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अलवर के कंटेनमेंट जोन में नहीं हो रहा टीकाकरण, अन्य बीमारी का बढ़ा खतरा

देश में लगातारा कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसके कारण लॉकडाउन लगाया गया है, लेकिन लगाए गए लॉकडाउन में बच्चों को लगने वाले टीकाकरण की प्रक्रिया भी बाधित हो रही है. जिसके कारण बच्चों को मौसमी बीमारी होने का खतरा मंडराने लगा है.

rajasthan news, अलवर न्यूज
लॉकडाउन के कारण टीकाकरण की प्रक्रिया हुई प्रभावित
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Published : Aug 7, 2020, 8:57 PM IST

अलवर. जिले में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. राजस्थान में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज अलवर में मिल रहे हैं. ऐसे में कोरोना के साथ नवजात पर कई अन्य बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगा है. दरअसल, कोरोना वायरस के चलते कंटेनमेंट जोन में टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है. ऐसे में टीकाकरण नहीं होने के कारण बच्चों में अन्य बीमारी का खतरा बढ़ने लगा है.

राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे ज्यादा मरीज अलवर में मिलते हैं. मौसमी बीमारियों का प्रभाव भी अलवर में अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा रहता है. कोरोना काल में शुरुआत के समय में अलवर में प्रभाव कम था, लेकिन धीरे-धीरे हालात खराब होने लगे. इस समय राजस्थान में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज अलवर जिले में मिल रहे हैं. प्रतिदिन 100 से अधिक संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. तो वहीं जिले में अब तक संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 5000 से अधिक हो चुका है.

लॉकडाउन के कारण टीकाकरण की प्रक्रिया हुई प्रभावित

कोरोना के चलते प्रशासन की तरफ से अलवर शहर कोतवाली क्षेत्र में लॉकडाउन लगाया गया है. इसके अलावा भिवाड़ी सहित जिन जगहों पर कोरोना के ज्यादा संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. उन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन बनाते हुए पूरी तरीके से बंद कर दिया है. कोरोना के संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कंटेनमेंट जोन में टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरीके से बंद कर दी गई है. अलवर जिले में 825 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों में टीकाकरण नहीं होने के कारण नवजात पर अन्य बीमारी का खतरा बढ़ गया है.

चेचक, खसरा, काली खांसी, हेपेटाइटिस सहित कई गंभीर बीमारियों के लिए बच्चों के जन्म से टीकाकरण किया जाता है. इसके अलावा समय-समय पर पोलियो सहित अन्य बूस्टर डोज भी दी जाती है. तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरीके से रुक चुकी है. मार्च-अप्रैल और मई माह में पूरी तरह से लॉकडाउन था. उस दौरान छूटे हुए बच्चों को जून माह से टीकाकरण किया गया, लेकिन फिर से बिगड़ते हालात को देखते हुए टीकाकरण प्रक्रिया रोक दी गई है.

पढ़ें- अलवर: बहरोड़ में Gum से भरा ट्रक पलटा, बड़ा हादसा टला

बता दें कि हर माह अलवर में हजारों बच्चों के टीके लगते हैं. मई माह में प्रथम डोज पेंटावेलेंट 7 हजार 696 बच्चों को लगाया गया. ओरल पोलियो वैक्सीन 7,640, रोटावायरस वैक्सीन 7,645, इंजेक्टबल पोलियो वैक्सीन 6,870 और पीसीबी की डोज 5,125 को दी गई. इसी तरह से दूसरी डोज में 5,380 बच्चों को पेंटावेलेंट लगाया गया. ओरल पोलियो वैक्सीन 5,341, रोटावायरस वैक्सीन 5,377 को दी गई.

ऐसे में साफ है कि जिले में हर माह हजारों बच्चों को टीके लगते हैं, लेकिन कोरोना के चलते जिले में टीकाकरण व्यवस्था बिगड़ चुकी है. ऐसे में आने वाले समय में बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से खतरा हो सकता है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कुछ समय बाद छूटे हुए सभी बच्चों को चिन्हित करते हुए उनको जरूरी टीके लगाए जाएंगे.

अलवर. जिले में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. राजस्थान में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज अलवर में मिल रहे हैं. ऐसे में कोरोना के साथ नवजात पर कई अन्य बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगा है. दरअसल, कोरोना वायरस के चलते कंटेनमेंट जोन में टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है. ऐसे में टीकाकरण नहीं होने के कारण बच्चों में अन्य बीमारी का खतरा बढ़ने लगा है.

राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे ज्यादा मरीज अलवर में मिलते हैं. मौसमी बीमारियों का प्रभाव भी अलवर में अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा रहता है. कोरोना काल में शुरुआत के समय में अलवर में प्रभाव कम था, लेकिन धीरे-धीरे हालात खराब होने लगे. इस समय राजस्थान में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज अलवर जिले में मिल रहे हैं. प्रतिदिन 100 से अधिक संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. तो वहीं जिले में अब तक संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 5000 से अधिक हो चुका है.

लॉकडाउन के कारण टीकाकरण की प्रक्रिया हुई प्रभावित

कोरोना के चलते प्रशासन की तरफ से अलवर शहर कोतवाली क्षेत्र में लॉकडाउन लगाया गया है. इसके अलावा भिवाड़ी सहित जिन जगहों पर कोरोना के ज्यादा संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. उन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन बनाते हुए पूरी तरीके से बंद कर दिया है. कोरोना के संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कंटेनमेंट जोन में टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरीके से बंद कर दी गई है. अलवर जिले में 825 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों में टीकाकरण नहीं होने के कारण नवजात पर अन्य बीमारी का खतरा बढ़ गया है.

चेचक, खसरा, काली खांसी, हेपेटाइटिस सहित कई गंभीर बीमारियों के लिए बच्चों के जन्म से टीकाकरण किया जाता है. इसके अलावा समय-समय पर पोलियो सहित अन्य बूस्टर डोज भी दी जाती है. तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते टीकाकरण प्रक्रिया पूरी तरीके से रुक चुकी है. मार्च-अप्रैल और मई माह में पूरी तरह से लॉकडाउन था. उस दौरान छूटे हुए बच्चों को जून माह से टीकाकरण किया गया, लेकिन फिर से बिगड़ते हालात को देखते हुए टीकाकरण प्रक्रिया रोक दी गई है.

पढ़ें- अलवर: बहरोड़ में Gum से भरा ट्रक पलटा, बड़ा हादसा टला

बता दें कि हर माह अलवर में हजारों बच्चों के टीके लगते हैं. मई माह में प्रथम डोज पेंटावेलेंट 7 हजार 696 बच्चों को लगाया गया. ओरल पोलियो वैक्सीन 7,640, रोटावायरस वैक्सीन 7,645, इंजेक्टबल पोलियो वैक्सीन 6,870 और पीसीबी की डोज 5,125 को दी गई. इसी तरह से दूसरी डोज में 5,380 बच्चों को पेंटावेलेंट लगाया गया. ओरल पोलियो वैक्सीन 5,341, रोटावायरस वैक्सीन 5,377 को दी गई.

ऐसे में साफ है कि जिले में हर माह हजारों बच्चों को टीके लगते हैं, लेकिन कोरोना के चलते जिले में टीकाकरण व्यवस्था बिगड़ चुकी है. ऐसे में आने वाले समय में बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से खतरा हो सकता है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कुछ समय बाद छूटे हुए सभी बच्चों को चिन्हित करते हुए उनको जरूरी टीके लगाए जाएंगे.

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