अलवर. प्रदेशभर में बच्चों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. तो वहीं प्रदेश सरकार लगातार हो रही बच्चों मौतों से हिल चुकी है. केंद्र सरकार और कांग्रेस के केंद्रीय संगठन की तरफ से प्रदेश सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा गया है. उसके बाद भी प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. एफबीएनसी वार्ड के रेडिएंट वार्मर मामले की जांच पड़ताल के बाद सामने आया कि अलवर के शिशु अस्पताल के एफबीएनसी वार्ड में 20 रेडिएंट वार्मर में से 17 की समय सीमा समाप्त हो गई है.
कुछ दिन पहले अलवर के गीतानंद शिशु अस्पताल स्थित एफबीएनसी वार्ड में सुबह के समय अचानक एक रेडियंट वार्मर में आग लग गई. देखते ही देखते आग पूरे वार्ड में फैलने लगी और इसी दौरान वार्ड की लाइट चली गई. ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों ने एफबीएनसी में भर्ती 15 बच्चों को दूसरी तरफ शिफ्ट किया. जिस रेडिएंट वार्मर में आग लगी थी, उस पर लेटी एक बच्ची झुलस गई. बच्ची ने जयपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. उसके बाद अलवर में परिजनों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया.
वहीं, सरकार की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष से परिजनों को 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई. स्वास्थ्य मंत्री सहित कई नेताओं की इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया भी आई. मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के प्रभारी ड्यूटी डॉक्टर सहित 7 लोगों को निलंबित कर दिया. लेकिन उस घटना से स्वास्थ्य विभाग ने कोई सबक नहीं लिया है. इस मामले में ईटीवी भारत एक बड़ा खुलासा करने जा रहा है.
दरअसल, मामले की जांच पड़ताल में पता चला कि एफबीएनसी वार्ड में कुल 20 रेडिएंट वार्मर अभी काम में लिए जा रहे हैं. इनमें से केवल 3 वार्मर 1 से 2 साल पुराने हैं, जबकि अन्य 17 वार्मर 11 से 12 साल पुराने हैं. जबकि स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की मानें तो एक रेडिएंट वार्मर 7 से 8 साल चलता है. उसके बाद वार्मर को खराब घोषित कर दिया जाता है और उसमें किसी भी तरह की परेशानी हो सकती है. इन सबके बाद भी अलवर में खुलेआम इन वार्मर को काम में लिया जा रहा है. ऐसे में किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
पढ़ें- कोटा में बच्चों की मौत शर्मनाक, नेता अखबार में छपने के लिए जा रहे अस्पताल: हनुमान बेनीवाल
हालांकि, स्वास्थय विभाग की तरफ से रेडिएंट वार्मर की जांच पड़ताल का काम शुरू किया गया है. हाल ही में घटना के बाद तकनीकी विशेषज्ञों ने 2 रेडिएंट वार्मर को खराब घोषित कर दिया है, जिनको एफबीएनसी से हटा दिया गया है. तो वहीं आग की घटना के दौरान एक वार्मर जल गया था. नियम के हिसाब से तय समय अवधि पूरी होने के बाद रेडिएंट वार्मर को काम में नहीं लेना चाहिए. आग लगने की घटना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इस मामले में पूरी लापरवाही बरती जा रही है.