अजमेर. वर्ष 2001 में अजमेर के तत्कालीन एसपी के थप्पड़ मारने के प्रकरण में पीसीपीएनडीटी के विशेष कोर्ट में प्रकरण से संबंधित दो गवाहों के बयान दर्ज किये गए हैं. जबकि मामले में गवाह तत्कालीन कलेक्टर एवं वर्तमान में राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कोर्ट में ऑनलाइन बयान दर्ज करने की अर्जी लगाई है. पीसीपीएनडीटी की विशेष अदालत में एसपी को थप्पड़ मारने के 21 वर्ष पुराने प्रकरण में सोमवार को सुनवाई की गई. इस प्रकरण में गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं. प्रकरण में 30 गवाह हैं जो घटना के वक़्त मौजूद थे.
इस मामले को लेकर सोमवार को कोर्ट में हुई सुनवाई में दो गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज किए गए हैं. इनमें तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा के पीए महेश चंद्र माथुर और तत्कालीन आयुर्वेद विभाग में अधिकारी बद्री प्रसाद शर्मा ने कोर्ट में घटना को लेकर गवाही दी है. प्रकरण में अब तक 11 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं. जानकारी के मुताबिक प्रकरण में गवाह तत्कालीन कलेक्टर एवं वर्तमान में राजस्थान मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कोर्ट में अर्जी लगाकर ऑनलाइन सुनवाई का आग्रह किया है. हालांकि कोर्ट ने इस अर्जी पर अपना निर्णय नहीं सुनाया है, लेकिन आरोपी पक्ष के वकील प्रीतम सिंह सोनी ने सीएस की अर्जी को लेकर अपना एतराज जताया है. प्रकरण में अगली सुनवाई 21, 25 और 27 अप्रैल को होगी.
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यूआई प्रकरण की सुनवाई में आई तेजी
जनप्रतिनिधियों के आचरण संबंधी प्रकरणों में यह मुकदमा भी शामिल किया गया है. 21 वर्ष पुराने इस मुकदमे की सुनवाई में गति सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर जल्दी सुनवाई कर मुकदमे का निस्तारण करने के आदेश दिए थे जिसके बाद प्रकरण में जल्द सुनवाई हो रही है.
यह था प्रकरण
बीते 30 जून 2001 में अजमेर कलेक्ट्रेट सभागार में जन अभाव अभियोग की बैठक के दौरान केकड़ी से तत्कालीन कांग्रेस के विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था, जिसका प्रकरण सिविल के थाने में दर्ज हुआ था. इस घटना के बाद कांग्रेस ने बाबूलाल सिंगारिया को निष्कासित कर दिया था. मामला राजनीति से जुड़ा होने के कारण वर्षों तक कोर्ट में लंबित रहा.