अलवर. वैक्सीन को लेकर कई तरह के भ्रम दिखाई पड़ रहे हैं. खास तौर से अलवर के मेव समाज के लोगों में वैक्सीन को लेकर कई तरह का अंधविश्वास है. कुछ गांव में वैक्सीन से नपुंसकता होने सहित कई अफवाहें चल रही हैं. इनके चलते लोग वैक्सीनेशन से बच रहे हैं.
इन सबके बीच अलवर में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सामने वैक्सीनेशन चुनौती बन गया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. टीकाकरण को लेकर हमेशा मेव समाज में अंधविश्वास रहा है. बच्चों को जन्म के बाद लगने वाले टीके भी मेव समाज के लोग अपने बच्चों के नहीं लगवाते. इसीलिए टीकाकरण में भी अलवर जिला पीछे रहता है.
अलवर का बड़ा हिस्सा मेवात क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. अलवर में मेव समाज की आबादी 8 से 9 लाख है. अलवर में इस समय कोरोना की वैक्सीनेशन का दौर चल रहा है. मेव समाज के लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. वैक्सीन को लेकर गांव में खासी अफवाह फैली हुई है. कुछ गांव के लोग कहते हैं कि वैक्सीन लगवाने से मौत हो जाती है. तो कुछ का कहना है कि वैक्सीन लगवाने से नपुंसकता होती है. इसके अलावा भी गांव में ही कई तरह की अफवाह हैं. इसलिए लोग कोरोना वैक्सीन से बच रहे हैं. अलवर जिले में रामगढ़, किशनगढ़बास, तिजारा और लक्ष्मणगढ़ मेव बाहुल्य क्षेत्र हैं. इसके अलावा जिले की 20 पंचायतों पर सीधे-सीधे मेव समाज का कब्जा है.
जिन विधानसभाओं में मेव समाज की आबादी ज्यादा है. उन विधानसभाओं में कोरोना वैक्सीन कम लग रही है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. यहां बीसीजी, हेपेटाइटिस गलगोटू सहित कई ऐसी बीमारियां के टीके मेव समाज के लोग अपने बच्चों को नहीं लगवाते. इसको लेकर कई बार प्रशासन ने प्रयास किए मेव समाज के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई. लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ.
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टीकाकरण नहीं होने के कारण आए दिन इन गांवों में खसरा, गलघोटू, चिकनगुनिया सहित कई अन्य बीमारियों का प्रकोप होता है. कई बच्चों की जान जा चुकी है. लेकिन टीकाकरण के लिए लोगों का अंधविश्वास दूर नहीं होता.
जिला कलेक्टर ने बीते दिनों धर्म गुरुओं और समाज के नेताओं की बैठक बुलाई. इसमें गांव के लोगों को जागरूक करने की अपील की. साथ ही वैक्सीन के फायदे भी बताए गए. उस समाज के लोगों का कहना है कि लोग डरे हुए हैं. इसलिए वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. तो वहीं रामगढ़ क्षेत्र की विधायक साफिया खान और अन्य ने बाहुल्य क्षेत्रों के विधायक और नेताओं को भी बीते दिनों जिला प्रशासन की तरफ से बुलाया गया. उनको वैक्सीन के फायदे और उससे जुड़ी हुई जानकारियां दी गई. देखना होगा वैक्सीन लगाने में प्रशासन को कितनी सफलता मिलती है.
अलवर में वैक्सीनेशन
- अलवर शहर में एक लाख 210 लोगों को वैक्सीन लगने का टारगेट, इनमें से 31 हजार 626 लोगों ने पहली डोज लगवाई
- बानसूर में 73113 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें से 34 हजार 280 लोगों ने पहली डोज लगवाई
- बहरोड में 55 हजार 992 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें से 24 हजार 76 लोगों को पहली डेट लगी
- खेड़ली में 78 हजार 494 लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट, इनमें से 40 हजार 658 लोगों को अब तक वैक्सीन की पहली डोज लगी
- किशनगढ़ बास में क्षेत्र में 76 हजार 294 लोगों को पहली डोज लगी
- कोटकासिम में 40 हजार 311 वैक्सीन लगनी है, इनमें से 20 हजार 527 लोगों को पहली डोज लगी
- लक्ष्मणगढ़ में 82 हजार 802 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें से 42 हजार 563 लोगों को वैक्सीन लगी
- मालाखेड़ा में 81 हजार 017 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें से 26 हजार 254 लोगों को पहली डोज लगी
- मुंडावर में 67 हजार 733 लोगों को वैक्सीन लगनी है, अब तक 33 हजार 821 लोगों को वैक्सीन लगी
- राजगढ़ में 57 हजार 722 लोगों की वैक्सीन लगनी है, इनमें से 25 हजार 433 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगी
- रामगढ़ में 82 हजार 559 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें 24 हजार 645 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगी
- तिजारा में एक लाख 81393 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इसमें 43000 लोगों को वैक्सीन लग चुकी
- थानागाजी में 68 हजार 247 लोगों को वैक्सीन लगनी है, 26900 लोगों को वैक्सीन लग चुकी
- शाहजहांपुर में 49 हजार 227 लोगों को वैक्सीन लगनी है, इनमें से 21 हजार 626 से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुकी है.
स्वास्थ्य विभाग की जांच पड़ताल में खुलासा हुआ है कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में केवल कागजों में टीकाकरण हुआ है. टीकाकरण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए तिजारा विधानसभा क्षेत्र में लोगों के रजिस्ट्रेशन तो हो रहे हैं. लेकिन उनके टीके नहीं लग रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अभी जांच पड़ताल कर रही हैं. जांच पूरी नहीं हुई है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि तिजारा क्षेत्र में अचानक बड़े टीकाकरण में कई तरह की कमियां हैं. उसकी जांच की जा रही है. गड़बड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.
चित्तौड़गढ़ में नपावली ग्राम में टीकाकरण को लेकर अंधविश्वास
चित्तौड़गढ़ जिले के नपावली ग्राम पंचायत के सादुलखेड़ा में कोविड टीकाकरण को लेकर ये अंधविश्वास है कि टीका लगा तो तीन माह में मर जायेंगे. इसलिए दो हजार की आबादी वाले इस गांव में केवल 11 जनों का ही वेक्सीनेशन हो पाया है. यहां की शत प्रतिशत आबादी समुदाय विशेष की है.
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भदेसर पंचायत समिति की नपावली ग्राम पंचायत के सादुलखेड़ा गांव में लोगों को कोरोना का कोई डर नहीं है. उन्हें डर इस बात का है कि अगर वह टीका लगाएंगे तो तीन महीने में मर जाएंगे. प्रदेश भर में टीकाकरण को लेकर व्यापक प्रचार प्रसार किया गया है लेकिन इसके बावजूद इस गांव की दो हजार की आबादी में से 11 लोगों को अब तक टीका लग पाया है.
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कोरोना लगातार अब अलग स्ट्रेन के साथ तेजी से सुपर स्प्रेड की ओर बढ़ रहा है. वायरस को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है वह साफ तौर पर इंगित करती है कि एक संक्रमित व्यक्ति 10 लोगों को सीधे तौर पर संक्रमित कर सकता है. इसके बावजूद सरकार का एक जागरूकता कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ जिले में ब्लॉक और जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के बंद एसी कमरों की फाइलों में ही चल रहा है. टीकाकरण अभियान को लेकर क्षेत्र की उप स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम नूरजहां मंसूरी से बात की तो उन्होंने बताया कि लोग टीकाकरण नहीं करवा रहे. यहां दो शिविर लगाए गए हैं लेकिन लोग वेक्सीनेशन के लिए आगे नहीं आये. लोगों को डर है कि टीका लगा तो वे मर जायेंगे. इसलिए लोग टीकाकरण के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. अब यहां शिविर भी नहीं लगा रहे हैं.
अब तक दो शिविर, उच्च अधिकारियों को भी कराया अवगत
गांव में हो रहे कम टीकाकरण को लेकर जिले के उच्च स्तरीय अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है. लेकिन यहां जागरूकता के प्रयास करने की बजाय अधिकारियों ने तो कैंप ही अन्य स्थानों पर लगाने के निर्देश दे दिए गए हैं. जानकारी यह भी है कि सादुलखेड़ा सीधे तौर पर मुख्यालय के डूंगला, बड़ीसादड़ी भदेसर और निंबाहेड़ा के साथ ही एपिक सेंटर बनने की ओर अग्रसर हो रहे मंगलवाड़ से सीधा जुड़ा हुआ है. न केवल चित्तौड़गढ़ बल्कि यहां के निवासियों का कच्चे रास्तों से मध्यप्रदेश में भी सीधा आना जाना है.
ऐसे में टीकाकरण को लेकर लोगों में फैला अंधविश्वास संपूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य में बाधा बना हुआ है. साथ ही लोगों में संक्रमण बड़े स्तर पर फैलने की भी आशंका है.