अलवर. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब आम जीवन पटरी पर लौटने लगा है. अलवर के सभी पर्यटन स्थल खुल चुके हैं. पर्यटन स्थलों पर लोगों की भारी भीड़ नजर आने लगी है. बारिश के बाद मौसम सुहाना हो गया है. ऐसे में पर्यटक परिवार समेत घूमने-फिरने पहुंच रहे हैं. बारिश के बाद अलवर में अरावली की वादियां हरी-भरी हो जाती हैं. अलवर का दृश्य हिल स्टेशन जैसा हो जाता है. हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक रोजाना घूमने के लिए आते हैं.
पर्यटन व्यवसाय अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा है. मौसम में परिवर्तन के बाद से ही अलवर जिले के सिलीसेढ़ झील में इन दिनों पर्यटक काफी अच्छी तादाद में घूमने के लिए आ रहे हैं. छुट्टी के दिन राजस्थान, दिल्ली, गुड़गांव, हरियाणा सहित दूरदराज से काफी संख्या में पर्यटक सिलीसेढ़ लेक पैलेस में घूमने के लिए आ रहे हैं और बोटिंग का लुफ्त उठा रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के कारण पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए थे. कोरोना कम होने के साथ ही पर्यटन स्थलों को खोल दिया गया है.
अलवर के पर्यटन स्थल भी अपनी खास पहचान रखते हैं. प्रतिदिन घूमने के लिए यहां देशी-विदेशी हजारों पर्यटक आते हैं. अलवर में 20 से अधिक पर्यटन स्थल हैं. इसमें सरिस्का टाइगर रिजर्व सिलीसेढ़ झील, अजबगढ़ भानगढ़ का भूतिया किला, बाला किला, सिटी पैलेस, अलवर म्यूजियम, गरवाजी, नीलकंठ महादेव मंदिर, मूसी महारानी की छतरी, सागर जलाशय सहित कई ऐसे स्थल हैं जो देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखते हैं. एनसीआर का हिस्सा होने के कारण छुट्टी वाले दिन यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में कई गुना बढ़ जाती है. इसमें स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है.
सिलीसेढ़ झील में पहले की तरह फिर से चहल पहल देखने को मिल रही है. पर्यटकों ने बताया कि काफी लंबे समय तक परिवार के साथ घर में ही कैद थे. अब कोरोना का प्रभाव कुछ कम होने पर सिलीसेढ़ घूमने आए हैं. बहुत ही अच्छा लग रहा है. पर्यटकों ने बोटिंग का भी लुफ्त उठाया और बच्चों ने भी काफी एंजॉय किया. सिलीसेढ़ लेक पैलेस के असिस्टेंट मैनेजर उत्तम सिंह ने कहा कि अब पहले की तरह सिलीसेढ़ में चहल-पहल होने लगी है. लोग सुबह शाम अच्छी तादाद में घूमने के लिए आ रहे हैं, लेकिन पर्यटकों से मार्क्स, सैनिटाइजर व 2 गज की दूरी रखने की अपील की है.