अलवर. जिले के केंद्रीय कारागार में बंद कैदी फिनाइल बनाने का काम कर रहे है. जो जल्द ही बाजारों में भी नजर आएगा. इससे पहले कैदी दरी पट्टी सहित पारंपरिक सामान बनाते थे. लेकिन दरी पट्टी की मांग कम हो गई. जिसके बाद अब कैदी फिनाइल बना रहे है. जेल अधीक्षक ने कहा कि ये फिनाइल बाजार में मिलने वाले फिनाइल से बेहतर होगा.
अलवर के केंद्रीय कारागार में इस समय 890 कैदी बंद हैं. जेल में अभी तक बंदी दरी, पट्टी सहित पारंपरिक सामान बनाते थे. लेकिन, लगातार दरी, पट्टियों की कम होती डिमांड के कारण इसकी खपत नहीं हो पाती है. इसलिए जेल प्रशासन की तरफ से नवाचार करते हुए स्वरोजगार को बढ़ाने के लिए अलवर के केंद्रीय कारागार में बंदियों से इन दिनों साफ सफाई में काम आने वाली फिनाइल बनवाई जा रही है. ये फिनायल जल्द ही बाजार में नजर आएगी.
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जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने कहा कि जेल में जितनी फिनाइल की आवश्यकता होती है. उतनी फिनाइल बन चुकी है. अब बाजार के हिसाब से फिनाइल तैयार कराई जा रही है. जल्द ही स्थानीय मेलों में जेल प्रशासन की तरफ से स्टॉल लगाई जाएगी. इसके अलावा जेल के स्वागत कक्ष के पास काउंटर लगाकर जेल में बनी हुई फिनाइल का वितरण किया जाएगा. अभी फिनाइल की कीमत निर्धारित नहीं की गई है.
उन्होंने कहा की फिनाइल बाजार में बिकने वाली अन्य सामान्य फिनायल की तुलना में गुणवत्ता में बेहतर होगी और इसकी कीमत भी कम होगी. क्योंकि जेल प्रशासन का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है. इसलिए लोगों को सस्ते दामों में बेहतर फिनाइल मिल सकेगा. इससे बंदियों को भी खासा फायदा होगा. उनका अच्छा समय व्यतीत होगा. क्योंकि बंदी दिनभर टीवी देखते है और इधर से उधर बैठे रहते हैं.
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इस दौरान उन्होंने बताया कि अभी इस काम में 6 से 7 बंदियों को लगाया गया है, लेकिन अन्य को भी ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया चल रही है. जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को दिए जाने वाले काम का पैसा भी इस फिनाइल को बेचकर आ सकेगा. जेल अधीक्षक ने कहा कि इसके अलावा भी केंद्रीय कारागार में कई अन्य प्रोडक्ट बनाने का काम चल रहा है.