अजमेर. अतंराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला हमेशा से देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है. इस बार भी मेले का मुख्य आकर्षण रेगिस्तान का जहाज ऊंट रहा. लेकिन इस बार ऊंट पालकों को मेले में काफी नुकसान हुआ है. जिसका मुख्य कारण धीरे-धीरे ऊंट की उपयोगिता का कम होना और उन्हें राज्य के बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगना है. वहीं पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार मेले में इस बार ऊंटों से ज्यादा अश्व वंश की संख्या ज्यादा थी, यानी पुष्कर पशु मेला धीरे -धीरे अश्व वंश की मंडी बनता जा रहा है.
ऊंट पालक हुए निराश
ऊंट पालकों के लिए इस बार मेला अच्छा नही गया है, हालांकि मेले में सबसे ज्यादा ऊंट ही बिके है. मगर पशुपालकों को ऊंटो के दाम बहुत ही कम मिले. जिससे निराश ऊंट पालक मेला सम्पन्न के दो दिन पहले ही चले गए. ऊंट पालकों का कहना है कि 70 हजार , 50 हजार का ऊंट उन्हें 5 हजार सात हजार में बेचना पड़ रहा है. वहीं कई ऊंट पालक तो अपने ऊंट मेले में ही छोड़ गए. जिन्हें पशुपालन विभाग ने अन्य ऊंट पालकों को सौप दिया. मेले में गिरती ऊंटों की संख्या और उनकी बेकद्री से ऊंट पालक निराश हो गए है.
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मेले आए पशुओं के आंकड़े | पशु मेले में ऐसा रहा व्यापार |
अश्व - 3734 | अश्व - 775 |
ऊंट - 3298 | ऊंट - 1072 |
गौ वंश- 80 | भैस- 01 |
भैस वंश- 64 | कुल - 4 करोड़ 81 लाख 380 रुपए |
कुल पशु - 7174 | इन पशुओं की हुई खरीद फरोख्त |
मेले के दौरान आन्दोलन
ऊंट पालकों ने अपनी परेशानी को लेकर मेले के दौरान आन्दोलन भी किया. उनकी समस्या सरकार के कानों तक भी पहुचीं. सरकार ने ऊंट पालकों की समस्या के निदान के लिए उच्च स्तरीय कमेटी भी बना दी. अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार ऊंट पालकों की समस्या का निदान कर डूबते रेगिस्तान के जहाज को सहारा दे पाती है या अंतराष्ट्रीय पशु मेले से आने वाले कुछ सालों में मुख्य आकर्षण ऊंट गायब हो जाएगा.