भरतपुर. जिले के सैकड़ों किसानों ने परंपरागत खेती के साथ ही प्रगतिशील रास्ता अपनाते हुए कुक्कुट पालन व्यवसाय को अपनाया. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. जिले में मुर्गी पालन के करीब 900 फार्म हाउस संचालित हैं, लेकिन लॉकडउन के दौरान करीब ढाई महीने तक यह फार्म हाउस पूरी तरह से बंद पड़े रहे. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो जिले में बीते करीब ढाई महीने में 20 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. कुछ लोग लॉकडाउन में आंशिक ढील होने के बाद इस व्यवसाय की तरफ लौटने लगे हैं लेकिन किसानों का कहना है कि वह भी काफी महंगा साबित हो रहा है.
भरतपुर जिले की बयाना तहसील के बरखेड़ा गांव के जंगल में मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़े किसान हीरा सिंह ने बताया कि वो बीते करीब 4 साल से यह व्यवसाय कर रहे हैं. लेकिन बीते ढाई महीने में जिस तरह से नुकसान हुआ है ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ. उन्होंने कहा, लॉकडाउन के दौरान सबसे बड़ी समस्या चूजे (मुर्गी के बच्चे) और दाना मिलने की थी. ऐसे में ढाई महीने के दौरान करीब 2 लाख रुपए का घाटा हुआ है यही वजह से अभी हालात ऐसे हैं कि मुर्गी फार्म हाउस पूरी तरह से बंद रहे.
- भरतपुर जिले के 900 मुर्गी फार्मों पर लटका ताला
- हर फार्म की क्षमता औसतन 1 हजार चूजे की है
- मुर्गी पालन का एक टर्न करीब 40 दिन का होता है
- जिले में 40 दिन के एक टर्न में करीब 10 करोड़ का व्यवसाय
पटरी पर लौटना पड़ रहा महंगा:
भरतपुर जिले के बांसी गांव के जंगल में मुर्गी फार्म हाउस संचालित करने वाले किसान गोपाल का कहना है बीते 6 महीने से ही इस व्यवसाय से जुड़ा हूं. कोरोना बीमारी के चलते लागू किये गए लॉकडाउन में करीब ढाई महीने तक चूजे नहीं मिलने से व्यवसाय ठप हो गया. उन्होंने कहा कि अब 1 सप्ताह पहले ही फिर से बाजार से चूजे खरीद कर लाया हूं, लेकिन वह भी 3 गुना अधिक कीमत में मिले हैं.
गोपाल कहते हैं कि पहले एक चूजा 13 रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाता था, लेकिन अब वही एक चूजे की कीमत 40 रुपए पड़ रही है. चूजा महंगा होने की वजह से फार्म हाउस में 2 हजार की जगह सिर्फ 1 हजार चूजे ही लाया हूं.
कुक्कुट व्यवसाय को 20 करोड़ का नुकसान:
किसान हीरा सिंह कहते हैं कि पूरे जिले में मुर्गी पालन के करीब 900 फार्म हाउस हैं. औसतन हर फार्म हाउस की क्षमता 1 हजार चूजे की है. ऐसे में 40 दिन में एक फार्म हाउस की आमदनी करीब 1 लाख रुपए आसानी से होती है. हीरा सिंह ने कहा कि बीते ढाई महीने में अगर लॉकडाउन नहीं होता तो हर किसान दो बार मुर्गी तैयार करके बाजार में सप्लाई कर देता. ऐसे में जिले के कुक्कुट पालन व्यवसाय को करीब 18 से 20 करोड़ का घाटा नहीं उठाना पड़ता.
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कोरोना वायरस और लॉडाउन से हर व्यवसाय प्रभावित हुआ है ऐसे में कुक्कुट व्यसाय भी अछूता नहीं रहा. हालांकि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के से पहले ही मुर्गी पालन से जुड़े किसानों की हालत खस्ता थी. अपनी लागत के हिसाब से मूल्य नहीं मिलने से किसान परेशान थे कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं. लेकिन अब लॉकडाउन के बात कुक्कुट पालने करने वाले किसानों के सामने और चुनौती खड़ी हो गई है.