अलवर. देश के कई बड़े शहरों से जुड़ने के साथ ही अब लोगों को दिल्ली और जयपुर का सफर तय करने में कम समय लगेगा. अलवर जिले में एक्सप्रेस वे का कार्य लगभग 98 प्रतिशत से ज्यादा पूरा हो चुका है, केवल रेस्ट वे में बिल्डिंग निर्माण आदि का कार्य जारी है. दिल्ली और जयपुर एक्सप्रेस वे (Delhi Mumbai Expressway) शुरू होने के बाद पिनान और शीतल से दिल्ली की दूरी भी कम रह जाएगी. वाहनों की रफ्तार बढ़ने से दिल्ली और जयपुर की दूरी कम होने के साथ ही समय भी बच सकेगा.
हर 40-45 किलोमीटर की दूरी पर होगा रेस्ट वे: आगामी एक-दो महीने में दिल्ली मुम्बई एक्सप्रेस वे गुरूग्राम से दौसा तक शुरू किया जा सकता है. यहां ज्यादातर निर्माण कार्य हो चुका है. एक्सप्रेस वे पर हर 40 से 45 किलोमीटर की दूरी पर रेस्ट वे बनाए गए हैं. इन रेस्ट वे पर ट्रोमा सेंटर, होटल, ढाबा, दुकानें, पेट्रोल पम्प, कृत्रिम झील सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण जारी है. ये रेस्ट वे करीब 8 हैक्टेयर क्षेत्र में बनाए जाएंगे.
दिल्ली में लग रहा है समय: दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे के पैकेज वन के तहत दिल्ली में गुरूग्राम तक निर्माण कार्य होना बाकि है. पैकेज के तहत दिल्ली के पास रेलवे फ्लाइओवर का कार्य अभी नहीं हो पाया है, इस कारण अलवर का दिल्ली से सीधा जुड़ाव नहीं हो सका है. लेकिन पैकेज द्वितीय के तहत ग्रुरूग्राम से नूंह तक कार्य लगभग हो पूरा हो चुका है. वाहन चालक अब जिले के शीतल या पिनान से चढकर गुरूग्राम और दौसा जिले के भांडारेज या लालसोट तक आसानी से पहुंच सकेंगे. वहां से वाहन चालक दिल्ली और जयपुर का मार्ग पकड़ कर जल्द पहुंच सकेंगे.
कार की 120 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी: रफ्तार के शौकीन लोगों के लिए ये अच्छी खबर है. दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर कार की अधिकतम रफ़्तार 120 किलोमीटर निर्धारित की गई है. ऐसे में कार सवार तेज रफ्तार में एक्सप्रेस वे पर कार चला सकेंगे. हालांकि वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन करना होगा. एक्सप्रेस वे पर कैमरे लगे होंगे, जिनकी मदद से ऑटोमेटिक चालान की सुविधा भी रहेगी.
विकास को मिलेगी नई रफ्तार: एक्सप्रेस वे के शुरू होते ही अलवर और आसपास क्षेत्र के विकास को नई रफ्तार मिलेगी. एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ होटल, रेस्टोरेंट, औद्योगिक इकाई, टाउनशिप डिवेलप की जाएंगी. जिसके चलते युवाओं को रोजगार मिलेगा, साथ ही विकास के नए आयाम भी होंगे. अलवर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी है. ऐसे में अलवर की औद्योगिक इकाइयों में तैयार होने वाला माल महानगरों में जा सकेगा. साथ ही कच्चा माल भी आसानी से अलवर पहुंच सकेगा.