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SPECIAL: दूसरों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ताओं के सामने मंडरा रहा रोजी का संकट - राजस्थान उच्च न्यायलय

दूसरों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ताओं पर इन दिनों कोरोना की मार पड़ रही हैं. न्यायालय बंद होने के कारण वकीलों का काम पूरी तरह से बंद हो गया है. जबकि नए अधिवक्ताओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आगामी दिनों में भी इसी तरह के हालात रहने की संभावना है. ऐसे में अधिवक्ताओं के साथ उनके परिवार भी खासे परेशान हैं.

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अधिवक्ताओं के सामने मंडरा रहा रोजी का संकट
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Published : Jul 13, 2020, 7:22 PM IST

अलवर. राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे ज्यादा न्यायालय अलवर जिले में है. अलवर में 40 से अधिक न्यायालय है. जिनमें 5 हजार से अधिक अधिवक्ता प्रैक्टिस करते हैं. लॉकडाउन के दौरान न्यायालय पूरी तरह से बंद रही थी. हालांकि कुछ समय बाद न्यायालय में कामकाज शुरू हुआ. लेकिन अभी पूरी तरह से न्यायालय शुरू नहीं हुए हैं. न्यायालय में केवल बेल और रिमांड की प्रक्रिया चल रही है. इसमें भी ज्यादातर कामकाज ऑनलाइन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किए जा रहे हैं.

अधिवक्ताओं के सामने मंडरा रहा रोजी का संकट

ऐसे में अधिवक्ताओं का काम पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. जिसके कारण अधिवक्ताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. अलवर में सभी विधानसभा क्षेत्र में भी न्यायालय परिसर है. जिनमें बड़ी संख्या में अधिवक्ता काम करते हैं. न्यायालय में अधिवक्ताओं के अलावा स्टांप विक्रेता, टाइपराइटर, खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार, चाय की दुकान और अन्य सामान की लगाने वाले दुकानदार सहित कई ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न काम करते हैं. कोरोना काल में सभी का काम बंद है. सबसे ज्यादा परेशानी नए वकीलों को आ रही है.

पढ़ेंः SPECIAL: 'कानून के रखवालों' पर कोरोना का कहर, वकीलों समेत 5 हजार लोगों का रोजगार प्रभावित

नए वकीलों को जल्दी से काम नहीं मिलता है. केवल बेल और वारंट का काम होने के कारण लोग नए वकीलों को काम देने से बचते हैं. ऐसे में प्रतिदिन न्यायालय में अभ्यास करने वाले हजारों की संख्या में नए अधिवक्ता खासे परेशान हैं. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से अधिवक्ताओं को अन्य कार्य करने की अनुमति दी गई है. लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि उनका काम फुल टाइम जॉब है. अगर वो न्यायालय नहीं आएंगे तो उनके केस उनके पास से चले जाएंगे. ऐसे में आने वाले समय में उनको और परेशानी हो सकती है. इसलिए उनको न्याय ले आना जरूरी होता है. ऐसे में दूसरे को नया दिलवाने वाले अधिवक्ता इन दिनों खुद न्याय के लिए परेशान हैं.

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खाली पड़ा न्यायलय परिसर...

न्यायालय में करवाया गया सैनिटाइजर का काम

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय सिंह ने बताया कि न्यायालय परिसर को अब तक तीन बार सैनिटाइज करवाया जा चुका है. इसके अलावा जो अधिवक्ता पारिवारिक रूप से ज्यादा कमजोर हैं. उनको राशन किट देने का काम भी बाहर की तरफ से किया गया है. वहीं न्यायालय पर इस तरह के अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद दिलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

पढ़ेंः जोधपुर में वकील के पास आया लॉरेन्स के गुर्गे का फोन, कहा- या तो 3 लाख दे, या फिर जान

अधिवक्ताओं की नहीं है सुरक्षा

कोरोना काल में अधिवक्ताओं को खासी परेशानी हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत से अधिवक्ताओं ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि उनको कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ना ही सरकार की तरफ से सैनिटाइजर उपलब्ध कराए गए हैं ना ही मास्क. जबकि न्यायालय में प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं. ऐसे में न्यायालय परिसर में संक्रमण फैलने का खतरा अन्य जगह की तुलना में ज्यादा रहता है.

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ठप पड़ा काम...
हजारों लोग हैं परेशान

न्यायालय परिसर से अधिवक्ताओं के अलावा हजारों की संख्या में लोग जुड़े हुए हैं और उनके परिवार के तौर पर उन पर निर्भर हैं. जिले की सभी न्यायालयों को मिलाकर 5 हजार अधिवक्ता है. इनपर 20 से 25 हजार लोग निर्भर है. ऐसे में सभी पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. अलवर में रामगढ़, बहरोड़, किशनगढ़, बास मालाखेड़ा, राजगढ़ और थानागाजी सहित सभी जगह पर न्यायालय परिसर है. जिनमें बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं.

अलवर. राजस्थान में जयपुर के बाद सबसे ज्यादा न्यायालय अलवर जिले में है. अलवर में 40 से अधिक न्यायालय है. जिनमें 5 हजार से अधिक अधिवक्ता प्रैक्टिस करते हैं. लॉकडाउन के दौरान न्यायालय पूरी तरह से बंद रही थी. हालांकि कुछ समय बाद न्यायालय में कामकाज शुरू हुआ. लेकिन अभी पूरी तरह से न्यायालय शुरू नहीं हुए हैं. न्यायालय में केवल बेल और रिमांड की प्रक्रिया चल रही है. इसमें भी ज्यादातर कामकाज ऑनलाइन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किए जा रहे हैं.

अधिवक्ताओं के सामने मंडरा रहा रोजी का संकट

ऐसे में अधिवक्ताओं का काम पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. जिसके कारण अधिवक्ताओं के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. अलवर में सभी विधानसभा क्षेत्र में भी न्यायालय परिसर है. जिनमें बड़ी संख्या में अधिवक्ता काम करते हैं. न्यायालय में अधिवक्ताओं के अलावा स्टांप विक्रेता, टाइपराइटर, खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार, चाय की दुकान और अन्य सामान की लगाने वाले दुकानदार सहित कई ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न काम करते हैं. कोरोना काल में सभी का काम बंद है. सबसे ज्यादा परेशानी नए वकीलों को आ रही है.

पढ़ेंः SPECIAL: 'कानून के रखवालों' पर कोरोना का कहर, वकीलों समेत 5 हजार लोगों का रोजगार प्रभावित

नए वकीलों को जल्दी से काम नहीं मिलता है. केवल बेल और वारंट का काम होने के कारण लोग नए वकीलों को काम देने से बचते हैं. ऐसे में प्रतिदिन न्यायालय में अभ्यास करने वाले हजारों की संख्या में नए अधिवक्ता खासे परेशान हैं. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से अधिवक्ताओं को अन्य कार्य करने की अनुमति दी गई है. लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि उनका काम फुल टाइम जॉब है. अगर वो न्यायालय नहीं आएंगे तो उनके केस उनके पास से चले जाएंगे. ऐसे में आने वाले समय में उनको और परेशानी हो सकती है. इसलिए उनको न्याय ले आना जरूरी होता है. ऐसे में दूसरे को नया दिलवाने वाले अधिवक्ता इन दिनों खुद न्याय के लिए परेशान हैं.

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खाली पड़ा न्यायलय परिसर...

न्यायालय में करवाया गया सैनिटाइजर का काम

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय सिंह ने बताया कि न्यायालय परिसर को अब तक तीन बार सैनिटाइज करवाया जा चुका है. इसके अलावा जो अधिवक्ता पारिवारिक रूप से ज्यादा कमजोर हैं. उनको राशन किट देने का काम भी बाहर की तरफ से किया गया है. वहीं न्यायालय पर इस तरह के अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद दिलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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अधिवक्ताओं की नहीं है सुरक्षा

कोरोना काल में अधिवक्ताओं को खासी परेशानी हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत से अधिवक्ताओं ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि उनको कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ना ही सरकार की तरफ से सैनिटाइजर उपलब्ध कराए गए हैं ना ही मास्क. जबकि न्यायालय में प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं. ऐसे में न्यायालय परिसर में संक्रमण फैलने का खतरा अन्य जगह की तुलना में ज्यादा रहता है.

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ठप पड़ा काम...
हजारों लोग हैं परेशान

न्यायालय परिसर से अधिवक्ताओं के अलावा हजारों की संख्या में लोग जुड़े हुए हैं और उनके परिवार के तौर पर उन पर निर्भर हैं. जिले की सभी न्यायालयों को मिलाकर 5 हजार अधिवक्ता है. इनपर 20 से 25 हजार लोग निर्भर है. ऐसे में सभी पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. अलवर में रामगढ़, बहरोड़, किशनगढ़, बास मालाखेड़ा, राजगढ़ और थानागाजी सहित सभी जगह पर न्यायालय परिसर है. जिनमें बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं.

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