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बंदियों के जीवन में बदलाव की कवायद : अलवर जेल में महिलाएं बना रही फूलों की बांदरवाल तो लाइब्रेरी और योगा से जुड़ रहे हैं बंदी

अलवर के केंद्रीय कारागार में महिला बंदी इन दिनों बानदरवाल बना रही है. वहीं इन बानदरवाल को एक कंपनी की मदद से बाजार में बेचा जाएगा. साथ ही प्रतिदिन इस कार्य के बंदियों को पैसे दिए जा रहे हैं. बांदरवाल बनाने के कार्य में कैदी महिलाएं व्यस्त हुई है. इससे महिलाओं में आपस में होने वाली घटनाओं में भी कमी आई है.

Exercise to change the life of detainees in Alwar jail,Women captives are making Bandarwal,
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Published : Oct 4, 2019, 10:46 AM IST

अलवर. केंद्रीय जेल में बंदियों के व्यवहार में बदलाव लाने और उनके हृदय परिवर्तन के लिए जेल प्रशासन की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जेल में योगा, भजन, लाइब्रेरी, सहित कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिससे बंदियों की सोच में बदलाव लाया जा सके. इसके साथ ही बेहतर और आदर्श मार्ग पर चल सके.

जेल में महिला कैदी बना रहीं है बांदरवाल

इसी दिशा में जेल में बंद महिला बंदी इन दिनों बांदरवाल बना रही हैं. दिवाली और शादियों के सीजन में बांदरवाल की डिमांड बढ़ जाती है. इसलिए इन बानदरवाल को बाजार में कंपनी की मदद से बेचा जाएगा. प्रतिदिन बांदरवाल बनाने के कार्य में लगने वाली महिलाओं को मेहनताना भी दिया जा रहा है. इस कार्य में 20 से 25 महिला बंदी लगी हुई है. बता दें कि अलवर के केंद्रीय कारावास में 800 से अधिक बंदी बंद है. इस में विचाराधीन बंदी भी शामिल है.

य़े पढें: RCA का कौन बनेगा नया 'कप्तान', आज होगा फैसला

जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि कारागार में महिलाओं को कोई काम नहीं रहता और वे खाली बैठीं रहती हैं. ऐसे में किसी ना किसी बात को लेकर उनमें आए दिन झगड़े होते हैं. ऐसे में जेल प्रशासन को खासी परेशानी होती है. तो वहीं अन्य बंदियों को भी दिक्कत होती है. इसलिए जेल प्रशासन की तरफ से महिला बंदियों को बांदरवाल बनाने का काम दिलवाया गया है. इससे महिलाएं व्यस्त रहने लगी हैं व महिलाओं के बीच होने वाली घटनाओं में भी कमी आई है.

अलवर. केंद्रीय जेल में बंदियों के व्यवहार में बदलाव लाने और उनके हृदय परिवर्तन के लिए जेल प्रशासन की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जेल में योगा, भजन, लाइब्रेरी, सहित कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिससे बंदियों की सोच में बदलाव लाया जा सके. इसके साथ ही बेहतर और आदर्श मार्ग पर चल सके.

जेल में महिला कैदी बना रहीं है बांदरवाल

इसी दिशा में जेल में बंद महिला बंदी इन दिनों बांदरवाल बना रही हैं. दिवाली और शादियों के सीजन में बांदरवाल की डिमांड बढ़ जाती है. इसलिए इन बानदरवाल को बाजार में कंपनी की मदद से बेचा जाएगा. प्रतिदिन बांदरवाल बनाने के कार्य में लगने वाली महिलाओं को मेहनताना भी दिया जा रहा है. इस कार्य में 20 से 25 महिला बंदी लगी हुई है. बता दें कि अलवर के केंद्रीय कारावास में 800 से अधिक बंदी बंद है. इस में विचाराधीन बंदी भी शामिल है.

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जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि कारागार में महिलाओं को कोई काम नहीं रहता और वे खाली बैठीं रहती हैं. ऐसे में किसी ना किसी बात को लेकर उनमें आए दिन झगड़े होते हैं. ऐसे में जेल प्रशासन को खासी परेशानी होती है. तो वहीं अन्य बंदियों को भी दिक्कत होती है. इसलिए जेल प्रशासन की तरफ से महिला बंदियों को बांदरवाल बनाने का काम दिलवाया गया है. इससे महिलाएं व्यस्त रहने लगी हैं व महिलाओं के बीच होने वाली घटनाओं में भी कमी आई है.

Intro:अलवर
अलवर के केंद्रीय कारागार में महिला बंदी इन दिनों बानदरवाल बना रही है। इन बानदरवाल को एक कंपनी की मदद से बाजार में बेचा जाएगा। प्रतिदिन इस कार्य के बंदियों को पैसे दिए जा रहे हैं। बांदरवाल बनाने के कार्य में महिलाएं व्यस्त हुई है। इससे महिलाओं में आपस में होने वाली घटनाओं में कमी आई है।


Body:अलवर के केंद्रीय कार्यकाल में 800 से अधिक बंदी बंद है। इस में विचाराधीन बंदी भी शामिल है। बंदियों के व्यवहार में बदलाव करने व उनके हृदय परिवर्तन के लिए जेल प्रशासन की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जेल में योगा भजन लाइब्रेरी सहित कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिससे बंदियों की सोच में बदलाव हो सके। इसके साथ ही बेहतर व आदर्श मार्ग पर चल सके। इसी दिशा में जेल में बंद महिला बंदी इन दिनों बांदरवाल बना रही हैं। दिवाली व शादियों के सीजन में बांदरवाल की डिमांड बढ़ जाती है। इसलिए इन बानदरवाल को बाजार में कंपनी की मदद से बेचा जाएगा। प्रतिदिन बांदरवाल बनाने के कार्य में लगने वाली महिलाओं को मेहनताना भी दिया जा रहा है। इस कार्य में 20 से 25 महिला बंदी लगी हुई है।


Conclusion:जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि कारागार में महिलाएं फ्री रहती हैं। ऐसे में किसी ना किसी बात को लेकर उनमें आए दिन झगड़े होते हैं। ऐसे में जेल प्रशासन को खासी परेशानी होती है। तो वहीं अन्य बंदियों को भी दिक्कत होती है। इसलिए जेल प्रशासन की तरफ से महिला बंदियों को बांदरवाल बनाने का काम दिलवाया गया है। इससे महिलाएं व्यस्त रहने लगी हैं व महिलाओं के बीच होने वाली घटनाओं में भी कमी आई है।

बाइट-राजेंद्र सिंह, जेल अधीक्षक
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