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अलवरः सरिस्का के लिए ग्रहण बन रहे जंगल में बसे हुए गांव

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Published : Dec 3, 2019, 1:17 PM IST

सरिस्का के कोर क्षेत्र में दिनों-दिन मानव का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सरिस्का के बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. वहीं प्रशासन की तरफ से विस्थापित परिवारों को दो पैकेज भी दिए जा रहे हैं. एक पैकेज में विस्थापित परिवार को 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है, जबकि दूसरे पैकेज में 6 लाख रुपए का है, लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण जाने को तैयार नहीं है.

सरिस्का के लिए ग्रहण बन रहे जंगल में बसे हुए गांव, Villages inhabited by forest for eclipse Sariska
सरिस्का के लिए ग्रहण बन रहे जंगल में बसे हुए गांव

अलवर. सरिस्का के कोर क्षेत्र में बसे हुए गांव सरिस्का के लिए ग्रहण बन चुका हैं. इन गांव के चलते सरिस्का के वन क्षेत्र में मानव दक्ष दिनों-दिन बढ़ रहा है. ऐसे में सरिस्का के बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. सरकार और वन विभाग को अब कोई सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

सरिस्का के लिए ग्रहण बन रहे जंगल में बसे हुए गांव

सरिस्का के 1300 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में 29 गांव बसे हुए हैं. इनमें से 3 गांव सरिस्का प्रशासन की तरफ से विस्थापित किए जा चुके हैं. अब बचे हुए 26 गांव में से 3 को विस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं प्रशासन की तरफ से विस्थापित परिवारों को दो पैकेज भी दिए जा रहे हैं.

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एक पैकेज में विस्थापित परिवार को 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है, जबकि दूसरे पैकेज में 6 लाख रुपए, एक प्लॉट ढाई लाख रुपए और जिस क्षेत्र में प्लॉट दिया जाएगा. उस क्षेत्र को वन विभाग की तरफ से डेवलप करके दिया जाएगा. इन सभी गांव में बड़ी संख्या में परिवार रहते हैं. इन परिवारों के चलते सरिस्का के कोर क्षेत्र में लगातार लोगों के आवाजाही बनी रहती है.

ऐसे में सरिस्का में खुलेआम वन्यजीवों का शिकार होता है और आए दिन बाघ के मौत के मामले सामने आते रहते हैं. साल 2005 में सिरका बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद भी लगातार सरिस्का में आए दिन बाघ की मौत के मामले सामने आते हैं. अभी डेढ़ साल की बात करें तो सरिस्का में तीन बाघों की मौत हो चुकी है, तो वहीं 2 साल पहले भी तीन बाघों की मौत के मामले सामने आए थे.

पढ़ेंः दिसंबर की शुरुआत में ही सीकर में तापमान पहुंच गया @1.5 Degree

लोगों की आवाजाही के चलते सरिस्का में आए दिन शिकारी मिलते हैं और शिकार की घटनाएं सामने आती है. रणथंबोर से सरिस्का लाया गए, एक युवा के बाघ की सरिस्का में मौत हो गई थी. ऐसे में लगाता सरिस्का में बाघों पर खतरा मंडराता रहता है और सरिस्का हमेशा विवादों में रहता है.

सरिस्का में लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद सिरस्का में दो नए बाघ लाने की योजना तैयार की गई. कुनबा बढ़ाने के लिए सरिस्का को युवा बाघों की आवश्यकता है. सरिस्का के ज्यादातर बाघ उम्रदराज हो चुके हैं, इसलिए 2 युवा भाग का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार को भेजा गया था, लेकिन मध्य प्रदेश में सरिस्का में बाघ भेजने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है.

पढ़ेंः ध्यान दें! प्रदेश के कई जिलों में कोहरे ने दी दस्तक, हल्की-फुल्की बूंदाबांदी से बढ़ी ठंडक

उनका कहना है कि सरिस्का में मानव ज्यादा है. ऐसे में यहां बाघ सुरक्षित नहीं है. इसके बाद वन प्राधिकरण ने कहा कि जब तक यहां से गांव को स्थापित नहीं किया जाता है. सरिस्का में बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऐसे में एक बार फिर से सरिस्का पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. जल्द ही सरकार वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है.

अलवर. सरिस्का के कोर क्षेत्र में बसे हुए गांव सरिस्का के लिए ग्रहण बन चुका हैं. इन गांव के चलते सरिस्का के वन क्षेत्र में मानव दक्ष दिनों-दिन बढ़ रहा है. ऐसे में सरिस्का के बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. सरकार और वन विभाग को अब कोई सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

सरिस्का के लिए ग्रहण बन रहे जंगल में बसे हुए गांव

सरिस्का के 1300 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में 29 गांव बसे हुए हैं. इनमें से 3 गांव सरिस्का प्रशासन की तरफ से विस्थापित किए जा चुके हैं. अब बचे हुए 26 गांव में से 3 को विस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है. वहीं प्रशासन की तरफ से विस्थापित परिवारों को दो पैकेज भी दिए जा रहे हैं.

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एक पैकेज में विस्थापित परिवार को 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है, जबकि दूसरे पैकेज में 6 लाख रुपए, एक प्लॉट ढाई लाख रुपए और जिस क्षेत्र में प्लॉट दिया जाएगा. उस क्षेत्र को वन विभाग की तरफ से डेवलप करके दिया जाएगा. इन सभी गांव में बड़ी संख्या में परिवार रहते हैं. इन परिवारों के चलते सरिस्का के कोर क्षेत्र में लगातार लोगों के आवाजाही बनी रहती है.

ऐसे में सरिस्का में खुलेआम वन्यजीवों का शिकार होता है और आए दिन बाघ के मौत के मामले सामने आते रहते हैं. साल 2005 में सिरका बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद भी लगातार सरिस्का में आए दिन बाघ की मौत के मामले सामने आते हैं. अभी डेढ़ साल की बात करें तो सरिस्का में तीन बाघों की मौत हो चुकी है, तो वहीं 2 साल पहले भी तीन बाघों की मौत के मामले सामने आए थे.

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लोगों की आवाजाही के चलते सरिस्का में आए दिन शिकारी मिलते हैं और शिकार की घटनाएं सामने आती है. रणथंबोर से सरिस्का लाया गए, एक युवा के बाघ की सरिस्का में मौत हो गई थी. ऐसे में लगाता सरिस्का में बाघों पर खतरा मंडराता रहता है और सरिस्का हमेशा विवादों में रहता है.

सरिस्का में लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद सिरस्का में दो नए बाघ लाने की योजना तैयार की गई. कुनबा बढ़ाने के लिए सरिस्का को युवा बाघों की आवश्यकता है. सरिस्का के ज्यादातर बाघ उम्रदराज हो चुके हैं, इसलिए 2 युवा भाग का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार को भेजा गया था, लेकिन मध्य प्रदेश में सरिस्का में बाघ भेजने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है.

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उनका कहना है कि सरिस्का में मानव ज्यादा है. ऐसे में यहां बाघ सुरक्षित नहीं है. इसके बाद वन प्राधिकरण ने कहा कि जब तक यहां से गांव को स्थापित नहीं किया जाता है. सरिस्का में बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऐसे में एक बार फिर से सरिस्का पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. जल्द ही सरकार वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है.

Intro:अलवर
सरिस्का के कोर क्षेत्र में बसे हुए गांव सरिस्का के लिए ग्रहण बन चुके हैं। इन गांव के चलते सरिस्का के वन क्षेत्र में मानव दक्ष दिनों दिन बढ़ रहा है। ऐसे में सरिस्का के बाघों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। सरकार व वन विभाग को अब कोई सख्त कदम उठाने की जरूरत है।


Body:सरिस्का के 1300 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में 29 गांव बसे हुए हैं। इनमें से 3 गांव सरिस्का प्रशासन की तरफ से विस्थापित किए जा चुके हैं। अब बचे हुए 26 गांव में से 3 को विस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। प्रशासन की तरफ से विस्थापित परिवारों को दो पैकेज दिए जा रहे हैं। एक पैकेज में विस्थापित परिवार को 10 लाख रुपए देने का प्रावधान है। जबकि दूसरे पैकेज में 6 लाख रुपए, एक प्लॉट ढाई लाख रुपए व जिस क्षेत्र में प्लॉट दिया जाएगा। उस क्षेत्र को वन विभाग की तरफ से डेवलप करके दिया जाएगा। इन सभी गांव में बड़ी संख्या में परिवार रहते हैं। इन परिवारों के चलते सरिस्का के कोर क्षेत्र में लगातार लोगों के आवाजाही बनी रहती है। ऐसे में सरिस्का में खुलेआम वन्यजीवों का शिकार होता है व आए दिन बाघ की मौत के मामले सामने आते हैं। साल 2005 में सिरका बाघ विहीन हो गया था। उसके बाद भी लगातार सरिस्का में आए दिन बाघ की मौत के मामले सामने आते हैं। अभी डेढ़ साल की बात करें तो सरिस्का में तीन बाघों की मौत हो चुकी है। तो वहीं 2 साल पहले भी तीन बाघों की मौत के मामले सामने आए थे।


Conclusion:लोगों की आवाजाही के चलते सरिस्का में आए दिन शिकारी मिलते हैं व शिकार की घटनाएं सामने आती है। रणथंबोर से सरिस्का लाया गए एक युवा के बाघ की सरिस्का में मौत हो गई थी। ऐसे में लगाता सरिस्का में बाघों पर खतरा मंडराता रहता है व सरिस्का हमेशा विवादों में रहता है। सरिस्का में लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद सिरस्का में दो नए बाघ लाने की योजना तैयार की गई। कुनबा बढ़ाने के लिए सरिस्का को युवा बाघों की आवश्यकता है। सरिस्का के ज्यादातर बाघ उम्रदराज हो चुके हैं। इसलिए 2 युवा भाग का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार को भेजा गया था लेकिन मध्यप्रदेश में सरिस्का में बाघ भेजने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है उनका कहना है कि सरिस्का में मानव तक ज्यादा है ऐसे में यहां बाघ सुरक्षित नहीं है। इसके बाद वन प्राधिकरण ने कहा कि जब तक यहां से गांव को स्थापित नहीं किया जाता सरिस्का में बाघ लाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे में एक बार फिर से सरिस्का पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जल्द ही सरकार व वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। तो आने वाले समय में सरिस्का एक बार फिर से बाघ विहीन हो सकता है।
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