अलवर. देश में किसान का विरोध-प्रदर्शन सबसे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानून के विरोध में पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार वार्ता की बात कह रही है, जबकि किसान बिल वापस लेने की बात पर अड़े हुए हैं. इन सबके बीच अलवर में इन दिनों प्याज की आवक हो रही है, लेकिन किसान को उसकी मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.
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ऐसे में मंडी व्यापारियों ने किसानों का दर्द देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा. व्यापारियों ने कहा कि सरकार को बाजरे गेहूं की तरह प्याज का भी मूल्य निर्धारित करना चाहिए, जिससे किसान को होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके. जब किसान के लिए कोई योजना बनाई जाती है तो किसान या उनके प्रतिनिधियों से चर्चा क्यों नहीं होती है. सरकार की योजनाओं के धरातल पर हालात अलग होते हैं. जरूरतमंद किसानों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है.
व्यापारियों का कहना है कि कई देशों में सरकारों ने किसान हित में बड़े फैसले लिए हैं. जहां ज्यादा फसल की पैदावार होने पर सरकार फसल खरीदती है, लेकिन फसल के दाम कम नहीं होने दिए जाते है. इसी तरह के हालात हमारे देश में क्यों नहीं हो सकते हैं. किसान को उसकी फसल व मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. स्टॉकिस्ट स्टॉक जमा कर लेते हैं.
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प्याज का उदाहरण देते हुए व्यापारियों ने कहा किस समय किसान की प्याज मंडी में 12 से 15 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है, जबकि इसकी पैदावार में किसान को खर्चा उठाना पड़ता है. इसके अलावा कई तरह की दिक्कतें भी किसान के सामने रहती हैं. इसी तरह से कई अन्य फसलों के भी हालात रहते हैं.
अलवर के व्यापारियों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने किसानों की समस्या रखते हुए कहा कि सरकार को किसानों के हित में काम करना चाहिए. इस संबंध में किसानों से बातचीत करनी चाहिए. गांव स्तर पर किसान को क्या दिक्कत आती हैं. प्रत्येक राज्य के किसान की समस्या अलग है. वहां के हालात अलग हैं. जब तक सरकार इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं देगी किसान की समस्या जस की तस बनी रहेगी.