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सिस्टम की 'राह' : श्मशान घाट के रास्ते में 3 KM तक कीचड़ और फिसलन...अर्थी को कंधा देकर चल रहा परिजन फिसलकर गिरा - mud on the way

इस गांव में मौत के बाद भी इंसान को सुकून से श्मशान घाट तक पहुंचने की सुविधा नहीं है. ये तंजभरी तस्वीर है राजस्थान के ग्रामीण विकास की. बानसूर के इस गांव में अर्थी को कंधा देकर चलने वाले लोगों को 3 किलोमीटर तक कीचड़ में संतुलन बनाकर चलना होता है. कई बार ये कोशिश नाकाम भी हो जाती है.

श्मशान की राह में कीचड़
श्मशान की राह में कीचड़
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Published : Jul 27, 2021, 6:07 PM IST

Updated : Jul 27, 2021, 7:10 PM IST

बानसूर (अलवर). जीवन के सफर में कितने ही कांटे क्यों न हों, लेकिन अंतिम सफर सुकून के साथ होना चाहिए. बात है शव-यात्रा की. बानसूर कस्बे के गांव पापड़दा की ढाणी बुजी में श्मशान घाट पहुंचने वाले रास्ते पर कीचड़ का दरिया है. मंगलवार को शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाते समय एक ग्रामीण फिसलकर कीचड़ में जा गिरा.

इलाके में कितना विकास हुआ है, इसकी पोल खोलती ये तस्वीर मानवता के लिहाज से भी शर्मसार करने वाली है. मामला बानसूर की ग्राम पंचायत हाजीपुर के राजस्व गांव पापड़दा की ढाणी बुजी का है. यहां के लोगों के लिये शव-यात्रा में शामिल होना कष्टप्रद है. गांव से श्मशान घाट जाने वाले रास्ते में करीब 3 किलोमीटर तक कीचड़ है.

ये तस्वीर सिस्टम पर एक तंज है...

आज सुबह बारिश होने के बाद अर्थी को श्मशान घाट तक ले जा रहे ग्रामीणों में से कंधा देने वाला एक परिजन फिसल कर पानी में गिर पड़ा. गनीमत रही कि अर्थी जमीन पर नहीं गिरी. इस घटना के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.

पढ़ें- मरने के बाद अपनों ने छोड़ा, पुलिस ने अर्थी को कंधा देकर किया अंतिम संस्कार

स्थानीय निवासी आर.सी यादव ने बताया कि यहां तकरीबन 20 घरों की बस्ती है. श्मशान की ओर जाने वाले रास्ते को ठीक कराने के लिए बार-बार स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन इसकी सुध नहीं ली गई है. 15 साल पहले स्थानीय पंच ने इस रास्ते को नरेगा के तहत मिट्टी डलवा कर सही कराया था. लेकिन बारिश के कारण रास्ते भर में गड्ढे हो गए हैं और कीचड़ की वजह से हादसे होते रहते हैं. कीचड़ के बीच से संतुलन बनाते हुए अर्थी लेकर निकलना वाकई बहुत मुश्किल और जोखिम भरा काम है. इससे लोगों की भावनाओं को भी ठेस लगती है.

स्थानीय लोग शव यात्रा के दौरान व्यक्ति के फिसलने की घटना से आक्रोशित हैं. उन्होंने इस रास्ते के निर्माण की मांग उठाई है. पहाड़ी के ढलान में होने के कारण इस बस्ती में बारिश के दौरान पानी कच्चे रास्तों पर जमा हो जाता है और फिसलन हो जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि पक्का रास्ता बनाने के लिए वे कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं.

बानसूर (अलवर). जीवन के सफर में कितने ही कांटे क्यों न हों, लेकिन अंतिम सफर सुकून के साथ होना चाहिए. बात है शव-यात्रा की. बानसूर कस्बे के गांव पापड़दा की ढाणी बुजी में श्मशान घाट पहुंचने वाले रास्ते पर कीचड़ का दरिया है. मंगलवार को शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाते समय एक ग्रामीण फिसलकर कीचड़ में जा गिरा.

इलाके में कितना विकास हुआ है, इसकी पोल खोलती ये तस्वीर मानवता के लिहाज से भी शर्मसार करने वाली है. मामला बानसूर की ग्राम पंचायत हाजीपुर के राजस्व गांव पापड़दा की ढाणी बुजी का है. यहां के लोगों के लिये शव-यात्रा में शामिल होना कष्टप्रद है. गांव से श्मशान घाट जाने वाले रास्ते में करीब 3 किलोमीटर तक कीचड़ है.

ये तस्वीर सिस्टम पर एक तंज है...

आज सुबह बारिश होने के बाद अर्थी को श्मशान घाट तक ले जा रहे ग्रामीणों में से कंधा देने वाला एक परिजन फिसल कर पानी में गिर पड़ा. गनीमत रही कि अर्थी जमीन पर नहीं गिरी. इस घटना के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.

पढ़ें- मरने के बाद अपनों ने छोड़ा, पुलिस ने अर्थी को कंधा देकर किया अंतिम संस्कार

स्थानीय निवासी आर.सी यादव ने बताया कि यहां तकरीबन 20 घरों की बस्ती है. श्मशान की ओर जाने वाले रास्ते को ठीक कराने के लिए बार-बार स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन इसकी सुध नहीं ली गई है. 15 साल पहले स्थानीय पंच ने इस रास्ते को नरेगा के तहत मिट्टी डलवा कर सही कराया था. लेकिन बारिश के कारण रास्ते भर में गड्ढे हो गए हैं और कीचड़ की वजह से हादसे होते रहते हैं. कीचड़ के बीच से संतुलन बनाते हुए अर्थी लेकर निकलना वाकई बहुत मुश्किल और जोखिम भरा काम है. इससे लोगों की भावनाओं को भी ठेस लगती है.

स्थानीय लोग शव यात्रा के दौरान व्यक्ति के फिसलने की घटना से आक्रोशित हैं. उन्होंने इस रास्ते के निर्माण की मांग उठाई है. पहाड़ी के ढलान में होने के कारण इस बस्ती में बारिश के दौरान पानी कच्चे रास्तों पर जमा हो जाता है और फिसलन हो जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि पक्का रास्ता बनाने के लिए वे कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Last Updated : Jul 27, 2021, 7:10 PM IST
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