अजमेर. राजस्थान के 13 जिलों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण की राशि में लाखों रुपए का गबन करने वाली अंतरराज्यीय गैंग का सक्रिय सदस्य अजमेर पुलिस के हाथ लगा (Accused of online fraud arrested in Ajmer) है. गैंग के दो अन्य सदस्य अभी पुलिस के हाथ नहीं आए हैं. पुलिस का दावा है कि जल्द ही दोनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर विकास सागवान ने बताया कि अजमेर ग्रामीण के विकास अधिकारी विजय सिंह चौहान की एसएसओ आईडी हैक कर स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण की लाखों रुपए की राशि का गबन करने का मामला दर्ज हुआ था. प्रकरण में अनुसंधान किया गया तो सामने आया कि 13 जिलों में आरोपियों ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण की राशि का गबन किया है. आरोपियों ने बीडीओ की एसएसओ आईडी हैक कर गबन की राशी को अपने रिश्तेदारों के बैंक खाते में जमा करवा दी थी.
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विकास सांगवान ने बताया कि इस तरह के प्रकरण राजस्थान के कई पंचायत समितियों के अंदर भी दर्ज हुए हैं. इन प्रकरणों में सरकार ने पुलिस के अलावा एसओजी को भी अपराधियों को पकड़ने के निर्देश दिए थे. उन्होंने बताया कि प्रकरण में जोधपुर के लोहावट थाना क्षेत्र में बरजासर के राजीव नगर निवासी कोजाराम जाणी को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि कोजाराम से घटना में प्रयुक्त मोबाइल भी बरामद किया गया है. आरोपी से गबन की राशि की बरामदगी के लिए कोर्ट से 11 जून तक पुलिस रिमांड लिया गया है.
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यह था मामला: सांगवान ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत निर्मित व्यक्तिगत शौचालय के हर लाभार्थी को 12 हजार रुपए का भुगतान ऑनलाइन प्रक्रिया से योजना के राज्य स्तरीय खाते से किया जाता है. इस क्रम में अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति की ओर से 31 जनवरी, 2022 को लाभार्थी को किया गया भुगतान प्रक्रियाधीन था. जब जांच की गई तो एक अन्य भुगतान भी 4 फरवरी, 2022 से प्रक्रियाधीन पाया गया. इसमें 39 लोगों को प्रति व्यक्ति 12 हजार रुपए के हिसाब से 4 लाख 68 हजार रुपए का भुगतान होना था, जबकि अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति कार्यालय की ओर से ऐसा कोई भुगतान प्रकिया में नहीं था.
अवगत करवाने के बाद भी हो गया भुगतान: उन्होंने बताया कि प्रक्रियाधीन सूची में भुगतान के लिए लाभार्थी कि जिस योजना संबंधी आईडी का उपयोग किया गया था. वह वर्तमान में प्रचलित आईडी से अलग थी. इस पर फर्जी तरीके से भुगतान के अंदेशे पर बीडीओ ने 7 फरवरी को जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखकर अवैध भुगतान से अवगत करवाया. साथ ही एसबीएम के एमआईएस मैनेजर को भी प्रकरण से अवगत कराया गया. बावजूद इसके प्रक्रियाधीन भुगतान हो गया. एएसपी विकास सागवान ने बताया की भुगतान प्रक्रिया विकास अधिकारी के मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी के माध्यम से ओटीपी दर्ज करने के बाद ही संपन्न होती है. लेकिन इस भुगतान के लिए विकास अधिकारी अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति के मोबाइल पर कोई ओटीपी भी प्राप्त नहीं हुआ और बिना ओटीपी के भुगतान हो गया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने धारा 420, 66 सी, 66 डी आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया.
बीडीओ की चुराई थी एसएसओ आईडी और पासवर्ड: सागवान ने बताया कि प्रकरण में मुख्य अभियुक्त शीसपाल उर्फ सुभाष जाणी और गोरधन राम है. आरोपी कोजाराम के साथ मिलकर 4 फरवरी को अवैध तरीके से राजस्थान में कई पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों की एसएसओ आईडी और पासवर्ड हैक कर पंचायत और एसडीएम के सर्वर में प्रवेश किया गया. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण के लिए प्रत्येक लाभार्थी को दी जाने वाली सब्सिडी राशि 12 हजार रुपए को अपने और परिवार के अलावा परिचितों के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर निकाल लिए.
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उन्होंने बताया कि शीसपाल और गोरधन राम दोनों मुख्य आरोपी ग्राम पंचायत में नरेगा में मेट का काम करते थे. इस कारण इनका पंचायत समिति जोधपुर जिले के फलोदी और घंटियाली में आना जाना था. जहां से इन्होंने प्रक्रिया को समझा और बीडीओ की एसएसओ आईडी और पासवर्ड चुराए. इसके अलावा शीसपाल की ई-मित्र की दुकान है. वह सरकारी कार्यों को कंप्यूटर पर करने में माहिर है. तीनों ने मिलकर 4 से 17 फरवरी तक आरोपियों ने टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, अलवर, पाली, जोधपुर, जैसलमेर, गंगानगर, दौसा, बीकानेर, बांसवाड़ा और भरतपुर सहित अन्य जिलों की पंचायत समितियों से लाखों रुपए की राशि का गबन किया है. पुलिस शीसपाल और गोरधन राम की सरगर्मी से तलाश कर रही है. बता दें कि तीनों आरोपियों के खिलाफ अजमेर ही नहीं अन्य जिलों में भी प्रकरण दर्ज हुए हैं.