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अलवर: कोरोना काल में सेल्स टैक्स विभाग को हुआ 350 करोड़ का नुकसान - Corona effect on sales tax

कोरोना संक्रमण का सबसे अधिक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण व्यवसाय और बाजारों की हालत चरमरा गई है. जिससे टैक्स वसूली में भी कमी आई है. अकेले अलवर जिले में सेल्स टैक्स विभाग को करीब 350 करोड़ रुपए का नुकासान हुआ है.

अलवर न्यूज, सेल्स टैक्स विभाग को नुकसान, Loss to sales tax department
कोरोना काल में सेल्स टैक्स विभाग को नुकसान
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Published : Oct 14, 2020, 10:37 PM IST

अलवर. वैसे तो कोरोना काल का प्रत्येक व्यक्ति पर प्रभाव पड़ा है. हजारों लोगों के रोजगार छूट चुके हैं. दो वक्त की रोटी के लिए लोगों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. कोरोना काल से प्रदेश सरकार और सरकारी विभाग भी अछूते नहीं रहे हैं. हाल ही में सेल्स टैक्स विभाग के आंकड़े यह बयां कर रहे हैं. कोरोना काल के चलते अलवर के सेल्स टैक्स विभाग को 350 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है. इसी तरह के हालात अन्य सरकारी विभागों के हैं. इसका सीधा असर सरकार पर पड़ा है.

कोरोना काल में सेल्स टैक्स विभाग को नुकसान

अलवर एनसीआर का हिस्सा है इसके साथ ही अलवर राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देता है. अलवर का इनकम टैक्स विभाग, सेंट्रल जीएसटी, सेल्स टैक्स व आरटीओ सहित सभी सरकारी विभाग सरकार को हर माह करोड़ों रुपए का राजस्व देते हैं. सेल्स टैक्स विभाग सरकार को हर माह 150 करोड़ का राजस्व टैक्स के रूप में देता है. विभाग में करीब 42 हजार ग्राहक हैं, जो स्टेट जीएसटी के रूप में रिटर्न भरते हैं.

बता दें कि बीते साल सितंबर माह तक सेल्स टैक्स विभाग को करीब 650 करोड़ का राजस्व मिला था. इस बार सितंबर माह तक 20 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ करीब 750 करोड़ से अधिक का राजस्व विभाग को मिलना चाहिए था. लेकिन कोरोना काल के चलते विभाग को केवल 400 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है. ऐसे में साफ है करीब 350 करोड़ रुपए का विभाग को सीधा नुकसान हुआ है.

ये पढ़ें: मुख्यमंत्री ने जोधपुर में अतिरिक्त आयुक्त कार्यालय खोलने की दी मंजूरी, योजनाओं का होगा बेहतर क्रियान्वयन

अलवर जिले को राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. अलवर जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनका माल अलवर में तैयार होता है. ऐसे में या इकाइयां प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में देती हैं. कोरोना के चलते 6 माह तक लॉकडाउन जैसे हालात रहे, तो वहीं को ज्यादातर औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप रहा. जिसके चलते सेल्स टैक्स विभाग को मिलने वाले टैक्स में कमी आई. हालांकि साल 2019- 20 की तुलना में साल 2020-21 में स्टेट जीएसटी रिटर्न भरने वाले डीलर की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. बीते साल करीब 34 हजार डीलर ने रिटर्न फाइल करते थे. जिनकी संख्या बढ़कर 42000 से अधिक हो गई है.

ऐसे में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आने वाला समय बेहतर हो सकता है. औद्योगिक इकाइयों में काम का शुरू हुआ है. अभी हर माह 80 से 100 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में मिल रहे हैं. जबकि आमतौर पर करीब 150 करोड़ रुपए स्टेट जीएसटी टैक्स के रूप में विभाग को मिलता है.

अलवर. वैसे तो कोरोना काल का प्रत्येक व्यक्ति पर प्रभाव पड़ा है. हजारों लोगों के रोजगार छूट चुके हैं. दो वक्त की रोटी के लिए लोगों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. कोरोना काल से प्रदेश सरकार और सरकारी विभाग भी अछूते नहीं रहे हैं. हाल ही में सेल्स टैक्स विभाग के आंकड़े यह बयां कर रहे हैं. कोरोना काल के चलते अलवर के सेल्स टैक्स विभाग को 350 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है. इसी तरह के हालात अन्य सरकारी विभागों के हैं. इसका सीधा असर सरकार पर पड़ा है.

कोरोना काल में सेल्स टैक्स विभाग को नुकसान

अलवर एनसीआर का हिस्सा है इसके साथ ही अलवर राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देता है. अलवर का इनकम टैक्स विभाग, सेंट्रल जीएसटी, सेल्स टैक्स व आरटीओ सहित सभी सरकारी विभाग सरकार को हर माह करोड़ों रुपए का राजस्व देते हैं. सेल्स टैक्स विभाग सरकार को हर माह 150 करोड़ का राजस्व टैक्स के रूप में देता है. विभाग में करीब 42 हजार ग्राहक हैं, जो स्टेट जीएसटी के रूप में रिटर्न भरते हैं.

बता दें कि बीते साल सितंबर माह तक सेल्स टैक्स विभाग को करीब 650 करोड़ का राजस्व मिला था. इस बार सितंबर माह तक 20 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ करीब 750 करोड़ से अधिक का राजस्व विभाग को मिलना चाहिए था. लेकिन कोरोना काल के चलते विभाग को केवल 400 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है. ऐसे में साफ है करीब 350 करोड़ रुपए का विभाग को सीधा नुकसान हुआ है.

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अलवर जिले को राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. अलवर जिले में 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. जिनका माल अलवर में तैयार होता है. ऐसे में या इकाइयां प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में देती हैं. कोरोना के चलते 6 माह तक लॉकडाउन जैसे हालात रहे, तो वहीं को ज्यादातर औद्योगिक इकाइयों में कामकाज ठप रहा. जिसके चलते सेल्स टैक्स विभाग को मिलने वाले टैक्स में कमी आई. हालांकि साल 2019- 20 की तुलना में साल 2020-21 में स्टेट जीएसटी रिटर्न भरने वाले डीलर की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. बीते साल करीब 34 हजार डीलर ने रिटर्न फाइल करते थे. जिनकी संख्या बढ़कर 42000 से अधिक हो गई है.

ऐसे में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आने वाला समय बेहतर हो सकता है. औद्योगिक इकाइयों में काम का शुरू हुआ है. अभी हर माह 80 से 100 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में मिल रहे हैं. जबकि आमतौर पर करीब 150 करोड़ रुपए स्टेट जीएसटी टैक्स के रूप में विभाग को मिलता है.

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