अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना का बहुप्रतिक्षित इको सेंसेटिव जोन का ड्राफ्ट पब्लिकेशन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी कर दिया गया है. अब सरिस्का के जीरो से एक किलोमीटर दायरे में खनन नहीं हो सकेगा. सरकार की तरफ से 10 किलोमीटर के दायरे में मार्बल और लाल पत्थर की खान बंद करने की योजना थी. इससे हजारों लोग डरे हुए थे, अब सभी को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने 10 किलोमीटर दूरी को घटाकर एक किलोमीटर कर दिया है.
प्रारूप अधिसूचना जारी होने की तिथि से 60 दिन में लोग अपने सुझाव और आपत्ति प्रस्तुत कर सकेंगे. प्रस्तावित इको सेंसेटिव जोन को ही यदि अंतिम रूप दिया गया. सरिस्का टाइगर रिजर्व के 0 मीटर से एक किलोमीटर के दायरे में वैध एवं अवैध खनन गतिविधियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा.
पहले 10 किमी क्षेत्र में प्रतिबंधित किया था खनन
पूर्व में नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड एवं स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की ओर से सरिस्का से 10 किलोमीटर क्षेत्र में खनन क्षेत्र प्रतिबंधित किया गया था. सरिस्का बाघ परियोजना के इको सेंसेटिव जोन का निर्धारण करीब 14 साल से लंबित था. इस कारण सरिस्का व ग्रामीणों के बीच विवाद की स्थिति बनी रहती थी.
इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से सबसे ज्यादा खनन क्षेत्र प्रभावित था. 10 किलोमीटर क्षेत्र में टहला, थानागाजी और आसपास के गांवों में 150 से अधिक पत्थर और मार्बल की खाने प्रभावित हो रही थी. इनमें काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार होते अगर सरकार की तरफ से इन को बंद किया जाता.
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इको सेंसेटिव जोन 0-1 किमी
इको सेंसेटिव जोन का विस्तार सरिस्का बाघ रिजर्व के चारों ओर 0 से 1 किलोमीटर तक फैला हुआ है. इको सेंसेटिव जोन का क्षेत्रफल 207.77 वर्ग किलोमीटर है. राज्य सरकार की ओर से दी गई सूचना के अनुसार राजगढ़, टहला क्षेत्र में बाघ रिजर्व का बफर क्षेत्र एक किलोमीटर है और अलवर शहर वन सीमा के निकट विद्यमान है. इसलिए इको सेंसेटिव जोन का विस्तार अलवर शहर के समीप शून्य है. वहीं जमवारामगढ़ में यह सीमा शून्य रहेगी.
इको सेंसेटिव जोन में इस पर रहेगी रोक
इको सेंसेटिव जोन में वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन और अपघर्षण इकाइयों पर प्रतिबंधित रहेंगी. वहीं प्रदूषण उत्पन्न करने वाले उद्योग नहीं लगाए जा सकेंगे. बड़ी जल विद्युत परियोजना की स्थापना, परिसंकटमय पदार्थ का प्रयोग, उत्पादन और प्रस्संकरण, प्राकृतिक जल निकायों या भूमि क्षेत्र में अनुपचारित बहिस्रावों का निस्सरण को प्रतिबंंधित किया गया है.
वहीं ईंट भट्टों की स्थापना और पॉलीथिन बैग के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है. इसके अलावा जलाने और वाणिज्यिक उपयोग के लिए लकड़ी के उपयोग पर रोक रहेगी. कंटीजेंसी जोन क्षेत्र के ऊपर से गर्म वायु के गुब्बारे, हेलीकाप्टर, ड्रोन और माइक्रोलाइट्स उड़ाने पर प्रतिबंध रहेगा. इसके अलावा नई और चालू आरा मिलों का विस्तार नहीं किया जा सकेगा. होटलों का निर्माण नहीं हो सकेगा.
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वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पारिस्थितिक पर्यटन क्रियाकलापों के लिए लघु अस्थायी संरचनाओं के निर्माण के अलावा संरक्षित क्षेत्र की सीमा से एक किलोमीटर के भीतर या कंटीजेंसी जोन की सीमा तक, इनमें जो भी अधिक निकट हो, नए वाणिज्यिक होटलों और रिर्सोटों की स्थापना नहीं हो सकेगी.
निगरानी समिति बनेगी
अधिसूचना के उपबंधों की प्रभावी निगरानी के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में निगरानी समिति का गठन किया जाएगा. इसमें 10 अन्य सदस्य भी शामिल होंगे.
10 किलोमीटर एरिया में चलती हैं 150 खान
खनन विभाग के आकड़ों पर नजर डालें तो सरिस्का के 10 किलोमीटर के दायरे में मार्बल पत्थर की 150 से अधिक खान हैं. अलवर का मार्बल पूरे देश में सप्लाई होता है. यह मार्बल कोटा और अन्य जगह के मार्बल से क्वालिटी में थोड़ा कमजोर है. इसलिए इसकी कीमत भी कम रहती है और इसकी डिमांड भी अन्य जगह के मार्बल से ज्यादा रहती है. इन खानों में हजारों लोग काम करते हैं. जिनकी रोजी-रोटी या मेहनत मजदूरी करके चलती है.