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Special : कोरोना से त्रस्त लोगों को घरों और अस्पतालों में मुफ्त भोजन उपलब्ध करवाकर मानवता का संदेश दे रही संस्थाएं

कोरोना महामारी का कहर जारी है. अजमेर जिले के 17 अस्पताल मरीजों से फुल हैं. वहीं, हजारों लोग घरों में कोरोना का इलाज ले रहे हैं. इन विकट हालातों में कई ऐसे परिवार हैं जिनके सभी सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. बीमारी के चलते घर में खाने-पीने के सभी सामान होने के बावजूद वह खाना नहीं बना पाते. ऐसे लोगों की सहायता के लिए कई संस्थाएं सामने आई हैं, जो घरों और अस्पतालों में सात्विक भोजन नि:शुल्क उपलब्ध करवा रही हैं. देखिये अजमेर से ये खास रिपोर्ट...

help of corona patients in ajmer
संजीवनी बनीं संस्थाएं
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Published : May 17, 2021, 2:18 PM IST

अजमेर. कोरोना महामारी के दौर में जहां कालाबाजारी और लोगों में संवेदनाओं की कमी देखी जा रही है वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो इन विकट हालातों में दूसरे के लिए सहारा बन रहे हैं. जैसा की हम जानते हैं, कोरोना से लड़ने के लिए शरीर में इम्युनिटी बनाए रखना बहुत ही जरूरी है. इसके लिए पौष्टिक भोजन का सेवन आवश्यक है. कोरोना महामारी से त्रस्त कई ऐसे लोग हैं जिनसे अपनों ने उनसे दूरी बना ली है. पड़ोसी, पड़ोसी से कतरा रहा है. ऐसे में उन लोगों के सामने विकट हालात बन गए हैं, जो खुद कोरोना से त्रस्त हैं.

कोरोना काल में बढ़े मदद के हाथ...

इनमें से कई लोग हैं जिनके पास भोजन की सुविधा नहीं है. वहीं ऐसे भी लोग हैं जिनके पास भोजन की सुविधा है, लेकिन वह कोरोना बीमारी की वजह से बनाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे लोगों की सहायता के लिए कई संस्थाएं सुबह शाम उन्हें घर पर ही भोजन उपलब्ध करवा रही हैं. इतना ही नहीं, यह संस्थाएं अस्पताल में कोविड-19 और उनके परिजनों को भी भोजन पहुंचा रही हैं.

स्वच्छ माहौल में तैयार किया जाता है भोजन...

संत स्वामी हिरदाराम सेवा प्रकल्प और पारब्रह्म सेवाश्रम आशा गंज के सहयोग से प्रतिदिन 350 से 400 पैकेट डिमांड के अनुसार भेजे जा रहे है. खास बात यह कि भोजन में पोष्टिकता का ध्यान रखने के साथ चिकित्सक परामर्श से भोजन स्वच्छ माहौल में तैयार किया जाता है. संस्था के पदाधिकारी कंवल प्रकाश किशनानी बताते हैं कि स्वामी संत हिरदाराम कहा करते थे, 'बूढ़ा, बच्चा और बीमार है परमेश्वर के यार, करो भावना से सेवा इनकी, पाओगे लोक परलोक में सुख अपार'. इस प्रेरणा के साथ ही संस्थाओं ने उन कोरोना मरीजों को घर और अस्पताल में नि:शुल्क भोजन पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है, जो भोजन बनाने अथवा भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. रसोई रेस्टोरेंट की पूरी टीम इस पुनीत कार्य में सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक जुटी हुई है.

spirit of philanthropy in corona pandemic
कोरोना काल में परोपकार की भावना...

सेवा भारती समेत कई संस्थाओं ने बढ़ाए मदद के हाथ...

ऐसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्था सेवा भारती में भी इन मुश्किल घड़ी में कोरोना से त्रस्त लोगों को नि:शुल्क भोजन घर और अस्पतालों में पंहुचा रही है. भोजन के 400 पैकेट प्रतिदिन जरूरतमंदों को पहुंचाए जा रहे हैं. इसी तरह भारत विकास परिषद ने भी शहर में तीन स्थानों पर कोरोना महामारी से त्रस्त लोगों को भोजन उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठा रखा है.

पढ़ें : SPECIAL: कोरोना संकट के बीच लकड़ियों की कीमत बढ़ी, अंतिम संस्कार में भी परेशानी

प्रतिदिन 900 भोजन के पैकेट उन लोगों के घरों में डिलीवर किए जा रहे हैं, जो कोरोना महामारी से पीड़ित हैं. परिषद की ओर से विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजो और परिजनों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जा रही है. खास बात यह है कि इस पुनीत कार्य के लिए भारत विकास परिषद के कार्यकर्ता नि:शुल्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं. भारत विकास परिषद के पदाधिकारी सतीश बंसल और अध्यक्ष हनुमान गर्ग ने बताया कि 19 अप्रैल से भारत विकास परिषद की ओर से निरंतर पौष्ठिक भोजन वितरित किया जा रहा है.

परोपकार की भावना अब भी जिंदा है...

नकारात्मकता के इस माहौल में जब अपने साथ नहीं देते, तब ऐसी परोपकारी संस्थाओं के सहयोग से उन कोरोना से त्रस्त लोगों को भोजन के साथ-साथ आत्मबल मिलता है. जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत इस समय है. इन संस्थाओं के अलावा कई लोग हैं जो घरों में खाना बनाकर उन लोगों तक पहुंचा कर परोपकार की भावना को जिंदा रखे हुए हैं.

अजमेर. कोरोना महामारी के दौर में जहां कालाबाजारी और लोगों में संवेदनाओं की कमी देखी जा रही है वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो इन विकट हालातों में दूसरे के लिए सहारा बन रहे हैं. जैसा की हम जानते हैं, कोरोना से लड़ने के लिए शरीर में इम्युनिटी बनाए रखना बहुत ही जरूरी है. इसके लिए पौष्टिक भोजन का सेवन आवश्यक है. कोरोना महामारी से त्रस्त कई ऐसे लोग हैं जिनसे अपनों ने उनसे दूरी बना ली है. पड़ोसी, पड़ोसी से कतरा रहा है. ऐसे में उन लोगों के सामने विकट हालात बन गए हैं, जो खुद कोरोना से त्रस्त हैं.

कोरोना काल में बढ़े मदद के हाथ...

इनमें से कई लोग हैं जिनके पास भोजन की सुविधा नहीं है. वहीं ऐसे भी लोग हैं जिनके पास भोजन की सुविधा है, लेकिन वह कोरोना बीमारी की वजह से बनाने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे लोगों की सहायता के लिए कई संस्थाएं सुबह शाम उन्हें घर पर ही भोजन उपलब्ध करवा रही हैं. इतना ही नहीं, यह संस्थाएं अस्पताल में कोविड-19 और उनके परिजनों को भी भोजन पहुंचा रही हैं.

स्वच्छ माहौल में तैयार किया जाता है भोजन...

संत स्वामी हिरदाराम सेवा प्रकल्प और पारब्रह्म सेवाश्रम आशा गंज के सहयोग से प्रतिदिन 350 से 400 पैकेट डिमांड के अनुसार भेजे जा रहे है. खास बात यह कि भोजन में पोष्टिकता का ध्यान रखने के साथ चिकित्सक परामर्श से भोजन स्वच्छ माहौल में तैयार किया जाता है. संस्था के पदाधिकारी कंवल प्रकाश किशनानी बताते हैं कि स्वामी संत हिरदाराम कहा करते थे, 'बूढ़ा, बच्चा और बीमार है परमेश्वर के यार, करो भावना से सेवा इनकी, पाओगे लोक परलोक में सुख अपार'. इस प्रेरणा के साथ ही संस्थाओं ने उन कोरोना मरीजों को घर और अस्पताल में नि:शुल्क भोजन पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है, जो भोजन बनाने अथवा भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. रसोई रेस्टोरेंट की पूरी टीम इस पुनीत कार्य में सुबह 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक जुटी हुई है.

spirit of philanthropy in corona pandemic
कोरोना काल में परोपकार की भावना...

सेवा भारती समेत कई संस्थाओं ने बढ़ाए मदद के हाथ...

ऐसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्था सेवा भारती में भी इन मुश्किल घड़ी में कोरोना से त्रस्त लोगों को नि:शुल्क भोजन घर और अस्पतालों में पंहुचा रही है. भोजन के 400 पैकेट प्रतिदिन जरूरतमंदों को पहुंचाए जा रहे हैं. इसी तरह भारत विकास परिषद ने भी शहर में तीन स्थानों पर कोरोना महामारी से त्रस्त लोगों को भोजन उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठा रखा है.

पढ़ें : SPECIAL: कोरोना संकट के बीच लकड़ियों की कीमत बढ़ी, अंतिम संस्कार में भी परेशानी

प्रतिदिन 900 भोजन के पैकेट उन लोगों के घरों में डिलीवर किए जा रहे हैं, जो कोरोना महामारी से पीड़ित हैं. परिषद की ओर से विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजो और परिजनों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जा रही है. खास बात यह है कि इस पुनीत कार्य के लिए भारत विकास परिषद के कार्यकर्ता नि:शुल्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं. भारत विकास परिषद के पदाधिकारी सतीश बंसल और अध्यक्ष हनुमान गर्ग ने बताया कि 19 अप्रैल से भारत विकास परिषद की ओर से निरंतर पौष्ठिक भोजन वितरित किया जा रहा है.

परोपकार की भावना अब भी जिंदा है...

नकारात्मकता के इस माहौल में जब अपने साथ नहीं देते, तब ऐसी परोपकारी संस्थाओं के सहयोग से उन कोरोना से त्रस्त लोगों को भोजन के साथ-साथ आत्मबल मिलता है. जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत इस समय है. इन संस्थाओं के अलावा कई लोग हैं जो घरों में खाना बनाकर उन लोगों तक पहुंचा कर परोपकार की भावना को जिंदा रखे हुए हैं.

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