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हर साल किसान की फसल होती है खराब, इस साल बजट से उम्मीदें - Farmers hopeful from budget

अलवर में हर साल किसान की फसल खराब होती है. सरकार की ओर से मिलने वाला मुआवजा कई सालों में आता है. ऐसे में किसान पर कर्ज दिनों दिन बढ़ रहा है. इन हालात में अलवर के किसान को आगामी बजट से खासी उम्मीदें हैं.

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किसानों को बजट से उम्मीद
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Published : Jan 21, 2020, 4:46 AM IST

अलवर. भारत कृषि प्रधान देश है, यहां बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर रहती हैं. अलवर में 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है. गांव में जीवन आजीविका के लिए कृषि अहम साधन है. ऐसे में हर साल होने वाली फसल पर किसान का जीवन निर्भर करता है. इन सबके बीच आए दिन होने वाली बारिश और ओलावृष्टि से किसान की फसल खराब होती है. किसान को फसल बीमा का मुआवजा कई सालों में मिलता है. वो भी खर्च की तुलना में कम रहता है. इसलिए अलवर में किसान पर दिनों दिन कर्ज बढ़ रहा है. ऐसे में अलवर के किसान को आने वाली सरकार के बजट से खासी उम्मीदें हैं.

किसानों को बजट से उम्मीद

किसान की मानें तो सरकार को विशेष राहत पैकेज देना चाहिए. जिससे किसान कर्ज से मुक्त हो सके और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. अलवर में गेहूं, कपास, सरसों, दाल, प्याज सहित अन्य कई फसलें होती है. बारिश और ओलावृष्टि के कारण सरसों की फसल हर साल खराब होती है. वहीं बीते साल गेहूं की फसल अधिक बारिश होने के कारण खराब हो गई थी.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: RTI में चौंकाने वाला खुलासा, JNU को नहीं है 82 विदेशी स्टूडेंट की नागरिकता की जानकारी

किसानों का कहना है कि एक फसल की बुवाई में लाखों रुपए खर्च होते हैं. किसान को सरकारी रेट पर ना तो बीज मिलता है, ना ही कीटनाशक दवाएं मिलती है. निजी दुकानों से किसान को अपने पैसे पर महंगे दामों में यह खरीदना पड़ता है. इससे किसान की फसल की बुवाई फसल का खर्चा कई गुना बढ़ जाता है.

ये पढ़ेंः राजस्थान की इस ग्राम पंचायत में चुना गया सबसे कम उम्र का सरपंच

जबकि सरकार की तरफ से फसल के बीज और कीटनाशक दवाएं निशुल्क और रिआयती दरों पर उपलब्ध कराने के दावे दिए जाते हैं. लेकिन, अलवर में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं. इन हालातों में किसान को सरकार के आने वाले बजट से खासी उम्मीदें हैं. किसानों ने कहा सरकार को विशेष योजना बनाकर किसानों के लिए काम करना चाहिए. देश में किसान की हालत दिनोंदिन खराब हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में देश का अन्नदाता खतरे में पड़ सकता है.

अलवर. भारत कृषि प्रधान देश है, यहां बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर रहती हैं. अलवर में 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है. गांव में जीवन आजीविका के लिए कृषि अहम साधन है. ऐसे में हर साल होने वाली फसल पर किसान का जीवन निर्भर करता है. इन सबके बीच आए दिन होने वाली बारिश और ओलावृष्टि से किसान की फसल खराब होती है. किसान को फसल बीमा का मुआवजा कई सालों में मिलता है. वो भी खर्च की तुलना में कम रहता है. इसलिए अलवर में किसान पर दिनों दिन कर्ज बढ़ रहा है. ऐसे में अलवर के किसान को आने वाली सरकार के बजट से खासी उम्मीदें हैं.

किसानों को बजट से उम्मीद

किसान की मानें तो सरकार को विशेष राहत पैकेज देना चाहिए. जिससे किसान कर्ज से मुक्त हो सके और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. अलवर में गेहूं, कपास, सरसों, दाल, प्याज सहित अन्य कई फसलें होती है. बारिश और ओलावृष्टि के कारण सरसों की फसल हर साल खराब होती है. वहीं बीते साल गेहूं की फसल अधिक बारिश होने के कारण खराब हो गई थी.

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किसानों का कहना है कि एक फसल की बुवाई में लाखों रुपए खर्च होते हैं. किसान को सरकारी रेट पर ना तो बीज मिलता है, ना ही कीटनाशक दवाएं मिलती है. निजी दुकानों से किसान को अपने पैसे पर महंगे दामों में यह खरीदना पड़ता है. इससे किसान की फसल की बुवाई फसल का खर्चा कई गुना बढ़ जाता है.

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जबकि सरकार की तरफ से फसल के बीज और कीटनाशक दवाएं निशुल्क और रिआयती दरों पर उपलब्ध कराने के दावे दिए जाते हैं. लेकिन, अलवर में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं. इन हालातों में किसान को सरकार के आने वाले बजट से खासी उम्मीदें हैं. किसानों ने कहा सरकार को विशेष योजना बनाकर किसानों के लिए काम करना चाहिए. देश में किसान की हालत दिनोंदिन खराब हो रही है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में देश का अन्नदाता खतरे में पड़ सकता है.

Intro:नोट- वीडियो पैकेज व्हाट्सएप ग्रुप पर है

अलवर
अलवर में हर साल किसान की फसल खराब होती है। सरकार द्वारा मिलने वाला मुआवजा कई सालों में आता है। ऐसे में किसान पर कर्ज दिनों दिन बढ़ रहा है। इन हालात में अलवर के किसान को सरकार के बजट से खासी उम्मीदें हैं।


Body:भारत कृषि प्रधान देश है। यहां बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर रहती हैं। अलवर की बात करें तो अलवर में 70 प्रतिशत आबादी गांवों में बसती है। गांव में जीवन आजीविका के लिए कृषि अहम साधन है। ऐसे में हर साल होने वाली फसल पर किसान का जीवन निर्भर करता है। इन सबके बीच आए दिन होने वाली बारिश व ओलावृष्टि से किसान की फसल खराब होती है। किसान को फसल बीमा का मुआवजा कई सालों में मिलता है। वो भी खर्च की तुलना में कम रहता है। इसलिए अलवर में किसान पर दिनोंदिन कर्ज बढ़ रहा है। ऐसे में अलवर के किसान को आने वाली सरकार के बजट से खासी उम्मीदें हैं। किसान की मानें तो सरकार को विशेष राहत पैकेज देना चाहिए। जिससे किसान कर्ज से मुक्त हो सके व अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।


Conclusion:अलवर में गेहूं, कपास, सरसों, दाल, प्याज सहित अन्य कई फसलें होती है। बारिश व ओलावृष्टि के कारण सरसों की फसल हर साल खराब होती है। तो वहीं बीते साल गेहूं अधिक बारिश होने के कारण खराब हो गया था। एक फसल की बुवाई में लाखों रुपए खर्च होते हैं। किसान को सरकारी रेट पर ना तो बीज मिलता है, ना ही कीटनाशक दवाएं मिलती है। निजी दुकानों से किसान को अपने पैसे पर महंगे दामों में यह खरीदना पड़ता है। इससे किसान की फसल की बुवाई फसल का खर्चा कई गुना बढ़ जाता है। जबकि सरकार की तरफ से फसल के बीज व कीटनाशक दवाएं निशुल्क और रिआयती दरों पर उपलब्ध कराने के दावे दिए जाते हैं। लेकिन अलवर में यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इन हालातों में अलवर के किसान को सरकार के आने वाले बजट से खासी उम्मीदें हैं। किसानों ने कहा सरकार को विशेष योजना बनाकर किसानों के लिए काम करना चाहिए। देश में किसान की हालत दिनोंदिन खराब हो रही है। यही हालात रहे तो आने वाले समय में देश का अन्नदाता खतरे में पड़ सकता है।

बाइट- किसान
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