अलवर. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) (National Green Tribunal) ने सरिस्का बाघ अभयारण्य (Sariska Tiger Reserve) के समीप चल रही खनन (mining) गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं. सरिस्का क्षेत्र में आए दिन अवैध खनन (Illegal mining) की शिकायतें मिलती है. हालांकि सरिस्का के आसपास खनन पर रोक लगाई गई है, लेकिन उसके बाद भी जमकर अवैध खनन होता है. सरकार ने बीते दिनों एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके तहत सरिस्का के एक किलोमीटर दायरे के बाहर खनन गतिविधि चल सकती हैं. हालांकि यह आदेश अभी जारी नहीं हुआ है.
सरिस्का क्षेत्र स्थित बलदेवगढ़ निवासी मुकेश कुमार शर्मा ने एनजीटी में याचिका प्रस्तुत कर सरिस्का अभयारण्य के इको सेंसेटिव जोन में संचालित खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश जारी करने का आग्रह किया था. इस याचिका की पैरवी कर रहे अधिवक्ता मानव तनवानी ने बताया कि गत 7 जुलाई को एनजीटी की ओर से पारित आदेश में सरिस्का बाघ अभयारण्य के समीप चल रही खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे. साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले खनन माफिया से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं.
उल्लेखनीय है कि सरिस्का के प्रस्तावित इको सेंसेटिव जोन से प्रभावित ग्राम बलदेवगढ़ में 8 खनन पट्टों में से वर्तमान में पांच अभी चालू हैं और तीन बंद हैं. सरिस्का के इको सेंसेटिव जोन का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन भारत सरकार की ओर से गत 4 मार्च को कर दिया गया है, लेकिन अंतिम नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं किया गया है.
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सरिस्का क्षेत्र (Sariska area) में आए दिन अवैध खनन की शिकायतें मिलती हैं. सरिस्का के आसपास क्षेत्र में बड़ी संख्या में मार्बल की खान है. हालांकि कुछ साल पहले सरिस्का क्षेत्र में खनन पर लगी रोक के बाद प्रशासन और खनन विभाग की तरफ से सभी खान को बंद करा दिया गया है, लेकिन उसके बाद भी सरिस्का के जंगल एरिया में आए दिन अवैध खनन की भी शिकायतें मिलती है. एनजीटी के इस आदेश के बाद प्रशासन और खनन विभाग को सख्त कदम उठाने होंगे.