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स्पेशल: ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज लाइन पर करोड़ों रुपए खर्च, लेकिन शहर का पानी नहीं पहुंच रहा ट्रीट होने

अलवर में करोड़ों रुपए की लागत से सीवर पाइप लाइन डाली गई. वहीं 20 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है. लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट में भी मशीनें बंद रहती हैं, साथ ही सीवर पाइप लाइन की सफाई नहीं हो पाई है. ऐसे में सीवरेज के पानी का बेहतर तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है.

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Published : Dec 25, 2019, 3:27 PM IST

sewerage treatment plant in alwar, अलवर में सीवरेज लाइन में समस्या
सीवरेज लाइन और सीवरेज प्लांट में समस्या

अलवर. अलवर-भरतपुर मार्ग पर अज्ञारा बांध के पास अलवर का एसटीपी बना हुआ है. इसकी क्षमता 20 एमएलडी है. एसटीपी तक शहर का गंदा पानी पहुंचे उसके लिए अलवर में करोड़ों रुपए की लागत से सीवर लाइन डाली गई. लेकिन उसके बाद भी एसटीपी में शहर का पूरा पानी नहीं पहुंच रहा है. वहीं ट्रीटमेंट प्लांट में भी मशीनें बंद रहती है और ट्रांसफार्मर खराब है. ऐसे में सीवरेज के पानी का बेहतर तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि अलवर शहर की 19 कॉलोनियों के लिए आरयूडीआईपी ने 330 करोड़ों रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डाली गई थी. इन लाइनों के माध्यम से 7 हजार से अधिक घरों को जोड़ा गया. इसके बाद अमृत योजना के तहत 99 करोड़ रुपए की लागत से नगर परिषद की तरफ से भी शहर के विभिन्न हिस्सों में सीवरेज लाइन डाली गई.

सीवरेज लाइन और सीवरेज प्लांट में समस्या

शहर की सीवरेज लाइन को अलवर भरतपुर मार्ग पर बने 20 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया. लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट तक प्रतिदिन 7 से 8 एमएलडी सीवर का पानी पहुंच पाता है. सीवरेज लाइन की सफाई के लिए करोड़ों रुपए की मशीनें नगर परिषद की तरफ से खरीदी गई थी. वो मशीनें भी खराब हो रही है. ऐसे में सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च हुए करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे हैं.

ये पढ़ेंः सावधान! अगर आपके पास कॉल आए 'हेलो मैं बैक से बोल रहा हूं, आपका ATM कार्ड ब्लॉक कर दिया गया है', उससे पहले जरूरी है ये खबर पढ़ लें

सीवरेज प्लांट में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि ये आमतौर पर बंद रहता है, शाम को कुछ घंटे के लिए प्लांट चलाया जाता है. साथ ही विद्युत कटौती और ट्रांसफार्मर की कमी के चलते प्लांट की सभी मोटर नहीं चल पाती हैं. दअरसल अभी जो ट्रांसफार्मर है वो प्लांट में लगी सभी मोटर का भार नहीं झेल पाता है. इस संबंध में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया है. वहीं आए दिन प्लांट की मशीनें भी खराब रहती है. मशीन सीवरेज के पानी से कचरा अलग नहीं कर पाती है. ऐसे में करोड़ों रुपए का प्लांट केवल दिखावा बनकर रह गया है.

कर्मचारियों को सीवरेज लाइन के सफाई की तकनीक नहीं आती...

गौरतलब है कि शहर में बिछाई गई सीवरेज लाइन के हालात खराब है। उनकी समय पर सफाई नहीं होती है. बारिश के समय सड़कों पर पानी भरता है. नाले और लाइन ओवर फ्लो हो जाते हैं. सीवरेज की सफाई के लिए आई मशीनें अलवर के सूचना केंद्र में खराब हो रही है.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: नशे की जद में श्रीगंगानगर के युवा...गुजरात के रास्ते आ रही खेप

अधिकारियों ने बताया की सीवरेज लाइन की सफाई करने के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है. कर्मचारी उस तकनीक से लैस नहीं है. इसलिए समय पर सीवरेज लाइन की सफाई नहीं हो पाती है.वहीं कई जगहों पर पाइप टूटने, लाइन लीकेज होने सहित कई तरह की समस्याएं रहती है. लेकिन मरम्मत कार्य बेहतर नहीं होने के कारण हालात खराब है.

नगर परिषद के अधिकारी कर रहे है इंकार...

नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है की स्टेटमेंट प्लांट में सभी मशीनें बेहतर चल रही है. जरूरत के हिसाब से मशीनों को चला जाता है. अधिकारियों ने कहा कि पानी अभी कम पहुंच रहा है. इसलिए दिन में कुछ घंटे ही मशीनें चलाई जाती है.

अलवर. अलवर-भरतपुर मार्ग पर अज्ञारा बांध के पास अलवर का एसटीपी बना हुआ है. इसकी क्षमता 20 एमएलडी है. एसटीपी तक शहर का गंदा पानी पहुंचे उसके लिए अलवर में करोड़ों रुपए की लागत से सीवर लाइन डाली गई. लेकिन उसके बाद भी एसटीपी में शहर का पूरा पानी नहीं पहुंच रहा है. वहीं ट्रीटमेंट प्लांट में भी मशीनें बंद रहती है और ट्रांसफार्मर खराब है. ऐसे में सीवरेज के पानी का बेहतर तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि अलवर शहर की 19 कॉलोनियों के लिए आरयूडीआईपी ने 330 करोड़ों रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डाली गई थी. इन लाइनों के माध्यम से 7 हजार से अधिक घरों को जोड़ा गया. इसके बाद अमृत योजना के तहत 99 करोड़ रुपए की लागत से नगर परिषद की तरफ से भी शहर के विभिन्न हिस्सों में सीवरेज लाइन डाली गई.

सीवरेज लाइन और सीवरेज प्लांट में समस्या

शहर की सीवरेज लाइन को अलवर भरतपुर मार्ग पर बने 20 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया. लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट तक प्रतिदिन 7 से 8 एमएलडी सीवर का पानी पहुंच पाता है. सीवरेज लाइन की सफाई के लिए करोड़ों रुपए की मशीनें नगर परिषद की तरफ से खरीदी गई थी. वो मशीनें भी खराब हो रही है. ऐसे में सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च हुए करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे हैं.

ये पढ़ेंः सावधान! अगर आपके पास कॉल आए 'हेलो मैं बैक से बोल रहा हूं, आपका ATM कार्ड ब्लॉक कर दिया गया है', उससे पहले जरूरी है ये खबर पढ़ लें

सीवरेज प्लांट में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि ये आमतौर पर बंद रहता है, शाम को कुछ घंटे के लिए प्लांट चलाया जाता है. साथ ही विद्युत कटौती और ट्रांसफार्मर की कमी के चलते प्लांट की सभी मोटर नहीं चल पाती हैं. दअरसल अभी जो ट्रांसफार्मर है वो प्लांट में लगी सभी मोटर का भार नहीं झेल पाता है. इस संबंध में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया है. वहीं आए दिन प्लांट की मशीनें भी खराब रहती है. मशीन सीवरेज के पानी से कचरा अलग नहीं कर पाती है. ऐसे में करोड़ों रुपए का प्लांट केवल दिखावा बनकर रह गया है.

कर्मचारियों को सीवरेज लाइन के सफाई की तकनीक नहीं आती...

गौरतलब है कि शहर में बिछाई गई सीवरेज लाइन के हालात खराब है। उनकी समय पर सफाई नहीं होती है. बारिश के समय सड़कों पर पानी भरता है. नाले और लाइन ओवर फ्लो हो जाते हैं. सीवरेज की सफाई के लिए आई मशीनें अलवर के सूचना केंद्र में खराब हो रही है.

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अधिकारियों ने बताया की सीवरेज लाइन की सफाई करने के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है. कर्मचारी उस तकनीक से लैस नहीं है. इसलिए समय पर सीवरेज लाइन की सफाई नहीं हो पाती है.वहीं कई जगहों पर पाइप टूटने, लाइन लीकेज होने सहित कई तरह की समस्याएं रहती है. लेकिन मरम्मत कार्य बेहतर नहीं होने के कारण हालात खराब है.

नगर परिषद के अधिकारी कर रहे है इंकार...

नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है की स्टेटमेंट प्लांट में सभी मशीनें बेहतर चल रही है. जरूरत के हिसाब से मशीनों को चला जाता है. अधिकारियों ने कहा कि पानी अभी कम पहुंच रहा है. इसलिए दिन में कुछ घंटे ही मशीनें चलाई जाती है.

Intro:नोट- पैकेज ऑफिस में तैयार करवाएं

अलवर
अलवर-भरतपुर मार्ग पर अज्ञारा बांध के पास अलवर का एसटीपी बना हुआ है। इसकी क्षमता 20 एमएलडी है। एसटीपी तक शहर का गंदा पानी पहुंचे उसके लिए अलवर में करोड़ों रुपए की लागत से सीवर लाइन डाली गई। लेकिन उसके बाद भी एसटीपी में शहर का पूरा पानी नहीं पहुंच रहा है। तो वही ट्रीटमेंट प्लांट में भी मशीनें बंद रहती है व ट्रांसफार्मर खराब है। ऐसे में सीवरेज के पानी का बेहतर तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है।


Body:अलवर शहर की 19 कॉलोनियों के लिए आरयूडीआईपी ने 330 करोड़ों रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डाली गई थी। इन लाइनों के माध्यम से 7 हजार से अधिक घरों को जोड़ा गया। इसके बाद अमृत योजना के तहत 99 करोड़ रुपए की लागत से नगर परिषद की तरफ से भी शहर के विभिन्न हिस्सों में सीवरेज लाइन डाली गई। शहर की सीवरेज लाइन को अलवर भरतपुर मार्ग पर बने 20 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया। लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट तक प्रतिदिन 7 से 8 एमएलडी सीवर का पानी पहुंच पाता है। अन्य पानी नालों व अन्य जगहों पर मैं जाता है सीवरेज लाइन की सफाई के लिए करोड़ों रुपए की मशीनें नगर परिषद की तरफ से खरीदी गई थी वह मशीनें भी खराब हो रही है। ऐसे में सीवरेज लाइन व ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च हुए करोड़ों रुपए खराब हो रहे हैं। सीवरेज प्लांट की बात करें तो प्लांट आमतौर पर बंद रहता है। शाम को कुछ घंटे के लिए प्लांट चलाया जाता है। वहां काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि विद्युत कटौती व ट्रांसफार्मर की कमी के चलते प्लांट की सभी मोटर नहीं चल पाती हैं। दअरसल अभी जो ट्रांसफार्मर है वो प्लांट में लगी सभी मोटर का भार नहीं झेल पाता है। इस संबंध में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया है। तो वही आए दिन प्लांट की मशीनें भी खराब रहती है। मशीन सीवरेज के पानी से कचरा अलग नहीं कर पाती है। ऐसे में करोड़ों रुपए का प्लांट केवल दिखावा बनकर रह गया है।


Conclusion:शहर में बिछाई गई सीवरेज लाइन के हालात खराब है। उनकी समय पर सफाई नहीं होती है। बारिश के समय में सड़कों पर पानी भरता है। नाले व लाइन ओवर फ्लो हो जाते हैं। सीवरेज की सफाई के लिए आई मशीनें अलवर के सूचना केंद्र में खराब हो रही है। अधिकारियों ने बताया की सीवरेज लाइन की सफाई करने के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है। कर्मचारी उस तकनीक से लैस नहीं है। इसलिए समय पर सीवरेज लाइन की सफाई नहीं हो पाती है। तो वहीं कई जगहों पर पाइप टूटने, लाइन लीकेज होने सहित कई तरह की समस्याएं रहती है। लेकिन मरम्मत कार्य बेहतर नहीं होने के कारण हालात खराब है। नगर परिषद के अधिकारियों का दावा है की स्टेटमेंट प्लांट में सभी मशीनें बेहतर चल रही है। जरूरत के हिसाब से मशीनों को चला जाता है। अधिकारियों ने कहा कि पानी अभी कम पहुंच रहा है। इसलिए दिन में कुछ घंटे ही मशीनें चलाई जाती है।


बाइट- ट्रीटमेंट प्लांट प्रभारी, नगर परिषद
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