बहरोड़ (अलवर). केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों का विरोध अभी थमा नहीं है. देशव्यापी किसान आंदोलन से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को खासा झटका लगा है. क्षेत्र के नीमराणा, बहरोड, शाहजहांपुर, घिलोठ और सोतानाला से प्रतिदिन माल से लदे एक हजार ट्रक दिल्ली हाईवे होते हुऐ देश के विभिन्न राज्यों तक पहुंचते थे. लेकिन किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर जाम है जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ठप्प चल रहा है.
ड्राई ट्रेक कंपनी के मालिक ने बताया की पहले लॉकडाउन ने ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की कमर तोड़ रखी थी और अब किसान आंदोलन के चलते ट्रांसपोर्ट व्यवसाय एक बार फिर बंद पड़ा हुआ है. औद्योगिक क्षेत्र में आवागमन बंद होने से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. स्थिति यह है की समय पर ना तो माल आ रहा है ओर ना ही जा रहा है. यही स्थिति अम्बिका पशु आहार के मालिक किशन अग्रवाल की है. उन्होंने बताया की किसान आंदोलन के चलते ग्राहकों तक माल समय पर नही पहुंच पाने से व्यापार में काफी दिक्कत आ रही है.
लंबे से चली आ रही किसानों व केंद्र सरकार के बीच कृषि कानूनों की लड़ाई से अब क्षेत्र के किसान ही ऊबने लगे हैं. बहरोड़ से नजदीक के गांव सक्तपुरा और गुगलकोटा सहित दर्जन भर गावों के किसानों ने किसान आन्दोलन को राजनीति से प्रेरित बताया. और कहा की यह किसान आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों की साजिश है. इन गांव के किसानों ने आंदोलनरत किसानों के खिलाफ प्रदर्शन किया और प्रशासन से हाईवे खुलवाने की मांग की. प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने बताया की किसान आन्दोलन के नाम पर भोले भाले किसानों को लोग मूर्ख बना रहे है, हरियाणा में बाजरा का समर्थन मुल्य 2150 रुपये प्रति क्लिंटल निर्धारित है लेकिन राज्य सरकार ने किसानों से बाजरा 1100 रूपए प्रति क्लिंटल की दर से खरीदा है. अतः किसानों को राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए लेकिन ये लोग केन्द्र सरकार का विरोध कर रहे हैं.