अलवर. जिले में 80 से अधिक क्रेशर हैं. लेकिन अभी करीब 50 संचालित हो रहे हैं. इन पर सैकड़ों श्रमिक काम करते हैं. कोरोना काल के दौरान इन पर कामकाज बंद रहा. ऐसे में लाखों श्रमिक बेरोजगार हुए, तो सरकार को मिलने वाले टैक्स में भी कमी आई. कोरोना के बाद कुछ काम का शुरू हुआ व हालात पटरी पर लौटने लगे. वहीं अब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से अलवर सहित एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए क्रेशर और मिक्सर प्लांट को 17 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं.
इसके तहत अलवर में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से एक आदेश जारी किया गया है. जिला कलेक्टर के निर्देश पर सभी क्रेशर और मिक्सर प्लांट संचालकों को काम बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही मशीनों से होने वाली सड़कों की सफाई बड़े भवनों के निर्माण कार्य कचरा जलाना सहित अन्य कार्यों पर भी रोक लगाई गई है. अलवर में इन दिनों प्रदूषण का स्तर 100 से 150 यूजी दर्ज किया जा रहा है. जबकि भिवाड़ी में प्रदूषण का स्तर 300 यूजी से अधिक पहुंच चुका है. आमतौर पर अधिकतम प्रदूषण का स्तर 100 यूजी होना चाहिए. केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के इस आदेश से अलवर खासा प्रभावित होगा.
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि कलेक्टर के निर्देश पर सभी को आदेश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही विभाग की टीम लगातार जांच पड़ताल कर रही है. इस दौरान अगर कोई क्रेशर व मिक्सर प्लांट चलता हुआ पाया गया, तो उसे तुरंत बंद कराया जाएगा और अस्थाई बंद कराने की प्रक्रिया की जाएगी.
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बता दें कि अलवर में बड़ी संख्या में क्रेशर चलते हैं. क्रेशर के बंद होने से डेवलपमेंट कार्य भी प्रभावित होंगे. क्योंकि दिल्ली एनसीआर में सैकड़ों दर्जनों नई योजनाओं के डेवलपमेंट कार्य चल रहे हैं. जिनमें पत्थर रोड़ी अन्य चीजों की आवश्यकता होती है.यह सारा माल अलवर और आसपास क्षेत्र से एनसीआर में सप्लाई होता है. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक ओपी गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की गाइडलाइन का पूरा पालन कराया जाएगा. इस दिशा में सभी को आदेश जारी करते हुए लगातार प्रदूषण विभाग के कर्मचारी व अधिकारी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.