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रेल मंत्रालय की अप्रैल में 30 हजार PPE किट बनाने की योजना, अजमेर में भी कार्य जारी - कवरऑल बनाने की योजना

रेल मंत्रालय की अप्रैल 2020 में 30 हाजर कवरऑल (पीपीई किट) बनाने की योजना है. वहीं, मिशन मोड में मई 2020 तक 1 लाख कवरऑल (पीपीई) का निर्माण करने की भी योजना है. इसके तरत अजमेर में भी कार्य जारी है.

Ajmer News, कवरऑल बनाने की योजना
अजमेर में भी कवरऑल बनाने का कार्य जारी
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Published : Apr 17, 2020, 8:49 AM IST

अजमेर. कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की सुरक्षा के लिए रेल मंत्रालय की अप्रैल 2020 में 30 हाजर कवरऑल (पीपीई) बनाने की योजना है. वहीं, मिशन मोड में मई 2020 तक 1 लाख कवरऑल (पीपीई) का निर्माण करने की भी योजना है.

दरअसल, रेल मंत्रालय चाहता है कि चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के लिए रक्षात्‍मक कवरऑल तैयार कर अन्‍य हितधारकों के लिए भी उदाहरण प्रस्‍तुत किया जाए. इसके तरत भारतीय रेल की निर्माण इकाइयों, कार्यशालाओं और फील्‍ड यूनिट्स ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों का उपचार करते समय इस रोग के सीधे सम्‍पर्क में आने वाले चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के लिए व्‍यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) कवरऑल बनाना शुरु कर दिया है. प्रोटोटाइप कवरऑल पहले ही ग्‍वालियर स्थित डीआरडीओ की प्राधिकृत प्रयोगशाला में निर्धारित परीक्षण के बाद उच्‍चतम ग्रेड्स में पास किए जा चुके हैं.

पढ़ें: ईटीवी भारत के सवाल पर बोले CM गहलोत, कहा- कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों में नहीं मिलेगी कोई रियायत


गौरतलब है कि भारतीय रेल के डॉक्‍टर्स, चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी लगातार कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. ये सभी कर्मी संक्रमित मरीजों का इलाज करते समय कोविड-19 रोग के सीधे सम्‍पर्क में आते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम कतार में लड़ने वालों को विशेष प्रकार के अभेद्य कवरऑल उपलब्‍ध कराए जाने की आवश्‍यकता है.

कवरऑल केवल एक ही बार उपयोग में लाए जा सकते हैं, इसलिए बड़ी संख्‍या में उनकी आवश्‍यकता है. वहीं, भारत में काफी नियंत्रण के बावजूद कोविड-19 के मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है, इसलिए भी पीपीई की काफी आवश्‍यकता है.

पढ़ें: जहां ना पहुंची बिजली, पानी और सरकार, वहां पहुंचा Etv Bharat...जाना इस गांव का सूरत-ए-हाल


पीपीई की उपलब्‍धता और आवश्‍यकता के अंतर को पूरा करने के लिए उत्तर रेलवे की जगाधरी कार्यशाला ने इन प्रोटोटाइप कवरऑल को डिजाइन और निर्माण करने की पहल की थी. प्रोटोटाइप कवरऑल का परीक्षण डीआरडीओ की ग्‍वालियर स्थित रक्षा अनुसंधान विकास प्रतिष्‍ठान प्रयोगशाला में किया गया था, जो इस प्रकार के परीक्षण करने के लिए अधिकृत है.

कवरऑल के नमूनों ने डीआरडीई द्वारा किए गए सभी परीक्षण उच्‍चतम ग्रेड्स में पास कर लिए. साथ ही रेल मंत्रालय इसलके लिए पर्याप्‍त मात्रा में कच्‍चा माल खरीदने और अपनी कार्यशालाओं और अन्‍य यूनिट्स में वितरित करने में समर्थ हो सका है. अब कवरऑल का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है. बता दें कि भारतीय रेल ने इससे पहले बहुत ही कम अवधि में 5 हजार से ज्‍यादा यात्री डिब्‍बों को मोबाइल क्‍वारंटीन और आइसोलशन की सुविधाओं में परिवर्तित करने का जिम्‍मा भी उठाया है.

अजमेर. कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की सुरक्षा के लिए रेल मंत्रालय की अप्रैल 2020 में 30 हाजर कवरऑल (पीपीई) बनाने की योजना है. वहीं, मिशन मोड में मई 2020 तक 1 लाख कवरऑल (पीपीई) का निर्माण करने की भी योजना है.

दरअसल, रेल मंत्रालय चाहता है कि चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के लिए रक्षात्‍मक कवरऑल तैयार कर अन्‍य हितधारकों के लिए भी उदाहरण प्रस्‍तुत किया जाए. इसके तरत भारतीय रेल की निर्माण इकाइयों, कार्यशालाओं और फील्‍ड यूनिट्स ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों का उपचार करते समय इस रोग के सीधे सम्‍पर्क में आने वाले चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के लिए व्‍यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) कवरऑल बनाना शुरु कर दिया है. प्रोटोटाइप कवरऑल पहले ही ग्‍वालियर स्थित डीआरडीओ की प्राधिकृत प्रयोगशाला में निर्धारित परीक्षण के बाद उच्‍चतम ग्रेड्स में पास किए जा चुके हैं.

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गौरतलब है कि भारतीय रेल के डॉक्‍टर्स, चिकित्‍सा और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी लगातार कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. ये सभी कर्मी संक्रमित मरीजों का इलाज करते समय कोविड-19 रोग के सीधे सम्‍पर्क में आते हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम कतार में लड़ने वालों को विशेष प्रकार के अभेद्य कवरऑल उपलब्‍ध कराए जाने की आवश्‍यकता है.

कवरऑल केवल एक ही बार उपयोग में लाए जा सकते हैं, इसलिए बड़ी संख्‍या में उनकी आवश्‍यकता है. वहीं, भारत में काफी नियंत्रण के बावजूद कोविड-19 के मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है, इसलिए भी पीपीई की काफी आवश्‍यकता है.

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पीपीई की उपलब्‍धता और आवश्‍यकता के अंतर को पूरा करने के लिए उत्तर रेलवे की जगाधरी कार्यशाला ने इन प्रोटोटाइप कवरऑल को डिजाइन और निर्माण करने की पहल की थी. प्रोटोटाइप कवरऑल का परीक्षण डीआरडीओ की ग्‍वालियर स्थित रक्षा अनुसंधान विकास प्रतिष्‍ठान प्रयोगशाला में किया गया था, जो इस प्रकार के परीक्षण करने के लिए अधिकृत है.

कवरऑल के नमूनों ने डीआरडीई द्वारा किए गए सभी परीक्षण उच्‍चतम ग्रेड्स में पास कर लिए. साथ ही रेल मंत्रालय इसलके लिए पर्याप्‍त मात्रा में कच्‍चा माल खरीदने और अपनी कार्यशालाओं और अन्‍य यूनिट्स में वितरित करने में समर्थ हो सका है. अब कवरऑल का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है. बता दें कि भारतीय रेल ने इससे पहले बहुत ही कम अवधि में 5 हजार से ज्‍यादा यात्री डिब्‍बों को मोबाइल क्‍वारंटीन और आइसोलशन की सुविधाओं में परिवर्तित करने का जिम्‍मा भी उठाया है.

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