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अलवर : प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांग हो रहे परेशान, 14 हजार से अधिक आवेदन पेंडिंग

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Published : Oct 23, 2020, 5:56 PM IST

कोरोना काल में जहां सभी लोग परेशान हुए, तो वहीं इस दौरान दिव्यांगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. जिले में 14 हजार 500 दिव्यांगों को दिव्यांगता का प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है. सीएमएचओ द्वारा 10 महीनों में 7 बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी डॉक्टरों ने आवेदनों की पेंडेंसी समाप्त नहीं की है. इसका सीधा असर आम दिव्यांगों पर पड़ा है.

Disability Certificate in Alwar, Disabilities Application Pending in Alwar
दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांग हो रहे परेशान

अलवर. कोरोना महामारी से हर कोई प्रभावित हुआ है. 6 महीने तक पूरा देश लॉकडाउन रहा. लाखों लोगों के रोजगार छूट गए, तो वहीं देश की अर्थव्यवस्था लगातार खराब हुई. दिव्यांग लोग भी कोरोना महामारी से खासे प्रभावित हुए. अलवर में कोरोना के चलते 14 हजार 500 दिव्यांग, दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं.

दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांग हो रहे परेशान

जिले में 50,000 से अधिक दिव्यांगों ने प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 30,000 से अधिक दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बन चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी लगातार दिव्यांगों की संख्या बढ़ रही है. राजस्थान में सबसे ज्यादा दिव्यांग अलवर जिले में रजिस्टर्ड हुए हैं. अभी तक अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में सोमवार और गुरुवार को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाते थे, लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते इस व्यवस्था में बदलाव किया गया है. अस्पताल के हड्डी विभाग में इस समय केवल एक डॉक्टर है. इसलिए प्रमाण पत्र बनवाने में खासी दिक्कत होती है.

जिले में सबसे ज्यादा आवेदन थानागाजी में पेंडिंग हैं, जबकि सबसे कम आवेदन मुंडावर में हैं. बानसूर में 1083, बहरोड़ में 433, खेड़ली में 914, किशनगढ़बास में 1796, कोटकासिम में 162, लक्ष्मणगढ़ में 645, मालाखेड़ा में 1173, मुंडावर में एक, राजगढ़ में 1172, रामगढ़ में 379, रेणी में 1145, शाजापुर में 6, थानागाजी में 2583, तिजारा में 899, अलवर शहर में 138 आवेदन पेंडिंग हैं. दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण दिव्यांग व उनके परिजन खासे परेशान हैं. वहीं उनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में लगातार दिव्यांग अस्पताल में चक्कर लगा रहे हैं.

पढ़ें- Special: कोरोना की चपेट में रावण, कारीगरों की कमाई पर कोरोना राक्षस का संकट

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी की तरफ से कई बार सामान्य अस्पताल प्रशासन व डॉक्टरों को प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए गए, लेकिन डॉक्टरों की तरफ से अभी तक आदेश की पालना नहीं की गई है. वहीं राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि डॉक्टरों की कमी के चलते कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था अस्पताल में शुरू कर दी जाएगी. शुरुआत में कोरोना के चलते प्रमाण पत्र पढ़ने का काम रुक गया था. उसके बाद स्टाफ की कमी हो गई थी.

अलवर. कोरोना महामारी से हर कोई प्रभावित हुआ है. 6 महीने तक पूरा देश लॉकडाउन रहा. लाखों लोगों के रोजगार छूट गए, तो वहीं देश की अर्थव्यवस्था लगातार खराब हुई. दिव्यांग लोग भी कोरोना महामारी से खासे प्रभावित हुए. अलवर में कोरोना के चलते 14 हजार 500 दिव्यांग, दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं.

दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांग हो रहे परेशान

जिले में 50,000 से अधिक दिव्यांगों ने प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 30,000 से अधिक दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बन चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी लगातार दिव्यांगों की संख्या बढ़ रही है. राजस्थान में सबसे ज्यादा दिव्यांग अलवर जिले में रजिस्टर्ड हुए हैं. अभी तक अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में सोमवार और गुरुवार को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाते थे, लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते इस व्यवस्था में बदलाव किया गया है. अस्पताल के हड्डी विभाग में इस समय केवल एक डॉक्टर है. इसलिए प्रमाण पत्र बनवाने में खासी दिक्कत होती है.

जिले में सबसे ज्यादा आवेदन थानागाजी में पेंडिंग हैं, जबकि सबसे कम आवेदन मुंडावर में हैं. बानसूर में 1083, बहरोड़ में 433, खेड़ली में 914, किशनगढ़बास में 1796, कोटकासिम में 162, लक्ष्मणगढ़ में 645, मालाखेड़ा में 1173, मुंडावर में एक, राजगढ़ में 1172, रामगढ़ में 379, रेणी में 1145, शाजापुर में 6, थानागाजी में 2583, तिजारा में 899, अलवर शहर में 138 आवेदन पेंडिंग हैं. दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण दिव्यांग व उनके परिजन खासे परेशान हैं. वहीं उनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसे में लगातार दिव्यांग अस्पताल में चक्कर लगा रहे हैं.

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इस संबंध में मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी की तरफ से कई बार सामान्य अस्पताल प्रशासन व डॉक्टरों को प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए गए, लेकिन डॉक्टरों की तरफ से अभी तक आदेश की पालना नहीं की गई है. वहीं राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि डॉक्टरों की कमी के चलते कुछ दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था अस्पताल में शुरू कर दी जाएगी. शुरुआत में कोरोना के चलते प्रमाण पत्र पढ़ने का काम रुक गया था. उसके बाद स्टाफ की कमी हो गई थी.

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