अजमेर. गहलोत सरकार कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर सूचना केंद्र में विभिन्न विभागों की ओर से आमजन के लिए तीन दिवसीय प्रदर्शनी लगाई गई है. प्रदर्शनी का उद्घाटन जिले के प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन भाया ने किया. प्रदर्शनी का अवलोकन करने के दौरान कड़कनाथ को देखकर प्रमोद जैन भाया ने भी उसके बारे में जानकारी ली.
प्रदर्शनी को देखने आने वाले लोगों के लिए कड़कनाथ जिज्ञासा का विषय बना हुआ है. काले रंग का मुर्गा और मुर्गी देसी नस्ल है, जो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में पाई जाती है. अजमेर कृषि अनुसंधान केंद्र में विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. अरुण प्रताप सिंह ने बताया कि कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों के अंडों और उनके मास में वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है.
वहीं इनके मास में वी वन, वी टू, वी सिक्स, विटामिन सी, विटामिन ई की प्रचुर मात्रा होती है. उन्होंने बताया कि अन्य प्रजातियों के मुर्गे-मुर्गियों से कड़कनाथ में कैलेस्ट्रोल कम होता है. डॉ अरुण ने बताया कि कड़कनाथ के नस्ल के मुर्गा-मुर्गी को आंगन में भी पाला जा सकता है. इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. वहीं इनका वजन दो से ढाई किलो तक होता है.
विशेष आहार की जरूरत नहीं...
उन्होंने बताया कि कड़कनाथ के लिए अन्य मुर्गे-मुर्गियों की तरह विशेष आहार की जरूरत नहीं है. बल्कि घर में बचा हुआ भोजन भी उन्हें दिया जा सकता है. कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे मुर्गियों को आहार भी कम ग्रहण करते हैं. उन्होंने बताया कि व्यवसाय के दृष्टिकोण से पशुपालकों के लिए कड़कनाथ बेहतर विकल्प हो सकता है. उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि आंगन में 100 कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे मुर्गी रखने पर महीने में 20 से 25 हजार की आमदनी हो सकती है.
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पशुपालन विभाग पशुपालकों को कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों के पालन को बढ़ावा दे रहा है. यही वजह है कि कड़कनाथ के मुर्गे और मुर्गी की प्रदर्शनी लगाकर पशुपालन विभाग लोगों को इसकी विशेषताओं के बारे में अवगत करवा रहा है, ताकि पशुपालकों की आमदनी बढ़े और वहीं लोगों की सेहत भी बनी रहे.