अजमेर. कोरोना महामारी ने देश की रफ्तार को रोक दिया है. लॉकडाउन से लोग घरों में रहने को मजबूर हैं, लेकिन ये महामारी लोगों की अटूट आस्था को नहीं रोक पाई है. डॉक्टरों के साथ लोग अपने अराध्य पर विश्वास करना नहीं छोड़ते.
गुरुवार को रामनवमी के दिन जन-जन के आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव लोगों की वजह से मंदिरों में ना मना कर घरों में मनाया गया. वहीं शाम को घरों में दीए जलाए गए. अजमेर में भी रामनवमी पर लोगों की आस्था कोरोना की दहशत पर भारी दिखाई दी.
मंदिर नहीं घर बनें आस्था का केंद्र
नवरात्रा का समापन और रामनवमी का पर्व हिन्दू धर्म के अनुयायी लोगों के लिए विशेष दिन रहा. रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था. मंदिरों में बिना भक्तों के दिन में महा आरती और सेवा पूजन हुआ.
वहीं लोगों ने लॉकडाउन की वजह से घरों में ही राम दरबार सजाया और पूजा-अर्चना की. वहीं संध्या में आरती के बाद घरों पर दिवाली की तरह दीप जलाए. ये दीप कोरोना से भयमुक्त होने का प्रमाण बने.
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अपने आराध्य श्री राम का जन्मोत्सव सामूहिक रूप से नहीं मनाने का लोगों में मलाल तो दिखा लेकिन, घरों में रहकर भी लोगों ने अपनी आस्था को नहीं रोका. कोरोना वायरस की दहशत के बीच लोगों ने अपने घरों में ही श्री राम जन्मोत्सव मनाया और घरों में दीप जलाकर अपनी आस्था प्रकट की.
दिये लाए आशा की उम्मीद
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया दहशत में जी रही है. चिकित्सक अपना काम कर रहें हैं और सरकारें अपना, लेकिन आज भी लोग सबसे पहले अपनी आस्था पर भरोसा करते हैं. यही कारण है कि महामारी से सुरक्षा के लिए लोगों ने दिए जलाए.
इतने दिए एक साथ जले तो एकबारगी लगा कि अजमेर में दीपावली आ गई है. रात के अंधियारे को चीरती हुई दीपों की टिमटिमाती रौशनी लोगों ने नई आशा और उमंग का संचार कर रही थी.
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लोगों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से वे घरों से बाहर नही निकल पाए. इसलिए घर में ही अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुरूप मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव मना रहें हैं.
कोरोना वायरस से मुक्ती की कामना
श्री राम जन्मोत्सव मनाने के साथ ही लोगों ने अपने आराध्य प्रार्थना भी की. लोगों का कहना है कि कोरोना का संकट पूरे संसार पर आया हुआ है. इस बीमारी से संसार को मुक्ति मिले और लोग स्वस्थ्य एवं प्रसन्न रहें, इसकी कामना भी की गई है.
कोरोना का बढ़ता प्रभाव हर जगह खौफ पैदा कर रहा है, ऐसे में सभी लोग अपनी आस्था के सहारे समय को पार करना चाह रहे हैं. विपत्ति के समय में भारतीय लोगों की आस्था ही उन्हें नई आशा और हौंसला देती दिखाई दे रही है. लोग जिस तरह से संसार को कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं. उसमें भारतीय संस्कृति वासुदेव कुटुंबकम की झलक भी दिखाई दे रही है.