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गरीब नवाज का वो जन्नती दरवाजा जहां होती है रहमत की बारिश, यहां पूरी होती है हर अर्जी

ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में देखिए जन्नती दरवाजा और उसके बाहर बांधे जाने वाले धागे की कहानी

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Published : Feb 29, 2020, 6:32 PM IST

Khwaja Moinuddin Chishti Dargah, Jannati Darwaja
जन्नती दरवाजा और उसके बाहर बांधे जाने वाले धागे की कहानी

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 808वां उर्स परवान पर है. ऐसा कहा जाता है के उसमें ख्वाजा साहब अपने चाहने वालों पर रहमत की बारिश करते हैं और इसलिए इस दौरान बड़ी संख्या में जायरीन ख्वाजा के दर पर पहुंचते हैं और अपना मन्नती धागा बांधते हैं. साथ ही उर्स में आने वाले जायरीन के लिए आकर्षण का केंद्र वो दरवाजा भी होता है जिसके बारे में धार्मिक मान्यता है कि जो एक बार इस दरवाजे से गुजर जाता है, उसे जन्नत मिलती है.

पढ़ें: दरगाह के पास ही है ख्वाजा गरीब नवाज की बीवियों की मजार, जियारत करना नहीं भूलते जायरीन

जन्नती दरवाजे और मन्नती धागे की कहानी

किसी अर्जी पर कोर्ट में होने वाली सुनवाई में अपनी जीत की मुराद लिखी हुई है, तो किसी अर्जी में लंबे समय से ग्रसित लाइलाज बीमारी से बचाने की मुराद है. ऐसी कई दिली मुरादे है जो जायरीन ख्वाजा की दरगाह में अर्जियों और धागों के रूप में बांधकर जाते है और मन्नत पूरी होने पर धागा खोलने भी आते है.

जन्नती दरवाजा और उसके बाहर बांधे जाने वाले धागे की कहानी

जरूर पूरी होती है हर मन्नत

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर यहां मन्नते धागा बांधा जाता है और उसके साथ लिखी जाती है अपनी एक अर्जी. मान्यता है कि आपकी मुराद पूरी होने के बाद जायरीन फिर से दरगाह पहुंचता है और यहां मन्नती धागे को खोलते हुए दरगाह पर अपने द्वारा बोली गई भेंट पेश करता है. स्थानीय लोगों की माने तो दरगाह के बाहर बांधे जाने वाले धागे और लिखी जाने वाली अर्जी भले ही देर से ही सही लेकिन उनकी मन्नत पूरी होती जरूर है.

पढ़ें: अजमेर में बहती है गंगा-जमुनी तहजीब की रसधारा...ब्रह्मा की नगरी में खिला गुलाब, महकता है ख्वाजा के दर पर

दरगाह में आने वाली जायरीन के लिए ख्वाजा से जुड़ी हर चीज पवित्र है. इसमें आस्ताने शरीफ के भीतर जाने वाला जन्नती दरवाजा जायरीन के लिए खासा महत्व रखता. बताया जाता है कि जन्नती दरवाजा साल में 4 मर्तबा खोला जाता है. उर्स की शुरुआत से ही जन्नती दरवाजा खोला जाता है, जो छठी शरीफ तक खुला रहता है. इस दौरान आने वाले जायरीन जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताने शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करते है.

पढ़ें: ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट से जन्मी है कव्वाली, सूफी का साथ बनाता है इसे रुहानी

मान्यता है कि जन्नती दरवाजे से होकर ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने पर अकीदतमंद को जन्नत नसीब होती है. यही वजह है कि जन्नती दरवाजे से होकर गुजरने की लाइनों में होड़ मची रहती है. ख्वाजा के दर पर पहुंचने वाले जायरीन में ज्यादा संख्या उन जायरीन की है, जो देश में अमन और शांति की कामना करते हैं, फिर चाहे वह हैदराबाद के किसी कोने से आने वाले हो या फिर कोलकाता से सभी की मुराद है कि देश में अमन भाईचारा सद्भावना बनी रहे. किसी भी राजनीतिक स्वार्थ के बीच देश में अशांति का माहौल ना पनपे.

अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 808वां उर्स परवान पर है. ऐसा कहा जाता है के उसमें ख्वाजा साहब अपने चाहने वालों पर रहमत की बारिश करते हैं और इसलिए इस दौरान बड़ी संख्या में जायरीन ख्वाजा के दर पर पहुंचते हैं और अपना मन्नती धागा बांधते हैं. साथ ही उर्स में आने वाले जायरीन के लिए आकर्षण का केंद्र वो दरवाजा भी होता है जिसके बारे में धार्मिक मान्यता है कि जो एक बार इस दरवाजे से गुजर जाता है, उसे जन्नत मिलती है.

पढ़ें: दरगाह के पास ही है ख्वाजा गरीब नवाज की बीवियों की मजार, जियारत करना नहीं भूलते जायरीन

जन्नती दरवाजे और मन्नती धागे की कहानी

किसी अर्जी पर कोर्ट में होने वाली सुनवाई में अपनी जीत की मुराद लिखी हुई है, तो किसी अर्जी में लंबे समय से ग्रसित लाइलाज बीमारी से बचाने की मुराद है. ऐसी कई दिली मुरादे है जो जायरीन ख्वाजा की दरगाह में अर्जियों और धागों के रूप में बांधकर जाते है और मन्नत पूरी होने पर धागा खोलने भी आते है.

जन्नती दरवाजा और उसके बाहर बांधे जाने वाले धागे की कहानी

जरूर पूरी होती है हर मन्नत

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर यहां मन्नते धागा बांधा जाता है और उसके साथ लिखी जाती है अपनी एक अर्जी. मान्यता है कि आपकी मुराद पूरी होने के बाद जायरीन फिर से दरगाह पहुंचता है और यहां मन्नती धागे को खोलते हुए दरगाह पर अपने द्वारा बोली गई भेंट पेश करता है. स्थानीय लोगों की माने तो दरगाह के बाहर बांधे जाने वाले धागे और लिखी जाने वाली अर्जी भले ही देर से ही सही लेकिन उनकी मन्नत पूरी होती जरूर है.

पढ़ें: अजमेर में बहती है गंगा-जमुनी तहजीब की रसधारा...ब्रह्मा की नगरी में खिला गुलाब, महकता है ख्वाजा के दर पर

दरगाह में आने वाली जायरीन के लिए ख्वाजा से जुड़ी हर चीज पवित्र है. इसमें आस्ताने शरीफ के भीतर जाने वाला जन्नती दरवाजा जायरीन के लिए खासा महत्व रखता. बताया जाता है कि जन्नती दरवाजा साल में 4 मर्तबा खोला जाता है. उर्स की शुरुआत से ही जन्नती दरवाजा खोला जाता है, जो छठी शरीफ तक खुला रहता है. इस दौरान आने वाले जायरीन जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताने शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करते है.

पढ़ें: ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट से जन्मी है कव्वाली, सूफी का साथ बनाता है इसे रुहानी

मान्यता है कि जन्नती दरवाजे से होकर ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने पर अकीदतमंद को जन्नत नसीब होती है. यही वजह है कि जन्नती दरवाजे से होकर गुजरने की लाइनों में होड़ मची रहती है. ख्वाजा के दर पर पहुंचने वाले जायरीन में ज्यादा संख्या उन जायरीन की है, जो देश में अमन और शांति की कामना करते हैं, फिर चाहे वह हैदराबाद के किसी कोने से आने वाले हो या फिर कोलकाता से सभी की मुराद है कि देश में अमन भाईचारा सद्भावना बनी रहे. किसी भी राजनीतिक स्वार्थ के बीच देश में अशांति का माहौल ना पनपे.

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