अजमेर. जिले में तापमान 43 डिग्री तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी में अजमेर के लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ (People troubled by the problem of drinking water) रहा है. पेयजल की 72 घण्टे के अंतराल में सप्लाई दी जा रही है. वहीं सप्लाई विभिन्न क्षेत्रों में कब दी जाएगी (Supply of drinking water at an interval of 72 hours) यह भी निर्धारित नहीं है. ऐसे में कामकाजी लोगों को सप्लाई होने वाला पेयजल नहीं मिल पाता. जबकि गर्मी में पेयजल की डिमांड बढ़ने पर अजमेर की लाइफ लाइन बीसलपुर बांध से अजमेर के लिए रोजाना 10 एमएलडी पानी अतिरिक्त दिया जा रहा है. बावजूद इसके पेयजल की समस्या जस की तस बनी हुई है. वहीं पानी माफिया पेयजल समस्या की आड़ में चांदी कूट रहे हैं.
अजमेर की प्यास बुझाने के लिए बीसलपुर परियोजना बनी थी. लेकिन अजमेर को ही समय पर पानी नही मिल पा रहा है. भीषण गर्मी में अजमेर में पानी की किल्लत बनी हुई है. बीसलपुर बांध अजमेर की लाइफ लाइन है. ऐसा नहीं है कि बांध में पानी नहीं है. वर्तमान में बांध में 310.21 मीटर पानी है. जबकि बांध की भराव क्षमता 315 मीटर है. बांध से राजधानी जयपुर और टोंक जिले को भी पेयजल सप्लाई दी जा रही है. विभाग की माने तो अजमेर शहर को प्रति दिन 140 एमएलडी पानी दिया जा रहा है. इसमें 10 एमएलडी अतिरिक्त पानी दिया जाना भी शामिल है. बावजूद इसके शहर में पानी की सप्लाई 72 घंटो में दी जा रही है. यानी 56 लीटर प्रति व्यक्ति पानी कम मिल रहा है.
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कई इलाकों में 72 से 86 घंटो में पानी की सप्लाई हो रही है. इससे ज्यादा खराब स्थिति देहात क्षेत्रों में हो रही है. देहात क्षेत्रों में 3 से 4 दिन में पानी की सप्लाई हो रही है, लेकिन वहां भी लो प्रेशर आने से जलापूर्ति पर्याप्त नहीं हो पा रही है. बिजली चोरी की तरह ही पानी की चोरी को रोकने के लिए अवैध कनेक्शन और बूस्टर के खिलाफ पीएचईडी विभाग का अभियान जारी है. 1 महीने में शहर के 10 सबडिवीजन ओं में 80 बूस्टर पकड़े गए हैं. विभाग के नियम अनुसार पहली बार बूस्टर पकड़े जाने पर 11 सो रुपए और दूसरी बार में 22 सो रुपए जुर्माना लगाया जाता है. जबकि तीसरी बार में कनेक्शन काटा जाता है.
पेयजल किल्लत पर बोले सांसद भागीरथ चौधरी: अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी ने कहा कि बीसलपुर बांध अजमेर के लिए बना था. वर्तमान में बीसलपुर बांध में पर्याप्त पानी है. बावजूद इसके अजमेर शहर में पानी की किल्लत है. वहीं गांव में पीने के पानी की गहरी समस्या है. कई गांव ऐसे हैं जहां एक पखवाड़े में भी बीसलपुर का पानी नहीं पहुंच रहा है. गांवों में पानी को लेकर त्राहि त्राहि मची हुई है. जिले में पेयजल की व्यवस्था खराब हो रही है. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रधानमंत्री का सपना है कि 2024 तक हर घर में नल हर नल में जल हो, इसके लिए राजस्थान को 23 हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जा चुका है. मैं खुद स्थायी समिति का सदस्य हूं. लेकिन दुर्भाग्य है कि 4 हजार 300 करोड़ रुपए ही राजस्थान सरकार खर्च कर पाई है. जिले में पेयजल संकट गहरा रहा है. गांव में इंसान ही नहीं पशुओं के लिए भी पीने का पानी नहीं है. सांसद भारीरथ चौधरी ने कहा कि शासन और प्रशासन जिले में पेयजल आपूर्ति को सही करें नहीं तो जन आंदोलन की स्थिति खड़ी होने वाली है.
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डिमांड और सप्लाई में है काफी गेप: पीएचईडी विभाग में अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार ने कहा कि देश और प्रदेश में गर्मी का 122 वर्ष का रिकॉर्ड टूट रहा है. उन्होंने बताया कि बीसलपुर डैम से अजमेर को मिलने वाले पानी में 10 एमएलडी अतिरिक्त पानी बढ़ाया है. ताकि शहर और ग्रामीण क्षेत्र को सुचारू पानी की सप्लाई हो सके. उन्होंने कहा कि सारे अभियंता पेयजलापूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए फील्ड में काम कर रहे हैं. विभाग ने कंट्रोल रूम खोल रखे है, जो भी ग्रीवेंस आती है उस पर तत्काल कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि बूस्टर पकड़ने का अभियान जारी है. इससे अन्य लोगों में भी सन्देश जाता है कि बूस्टर पकड़ने से जुर्माना लग सकता है. अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि डेम से वर्तमान में जिले में 330 एमएलडी पानी लिया जा रहा है. वहीं 140 एमएलडी अजमेर शहर को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि डिमांड और सप्लाई के बीच काफी गेप है. सप्लाई बढ़ाने के बाद भी डिमांड का फिगर ज्यादा है.
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पेयजल किल्लत से पानी माफियाओं की चांदी-: अजमेर शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रो में पेयजल किल्लत की वजह से पानी माफिया दिनरात भूजल दोहन कर टैंकरों के माध्यम से पानी बेच रहे हैं. शहर में एक टैंकर 400 से 600 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 500 से 700 रुपए तक वसूल कर रहे हैं. आमजन को मजबूरी में टैंकरों से पानी डलवाने के लिए आर्थिक भार झेलना पड़ रहा है. ऐसे पानी माफिया के खिलाफ प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. हालांकि 30 मई तक पीएचईडी विभाग उन क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई टैंकरों के माध्यम से भी कर रहा है जहां लो प्रेशर की वजह से पानी की समस्या लोगों को आ रही है. लेकिन यह व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.