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अलवर : कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी में जुटा प्रशासन, प्रयासों के बाद भी कम पड़े रहे संसाधन

कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश में जमकर कोहराम मचाया था. इससे सीख लेते हुए अलवर प्रशासन इस बार पहले से ही कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियां कर रहा है.

Preparations for third wave started in Alwar, अलवर में तीसरी लहर की तैयारी शुरू
अलवर में तीसरी लहर की तैयारी शुरू
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Published : Jul 13, 2021, 10:04 AM IST

अलवर. कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण की रफ्तार मंद होने के बाद भी अलवर जिला तीसरी लहर के खतरे की आशंका से मुक्त नहीं हो सका है. अब भले ही जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या शून्य रही हो, लेकिन दूसरी लहर की भयावहता को प्रशासन भूल नहीं पाया है. यही कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर के पीक को आधार मानकर प्रशासन ने संभावित तीसरी लहर की तैयारी शुरू की है.

अलवर जिला पिछले करीब डेढ़ साल में अब तक कोरोना संक्रमण की दो लहर झेल चुका है. पहली लहर भले ही लोगों के लिए डरावनी रही हो, लेकिन नुकसान की दृष्टि से कम रही. जिले में कोरोना की पहल लहर मार्च 2020 से शुरू होकर फरवरी तक रही. इस दौरान जिले में 22 हजार 110 संक्रमित मिले और 90 लोगों को कोरोना के चलते जान गंवानी पड़ी.

अलवर में तीसरी लहर की तैयारी शुरू

पढे़ं- आसमानी आफत की मारः जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने से 2 महिलाओं की मौत, एक घायल

वहीं इस साल 22 मार्च से कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शुरू हुआ, जो कि अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर अलवर जिले के लिए नुकसानदेह रही, इस दौरान 37 हजार 561 संक्रमित मिले और 291 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. कुछ ऐसे ही अनुभवों को देख प्रशासन ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव की कार्य योजना बनाई है.

कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए प्रशासन का फोकस ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की उपलब्धता पर है. इसका कारण है कि दूसरी लहर में मरीजों के इलाज में सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन को लेकर हुई. सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की मारामारी रही, कई लोगों को ऑक्सीजन की कमी के चलते जान भी गंवानी पड़ी. वहीं संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड कम पड़ गए. दूसरी लहर में अलवर जिले में ऑक्सीजन की जरूरत 20 किलोलीटर की रही, लेकिन मिल पाई केवल 7-8 किलोलीटर ही.

इस कारण तीसरी लहर के लिए प्रशासन जिले में 50 किलोलीटर ऑक्सीजन की उपलब्धता के प्रयास में है. वहीं अस्पतालों में बेड की संख्या भी बढ़ाकर 2500 से तीन हजार करने के प्रयास हैं.

कोरोना की पहली लहर में जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेड की संख्या 600 से 650 थी. वहीं दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड़ की संख्या बढ़ाकर 1300 से 1350 तक की गई. अब संभावित तीसरी लहर के लिए बेडों की संख्या बढ़ाकर 3 हजार तक पहुंचाने के प्रयास हैं. वहीं आइसीयू बेड को 30 से बढ़ाकर 60 से ज्यादा करने के प्रयास हैं. सरकार को भेजी कार्ययोजना में जिले में 71 आइसीयू बेड की जरूरत बताई गई है.

पढ़ें- SDRI ने 1113 करोड़ रुपये की पकड़ी राजस्व चोरी...हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का मामला

कोरोना काल में अलवर जिले में एक्टिव केस का अधिकतम आंकड़ा 15 हजार 400 से ज्यादा रहा. वहीं अस्पतालों में भर्ती मरीजों का अधिकतम आंकड़ा 1350 को पार कर गया. यही कोरोना की दूसरी लहर का पीक रहा. चिकित्सा विभाग की संभावना के अनुसार दूसरी लहर के पीक से ज्यादा तीसरी लहर के पहुंचने की उम्मीद कम है. इस कारण आगामी अगस्त- सितम्बर में संभावित तीसरी लहर से बचाव की तैयारियों भी दूसरी लहर के पीक को आधार मान शुरू की गई है.

अलवर. कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण की रफ्तार मंद होने के बाद भी अलवर जिला तीसरी लहर के खतरे की आशंका से मुक्त नहीं हो सका है. अब भले ही जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या शून्य रही हो, लेकिन दूसरी लहर की भयावहता को प्रशासन भूल नहीं पाया है. यही कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर के पीक को आधार मानकर प्रशासन ने संभावित तीसरी लहर की तैयारी शुरू की है.

अलवर जिला पिछले करीब डेढ़ साल में अब तक कोरोना संक्रमण की दो लहर झेल चुका है. पहली लहर भले ही लोगों के लिए डरावनी रही हो, लेकिन नुकसान की दृष्टि से कम रही. जिले में कोरोना की पहल लहर मार्च 2020 से शुरू होकर फरवरी तक रही. इस दौरान जिले में 22 हजार 110 संक्रमित मिले और 90 लोगों को कोरोना के चलते जान गंवानी पड़ी.

अलवर में तीसरी लहर की तैयारी शुरू

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वहीं इस साल 22 मार्च से कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शुरू हुआ, जो कि अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर अलवर जिले के लिए नुकसानदेह रही, इस दौरान 37 हजार 561 संक्रमित मिले और 291 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. कुछ ऐसे ही अनुभवों को देख प्रशासन ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव की कार्य योजना बनाई है.

कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए प्रशासन का फोकस ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की उपलब्धता पर है. इसका कारण है कि दूसरी लहर में मरीजों के इलाज में सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन को लेकर हुई. सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की मारामारी रही, कई लोगों को ऑक्सीजन की कमी के चलते जान भी गंवानी पड़ी. वहीं संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड कम पड़ गए. दूसरी लहर में अलवर जिले में ऑक्सीजन की जरूरत 20 किलोलीटर की रही, लेकिन मिल पाई केवल 7-8 किलोलीटर ही.

इस कारण तीसरी लहर के लिए प्रशासन जिले में 50 किलोलीटर ऑक्सीजन की उपलब्धता के प्रयास में है. वहीं अस्पतालों में बेड की संख्या भी बढ़ाकर 2500 से तीन हजार करने के प्रयास हैं.

कोरोना की पहली लहर में जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेड की संख्या 600 से 650 थी. वहीं दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड़ की संख्या बढ़ाकर 1300 से 1350 तक की गई. अब संभावित तीसरी लहर के लिए बेडों की संख्या बढ़ाकर 3 हजार तक पहुंचाने के प्रयास हैं. वहीं आइसीयू बेड को 30 से बढ़ाकर 60 से ज्यादा करने के प्रयास हैं. सरकार को भेजी कार्ययोजना में जिले में 71 आइसीयू बेड की जरूरत बताई गई है.

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कोरोना काल में अलवर जिले में एक्टिव केस का अधिकतम आंकड़ा 15 हजार 400 से ज्यादा रहा. वहीं अस्पतालों में भर्ती मरीजों का अधिकतम आंकड़ा 1350 को पार कर गया. यही कोरोना की दूसरी लहर का पीक रहा. चिकित्सा विभाग की संभावना के अनुसार दूसरी लहर के पीक से ज्यादा तीसरी लहर के पहुंचने की उम्मीद कम है. इस कारण आगामी अगस्त- सितम्बर में संभावित तीसरी लहर से बचाव की तैयारियों भी दूसरी लहर के पीक को आधार मान शुरू की गई है.

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