऐसा करना पड़ रहा है, मुझे बरेली तक जाना है.

पढ़ें- अपना घर आश्रम: 140 लावारिसों को मुद्दत के बाद मिला परिजनों का पता, लॉकडाउन से अटकी घर वापसी की उम्मीद

इसके बाद साइकिल मालिक साहब सिंह ने साइकिल चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने के लिए भी सोचा. लेकिन पत्र पढ़ने के बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराने का निर्णय लिया. साहब सिंह के बड़े भाई प्रभु दयाल ने बताया कि उनकी साइकिल को कोई चोरी कर ले गया और हमें लगता है कि यह हरकत किसी गांव वाले की है, जिसने साइकिल चोरी की है.

भरतपुर. जिले में लॉकडाउन के चलते पलायन करने वाले एक मजदूर की ओर से साइकिल चोरी करने का मामला सामने आया है. दरअसल, बरेली निवासी एक मजदूर भरतपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के लिए पैदल ही पलायन कर रहा था. उसने एक गांव से साइकिल चोरी कर ली. लेकिन चोरी करते समय साइकिल मालिक के लिए एक पत्र भी छोड़कर गया.

पैदल ही पलायन करने वाले मजदूर ने चुराई साइकिल

इस घटना के बाद जब परिजनों को यह पत्र मिला, जिसमें मजदूर की ओर से क्षमा मांगा गया था और उसमें लिखा था कि 'मैं मजबूर मजदूर है और मेरा बच्चा विकलांग है, जो चल नहीं सकता. इसलिए मैं आपकी साइकिल ले जा रहा है. हो सके तो मुझे माफ कर दें. क्योंकि, मेरे पास कोई साधन नहीं है. साथ ही पत्र में लिखा है कि मेरा बेटा विकलांग है, उसी के लिए मुझे ऐसा करना पड़ रहा है, मुझे बरेली तक जाना है.

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इसके बाद साइकिल मालिक साहब सिंह ने साइकिल चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने के लिए भी सोचा. लेकिन पत्र पढ़ने के बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराने का निर्णय लिया. साहब सिंह के बड़े भाई प्रभु दयाल ने बताया कि उनकी साइकिल को कोई चोरी कर ले गया और हमें लगता है कि यह हरकत किसी गांव वाले की है, जिसने साइकिल चोरी की है.

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