अजमेर. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह स्थित बाबा फरीद का चिल्ला सोमवार को खोला जाएगा. यह चिल्ला साल में एक बार मोहर्रम के दौरान ही 72 घंटे के लिए खोला जाता है. हर साल इसकी जियारत के लिए अकीदतमंद की भीड़ उमड़ती है, लेकिन इस बार आम जायरीन चिल्ले की जियारत नहीं कर सकेंगे.
कोरोना संक्रमण के चलते दरगाह आम जायरीन के लिए बंद है. वहीं इस बार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने घरों में रहकर मुहर्रम मनाने की तैयारी की है. कुछ लोग छोटे-छोटे ताजिए घरों में ही तैयार कर रहे हैं क्योंकि सरकार की गाइडलाइन के तहत सभी धार्मिक आयोजनो पर रोक लगी हुई है, जिस कारण मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम को अपने हिसाब से ही घरों में ही मना रहे हैं.
इसलिए इस बार जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम को बड़ी धूमधाम के साथ बनाते हैं. इसके अलावा दरगाह क्षेत्र में हाईदौस भी खेला जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग नंगी तलवार लेकर हाईदौस खेलते हैं, लेकिन कोरोना माहमारी के बीच इस बार किसी भी तरह के आयोजन नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में घरों में रहकर ही मुस्लिम समाज के लोग ताजिए बना रहे हैं. प्रशासन द्वारा मोहर्रम जुलूस की भी अनुमति नहीं दी गई है.
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बाबा फरीद का चिल्ला खुला
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर स्थित बाबा फरीद का चिल्ला आज सुबह तड़ाके खोल दिया गया. यह चिल्ला 72 घंटे के लिए खोल जाता है. जायरीनो का प्रवेश बंद होने से केवल पासधारी खादिमों ने ही चिल्ले की जियारत की. हर साल मोहर्रम के अवसर पर चिल्ले की जियारत के लिए जायरीनों की कतार लगती थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते आम जायरीनों का प्रवेश बंद होने से ऐसा नजारा नहीं दिख रहा. मंगलवार को मोहर्रम माह की 5 तारीख होने से चांदी का ताजिया जियारत के लिए दरगाह की महफिल खाना की सीडी में सुबह 11 बजे से रात्रि 1 बजे तक तक रखा जाएगा उसे देर रात दरगाह के लंगर खाना स्थित इमाम बारगाह में लाकर रख दिया जाएगा।