अजमेर. स्वच्छता को लेकर अजमेर में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है. डोर टू डोर कचरा संग्रहण और नियमित वार्डो और मुख्य सड़कों की सफाई हो रही है. कोरोना काल में हर वार्ड में दो सफाई कर्मी पिट्ठू मशीन से वार्डों में आवश्यक जगहों पर सैनिटाइज करने का भी कार्य कर रहे हैं.
नगर निगम प्रशासन कोरोना माहमारी की रोकथाम में जुटा हुआ है, लेकिन इन सबके बीच संभवित खतरे को लेकर नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नही है. हर वर्ष मानसून से पहले होने वाली 2 फुट से अधिक गहराई वाले नालों की सफाई का कार्य कोरोना की वजह से लंबित हो गया. हालांकि दावा किया जा रहा है कि 15 मई से नालों की सफाई का कार्य शुरू हो जाएगा.
अजमेर शहर में कई बड़े छोटे नाले है. जिन की सफाई मानसून पूर्व की जाती रही है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण मानसून पूर्व होने वाली नालों की सफाई का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. बता दें कि अजमेर का भौगोलिक स्वरूप एक कटोरे के समान है. शहर के बीचों-बीच खूबसूरत आनासागर झील है. कभी शहर का ड्रेनेज सिस्टम सुव्यवस्थित था.
गंदे नालों में तब्दील हुए आनासागर एस्केप चैनल कभी नहर हुआ करती थी. बारिश के दिनों में जब आना सागर झील के कारण का स्तर बढ़ जाता था तब झील से पानी एस्केप चैनल में छोड़ दिया जाता था. पानी एस्केप चैनल से होता हुआ पाल बिचला तालाब, दोहराई तालाब से पीसांगन होता हुआ गोविंद सागर डैम तक पहुंचता था. मगर शहर का विस्तार जिस तरह से होता गया एस्केप चैनल के आसपास बस्तियां बसती गई. हालात यह है कि अब शहर की जितनी भी गंदगी है वह सब एस्केप चैनल में छोड़ दी गई है.
शहर में ऐसे कई नाले हैं जिन की सफाई बरसों से नहीं हुई है. नालों के समीप बसी बस्तियों के लोग बताते हैं कि शहर के कई ऐसे नाले हैं जिनको सफाई की दरकार है सफाई नहीं होने से कचरा और मलबा ऊपर आ गया है. जिस कारण सड़ांध से लोगों का जीना दूभर हो गया है. कई बार नाले की सफाई को लेकर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती. लोगों ने बताया कि तेज बारिश आने पर ये नाले अधिक भर जाएंगे और इनका पानी घरों में घुस जाएगा. लोगों ने नगर निगम से नालों की सफाई का कार्य जल्द शुरू करने की मांग की है.
नगर निगम के पूर्व उपायुक्त एवं पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि अप्रैल माह के अंत में पूर्व मानसून को देखते हुए नालों की सफाई का कार्य शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार प्रशासन का ध्यान नालों की सफाई को लेकर नहीं है जबकि नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन हैं.
अजमेर स्मार्ट सिटी परियोजना से पोकलेन मशीन भी खरीदी जा चुकी है. ऐसे में 2 पोकलेन मशीनें नगर निगम के पास है. नगर निगम को मानसून पूर्व नालों की सफाई को लेकर गंभीरता दिखाते हुए काम शुरू करना चाहिए. मानसून से पहले काम शुरू नहीं हुआ तो इसका खामियाजा कई निचली बस्तियों को भुगतना पड़ेगा.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी रुपाराम चौधरी ने बताया कि शहर के सभी वार्डों में सफाई का कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है. चौधरी ने बताया कि नगर निगम के 80 वार्ड को 10 जोन में बाट रखा है. हर वार्ड में 28 से 35 सफाई कर्मचारी सफाई करते है. 28 वार्ड परमानेंट के हैं और 52 वार्ड में संविदा पर सफाई व्यवस्था की जाती है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए सभी वार्ड के अंदर आवश्यक स्थानों पर 2 सफाई कर्मचारी पिट्ठू मशीन से सैनीटाइज का कार्य करते हैं. तंग गलियों में सैनीटाइज सफाई कर्मी करते हैं.
वहीं, शहर की मुख्य सड़कों पर दमकल के जरिए सैनिटाइज किया जा रहा है. मानसून पूर्व नालों की सफाई के सवाल पर नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी रुपाराम चौधरी ने बताया कि शहर के नालों को तीन चरणों में बांट रखा है. इनमें पहला आनासागर एस्केप चैनल है. जो काफी लंबा है इसकी सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है. दूसरे स्तर पर जेसीबी से जिन नालों की सफाई होनी है ऐसे हर सर्किल में 8 से 10 नाले हैं जिन की सफाई होनी है.
15 मई से हर सफाई निरीक्षक को एक जेसीबी दो ट्रैक्टर दिए जाएंगे ताकि नालों की सफाई के साथ मलबे को ट्रेचिंग ग्राउंड भिजवाया जा सके. इनकी सफाई का कार्य 20 मई से शुरू होगा. तीसरे चरण के नाले वह है जो कवर्ड है. इन नालों की सफाई मैनुअली ही संभव है. इन नालों की सफाई के लिए वित्तीय स्वीकृति मांगी गई है.
चौधरी ने दावा किया है कि कोरोना महामारी की वजह से कुछ दिन दी गई तारीखों में फर्क आ सकता है लेकिन मानसून से पहले शहर के सभी नाले साफ किए जाएंगे. नगर निगम के अपने दावे हैं लेकिन इन दावों की पोल नालों में आती गंदगी खोल रही है. बता दें कि ऐसे कई क्षेत्र है जहां बारिश के दिनों में नालों के ओवर फ्लो होने से पानी भर जाता है और लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
नालों के ओवरफ्लों होने से यहां भरता है पानी:
फायसागर रोड, महावीर सर्किल, जेएलएन मेडिकल कॉलेज के सामने, सूचना केंद्र के सामने, स्टेशन रोड, मार्टिंडल ब्रिज के नीचे, नगरा, भजनगंज, आम का तालाब, मेयो लिंक रोड पावर हाउस के समीप, पाल बिचला सहित कई क्षेत्र हैं जहां पर बारिश के दिनों में नाले ओवरफ्लो होने की वजह से बस्तियों में पानी घुस जाता है.