अजमेर. राजस्थान के अजमेर में गुलाब बाड़ी आम का तालाब के समीप पंचमुखी महादेव एक सदी से लोगों की आस्था का केंद्र है. मंदिर में स्थित शिवलिंग काले पत्थर का है, जो अपने आप में अद्भुत है. कहते हैं कि यह शिवलिंग यहां से दो सौ मीटर दूर किसी खेत में था. जहां कुछ लोगों ने शिव लिंग को यथास्थान से उठाकर दूर सुनसान जगह पर डाल दिया था. तब कुछ माली समाज के लोगों ने शिवलिंग को बैलगाड़ी में रख वर्तमान स्थान पर स्थापित किया. उसी समय से शिव भक्तों के लिए यह शिवालय उनकी आस्था और विश्वास का स्थान बन चुका है.
यहां ऐतिहासिक मयूर कॉलेज का जिक्र करना जरूरी है. अजमेर के मेयो कॉलेज से ठीक पीछे गुलाब बाड़ी क्षेत्र है. दरअसल, मंदिर से सट कर मेयो कॉलेज के प्रिंसीपल जैक गिब्सन का घर था. खास बात यह है कि ब्रिटिश शिक्षाविद एवं मेयो कॉलेज के प्रिंसिपल जैक गिब्सन का मंदिर से गहरा नाता रहा है. एक सदी पहले जब बैलगाड़ी से शिवलिंग को इस स्थान पर स्थापित किया गया था, तब शिक्षाविद जैक गिब्सन ने शिवलिंग की स्थापना में सहयोग किया, बल्कि यहां लोगों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए मंदिर का निर्माण भी करवाया. स्वयं क्रिश्चियन होने के बावजूद जैक गिब्सन की आस्था भी शिवलिंग से जुड़ गई थी. मंदिर में पूजा-अर्चना एवं धार्मिक कार्यक्रम क्षेत्र के लोग ही करते आए हैं जो आज भी बदस्तूर जारी है.
क्षेत्र के लोग बताते हैं कि मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है. यहां आने वाले हर व्यक्ति की मन्नतें पूरी होती है. यही वजह है कि जो एक बार यहां आता है वह दुनिया में कहीं भी रहे, साल में एक बार जरूर यहां दर्शनों के लिए आता है. क्षेत्र के लोग बताते हैं कि अजमेर में कुछ मराठा कालीन मंदिर हैं जिनमें पंचमुखी शिवलिंग है, लेकिन वह सभी इस सफेद पत्थर के बने हुए हैं. काले पत्थर से बना है इस प्रकार का शिवलिंग पूरे राजस्थान में कहीं देखने को नहीं मिलेगा.
क्षेत्र के लोगों को आम के तालाब के समीप से बैलगाड़ी में रखकर शिवलिंग यहां स्थापित करने की बात बुजुर्गों ने बताई, लेकिन आम के तालाब के पास ही यह शिवलिंग उस दौर में आया, कहां से इसका जवाब किसी के पास नहीं है. अजमेर ही नहीं, पूरे राजस्थान में इस प्रकार का पत्थर नहीं मिलता है. पंचमुखी महादेव का मंदिर छोटा जरूर है, लेकिन इसमें हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. शिवरात्रि पर दूर-दूर से शिवभक्त पंचमुखी महादेव के जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. करीब एक सदी से यह सिलसिला जारी है.