अलवर. केंद्रीय जेल में बंदियों के व्यवहार में बदलाव लाने और उनके हृदय परिवर्तन के लिए जेल प्रशासन की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जेल में योगा, भजन, लाइब्रेरी, सहित कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिससे बंदियों की सोच में बदलाव लाया जा सके. इसके साथ ही बेहतर और आदर्श मार्ग पर चल सके.
इसी दिशा में जेल में बंद महिला बंदी इन दिनों बांदरवाल बना रही हैं. दिवाली और शादियों के सीजन में बांदरवाल की डिमांड बढ़ जाती है. इसलिए इन बानदरवाल को बाजार में कंपनी की मदद से बेचा जाएगा. प्रतिदिन बांदरवाल बनाने के कार्य में लगने वाली महिलाओं को मेहनताना भी दिया जा रहा है. इस कार्य में 20 से 25 महिला बंदी लगी हुई है. बता दें कि अलवर के केंद्रीय कारावास में 800 से अधिक बंदी बंद है. इस में विचाराधीन बंदी भी शामिल है.
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जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि कारागार में महिलाओं को कोई काम नहीं रहता और वे खाली बैठीं रहती हैं. ऐसे में किसी ना किसी बात को लेकर उनमें आए दिन झगड़े होते हैं. ऐसे में जेल प्रशासन को खासी परेशानी होती है. तो वहीं अन्य बंदियों को भी दिक्कत होती है. इसलिए जेल प्रशासन की तरफ से महिला बंदियों को बांदरवाल बनाने का काम दिलवाया गया है. इससे महिलाएं व्यस्त रहने लगी हैं व महिलाओं के बीच होने वाली घटनाओं में भी कमी आई है.