अलवर. कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं, काम-धंधे चौपट हो चुके हैं. अलवर जिले की बात करें तो यहां औद्योगिक क्षेत्रों में 20 हजार से अधिक छोटे-मोटे औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें से 90 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप हो गया है. केवल खाद्य पदार्थ से जुड़ी हुई औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं. यही हालात आगे जारी रहे तो आने वाले समय में देश में आर्थिक संकट गहरा सकता है.
स्टेट जीएसटी विभाग हर साल पूरे राजस्थान में 15 हजार 972.56 करोड़ रुपये का राज्य सरकार को देता है. कोरोना के चलते बीते साल यानी 2020 में इसमें केवल 70 प्रतिशत टैक्स अर्जित हो सका. सरकार को 11 हजार 203.62 करोड़ रुपये मिले. ऐसे में साफ है कि तय लक्ष्य से खासा कम टैक्स सरकार को मिला. लेकिन एक बार फिर से औद्योगिक इकाइयों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका है. अलवर के भिवाड़ी की होंडा, स्टील, ऑटो पार्ट्स सहित बड़ी औद्योगिक इकाइयां बंद हो चुकी हैं या बंद होने के कगार पर खड़ी हैं.
राजस्थान सरकार के राजस्व में भारी नुकसान...
अजमेर जोन की औद्योगिक इकाइयों से 1,636 करोड़ों का टैक्स मिलना था, लेकिन 1,020 करोड़ का टैक्स मिला. इसमें 16 प्रतिशत टैक्स में बीते साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई. इसी तरह से अलवर को 1,734 करोड़ टैक्स औद्योगिक इकाइयों का जमा करना था. इसमें से केवल 1,147 करोड़ का टैक्स मिला. बीते साल 1,288 करोड़ मिला. वहीं, बीते साल की तुलना में भी 10 प्रतिशत की गिरावट आई. इसी तरह से भरतपुर में 154 करोड रुपये, भीलवाड़ा में 630 करोड़ रुपये, बीकानेर में 350 करोड़ रुपये, गंगानगर में 305 करोड़ रुपये, जयपुर प्रथम में 1,444 करोड़ का टैक्स मिलना था, लेकिन 972 करोड़ का टैक्स मिला. यहां 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
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जयपुर द्वितीय में 1,078 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन 856 करोड़ रुपये मिले. जयपुर थर्ड में 2,475 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन 1,965 करोड़ रुपये मिले. जोधपुर से 1,378 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन 896 करोड़ रुपये मिले. यहां 12 प्रतिशत की गिरावट हुई. कोटा से 1,047 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन 802 करोड़ रुपए मिले. पाली क्षेत्र से 611 करोड़ रुपये मिलने थे, इसकी एवज में 430 करोड़ रुपये मिले और उदयपुर क्षेत्र से औद्योगिक इकाइयों में कामकाज नहीं होने के कारण केवल 808 करोड़ रुपये का टेक्स सरकार को मिला. उदयपुर क्षेत्र में 16 प्रतिशत बीते साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई. ऐसे में साफ है कि लगातार टैक्स में गिरावट होने का मतलब है कि औद्योगिक इकाइयों में कामकाज नहीं हुआ.
अलवर की मुख्य औद्योगिक इकाइयों में गिरावट...
अलवर की मुख्य औद्योगिक इकाइयों की बात करें तो ऑटोमोबाइल सेक्टर में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. ऑटो पार्ट्स में 4 प्रतिशत की गिरावट हुई. आयरन स्टील में 6 प्रतिशत, सर्विस में 7 प्रतिशत, तंबाकू में 21 प्रतिशत, केमिकल में 13 प्रतिशत, इलेक्ट्रिकल में 22 प्रतिशत, सेनेटरी वेयर में 42 प्रतिशत, पेस्टिसाइड में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा गैस सिलेंडर सहित अन्य क्षेत्रों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई.
अलवर की 500 औद्योगिक इकाइयां बंद...
कोरोना का प्रभाव ऑटोमोबाइल कंपनी होंडा पर भी पड़ा है. कंपनी ने अलवर स्थित प्लांट सहित देश में टू-व्हीलर के चार प्लांट में 1 से 15 मई तक प्रोडक्शन बंद करने का फैसला किया है. कंपनी के इस फैसले का असर अलवर के अलावा हरियाणा के मानेसर, कर्नाटक व गुजरात में बड़े प्लांट पर पड़ा है. कंपनी के इस फैसले का असर अलवर की 500 से अधिक औद्योगिक इकाइयों पर पड़ेगा. क्योंकि इन इकाइयों से होंडा टू व्हीलर व कार बनाने वाली कंपनी को पार्ट्स सप्लाई होते हैं.
इन सभी यूनिट्स में केवल जरूरी कार्य के लिए आवश्यक स्टाफ ही पहुंचेंगे. इस बंद के कारण अकेले अलवर के टपूकड़ा प्लांट में ही करीब 70 हजार बाइक का प्रोडक्शन इन 15 दिनों में प्रभावित होगा. यहां एक महीने में करीब डेढ़ लाख बाइक का प्रोडक्शन होता है. अलवर में होंडा के टू-व्हीलर प्लांट में करीब 6 हजार से अधिक लोग काम करते हैं. फिलहाल, सभी लोग अपने घर पर हैं.
औद्योगिक इकाइयों पर कोरोना का कहर जारी...
सेल्स टैक्स विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि कोरोना वायरस की पहली लहर में औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप हुआ व करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. कुछ माह के दौरान हालात सामान्य होने लगे थे, लेकिन एक बार फिर से कोरोना ने सब कुछ ठप कर दिया है. अकेले अलवर की बात करें तो अलवर में करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है. इस तरह के हालात देश के सभी राज्यों के हैं. ऐसे में साफ है कि पूरा देश आर्थिक संकट की तरफ बढ़ रहा है.