अजमेर. कोरोना महामारी (corona pandemic) की वजह से शिक्षा और शिक्षक दोनों जबरदस्त आहत हुए है. जहां डेढ़ वर्ष से स्कूल बंद है. सरकारी शिक्षकों (government teachers) को सरकार से वेतन मिल रहा है, लेकिन कोरोना काल में निजी शिक्षण संस्थानों (private educational institutions) में काम करने वाले लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों का रोजगार छीन गया है.
हालात से लड़ रहे प्राइवेट टीजर
हालात यह है कि प्राइवेट टीचर इस कोरोना काल में अपने परिवार का भरण पोषण तक नहीं कर पा रहे है. ज्यादात्तर शिक्षकों ने तो मजदूरी और सब्जी बेचने जैसे कार्य कर हालातों से लड़ रहे है. लेकिन यह हालात कब तक रहेंगे, यह कहा नहीं जा सकता. दयनीय दशा के कगार पर पहुंचे प्राइवेट टीचर सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग कर रहे है.
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शिक्षण संस्थाओं पर गिरी गाज
कोरोना महामारी की वजह से बेरोजगार हुए विभिन्न वर्गों में एक बड़ा तबका प्राइवेट टीचर्स का भी है. यू तो समाज में गुरु का स्थान सम्मानीय है. फिर चाहे वो गुरुजी, सरकारी हो या प्राइवेट टीजर. दोनों का ही मकसद अपने विद्यार्थियों को शिक्षित कर बेहत्तर और काबिल इंसान बनाना है. देश में शिक्षा के व्यवसायीकरण के बाद प्राइवेट स्कूलों की बाढ़ आ गई थी. गली-गली में स्कूल खुल गए. इससे एक फायदा यह हुआ है कि शिक्षित बेरोजगारों के लिए कुछ आय कमाने का जरिया निजी शिक्षण संस्थान बन गए, लेकिन देश में कोरोना ने दस्तक दी, तो सबसे पहले शिक्षण संस्थाओं पर ही गाज गिरी.
कोरोना ने मचाई तबाही
कोरोना की प्रथम लहर के ढलान पर आने के बाद लगा कि शिक्षण संस्था खुल जाएंगे और हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कोरोना की दूसरी लहर ने देश और प्रदेश में तबाही मचा दी. इस कारण अब इस सत्र में भी शिक्षण संस्थाओं के खुलने के आसार कम ही नजर आ रहे है. कोरोना की दूसरी लहर ढलान पर है, लेकिन संकट अभी टला नहीं है.
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फीस देने में अक्षम स्कूल संचालक
बताया जाता है कि प्रदेश में 50 हजार प्राइवेट विद्यालयों में 5 लाख के करीब प्राइवेट टीचर और कर्मचारी कार्य करते है, जो कोरोना महामारी के आने के बाद से ही बेरोजगार हो गए है. प्राइवेट स्कूलों के संगठन से जुड़े प्रतिनिधि कैलाश चंद शर्मा बताते हैं कि स्कूल का संचालन बंद होने से अभिभावकों ने फीस देना भी बंद कर दिया. शर्मा ने बताया कि फीस से ही स्कूल का संचालन होता है. शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन मिलता है, लेकिन जब स्कूल संचालक के पास फीस नहीं पहुंची, तो वह भी शिक्षकों और कर्मचारियों को फीस देने में असक्षम थे. इस कारण लाखों प्राइवेट टीचर बेरोजगार हो गए.
शिक्षक कर रहे दूसरे रोजगार
बेरोजगार हुए लाखों प्राइवेट टीचर्स के हालात खराब है. कोरोना महामारी में रोजगार पहले ही छीन चुका है. वहीं लॉक डाउन रहने से अन्य रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है. प्राइवेट टीजर सीता सिसोदिया बताती है कि कोरोना काल प्राइवेट टीचर्स के लिए बहुत ही मुश्किल हालात लेकर आया है. प्राइवेट शिक्षण संस्थानों से कुछ आमदनी होने पर परिवार का जैसे-तैसे भरण पोषण करने वाले प्राइवेट टीचर के हालात काफी दयनीय स्थिति में पहुंच गए हैं.
2 वक्त की रोटी हासिल करना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है. कुछ प्राइवेट टीचर्स ने हालात से समझौता कर अन्य काम कर रहे है, लेकिन वह भी नाकाफी हो रहा है. उन्हें उतना वेतन नहीं मिल रहा, जिससे वह अपने परिवार का पेट पाल सके. सरकार प्राइवेट टीचर्स की दयनीय स्थिति पर ध्यान दे और उन्हें आर्थिक सहयोग करें, ताकि भरण पोषण होने के साथ सम्मान उनका सम्मान भी बरकरार रहे.
रोजगार के लिए पार्ट टाइम जॉब
शिक्षक की नौकरी गंवाने के बाद प्राइवेट संस्था में पार्ट टाइम जॉब करने वाले प्राइवेट टीचर भानु प्रताप बताते हैं कि फीस नहीं मिलने पर प्राइवेट स्कूल संचालकों ने भी हाथ खड़े कर दिए. ऐसे में प्राइवेट टीचर के सामने हालात विकट हो गए जाएं भी तो कहां जाएं. हर तरफ कोरोना का रोना है.
प्राइवेट टीचर पूरी तरह से स्कूल संचालन पर निर्भर थे. उन्होंने बताया कि नौकरी जाने से भरण पोषण नहीं हो रहा है. रोजगार के लिए अन्य संस्था में पार्ट टाइम जॉब करना पड़ रहा है, लेकिन यहां भी वेतन काफी कम मिल रहा है. उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में शिक्षण का कार्य कर कम वेतन मिलता था, लेकिन घरों में ट्यूशन करके वह उतना कमा लेते थे, जिससे परिवार का भरण पोषण हो सके, लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से बेरोजगार हो चुके.
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शिक्षकों ने छोड़ी नौकरी
फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को राहत दी है, लेकिन इससे प्राइवेट शिक्षकों को कोई लाभ नहीं मिला है. प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों से फीस वसूल कर ली है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को वेतन नहीं दिया है. जिसके कारण लाखों से प्राइवेट शिक्षक नौकरी छोड़ चुके है.