अलवर. अलवर में सरिस्का और बाला किला बफर जोन सहित बड़ी संख्या में जंगल है. अलवर का सरिस्का पूरे देश दुनिया में विशेष पहचान रखता है. 886 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले सरिस्का में वन्यजीवों की कई तरह की प्रजातियां रहती हैं. यहां घूमने के लिए साल भर देशी विदेशी पर्यटक आते हैं. लेकिन सरिस्का में आए दिन शिकार के मामले भी सामने आते रहे हैं. कई बार बाघ के शिकार की घटनाएं भी हो चुकी है तो वहीं एक बार साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन भी हो चुका है. इसके बाद भी लगातार शिकार की घटनाएं हो रही है. हाल ही में अलवर के एक गांव में नीलगाय के शिकार का मामला सामने आया.
वन विभाग के डीएफओ एके श्रीवास्तव ने बताया कि वन विभाग को सूचना मिली कि डेहरा अमृत का बास में नीलगाय का शिकार हुआ है. इस सूचना पर डेहरा शाहपुर नाका से टीम को रवाना किया. टीम को मौके पर नीलगाय के कुछ अवशेष मिले और पास ही दो मकानों में नीलगाय का मीट पकता हुआ मिला, जिस पर टीम ने मौके से कुछ लोगों को पकड़कर पूछताश की गई. इस पर पता चला कि अमृत का बास गांव के रहने वाले धन सिंह और देवीराम ने नीलगाय का शिकार किया और उसका मीट बेच दिया, जिस पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और दोनों का मेडिकल करवाया गया.
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उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ नियम अनुसार दस्तावेज तैयार किए गए है, जिनको न्यायालय में पेश किया जाएगा. इस मामले में वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. लोगों से पूछताछ की जा रही है. इन लोगों ने पहले भी कई बार नील गाय व जानवरों के शिकार किया है. शिकार करने के बाद यह लोग आसपास क्षेत्र में उस जानवर का मांस व अन्य जरूरत की चीजें बेच देते हैं. इन लोगों के तार बड़े तस्करों से भी जुड़े हो सकते हैं.