अजमेर. पूरी दुनिया में कोरोना का संकट है. इस महामारी ने लोगों की जीवन पर आर्थिक और सामाजिक रुप से गहरा आघात किया है. लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द कोरोना से निजात मिले. वैक्सीन आने की चर्चा शुरू होने के साथ ही उससे शरीर पर लाभ और हानि को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. लोग चाहते हैं कि कोरोना से निजात दिलाने के लिए ऐसी दवा या वैक्सीन आए, जो शरीर को संक्रमण से बचाए, ना कि वे कोई नई बीमारी ना दे जाए. ऐसे में लोगों का विश्वास आयुर्वेद की और ज्यादा बढ़ रहा है. लोगों का विश्वास है कि आयुर्वेदिक दवा बीमारी को ठीक करती है और शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है.
कोरोना काल में आयुर्वेद विभाग की ओर से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़े का वितरण किया गया था. यह काढ़ा काफी कारगर भी साबित हुआ. आयुर्वेद विभाग की निदेशक सीमा शर्मा बताती हैं कि आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के उपचार से संबंधित चार आयुर्वेद दवा को स्वीकृति प्रदान की है. इसमें आयुष 64, अणु तेल, संसबनी वटी और अगस्त हरीतकी शामिल है.
आयुर्वेद विभाग ने इन चारों दवाओं के लिए 4 करोड़ रुपए का आर्डर भी दे दिया है. इन दवाओं का परीक्षण होना अभी शेष है, 7 दिन तक दवाओं की जांच प्रक्रिया होगी. संभवत दिसंबर के आखिरी महीने तक यह दवाएं मरीजों को उपलब्ध होंगी. शर्मा ने बताया कि इसके अलावा 30 तरह की दवा अन्य है, जो सामान्य संक्रमित मरीजों को उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने बताया कि राज्य के तीन हजार 699 आयुर्वेद अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर इन दवाओं का वितरण किया जाएगा.
राजस्थान आयुर्वेद निदेशालय की निदेशक सीमा शर्मा बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान प्रदेश में 31 लाख लोगों को आयुर्वेद काढ़ा वितरित किया गया. इसके अलावा कोविड-19 के वॉरियर्स 6.53 लाख कार्मिकों को गिलोय चूर्ण, वातशेलेष्मीक ज्वर हर और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बूस्टर औषधि उपलब्ध करवाई गई. साथ ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की औषधियां उपलब्ध करवाई गई. जिससे 28 हजार लोग लाभान्वित हुए। क्वारंटाइन सेंटर में गुजीवादी क्वात औषधि काफी कारगर साबित हुई. जिसके बेहतर परिणाम भी सामने आए। खासकर बुखार के मरीजों को इससे काफी राहत मिली.
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कोरोना के संकट के बीच यह लोगों के लिए खुशखबरी है कि आयुष मंत्रालय कोविड-19 के उपचार के लिए कारगर आयुर्वेद की 4 दवाईया सितंबर माह के अंत तक उपलब्ध होगी. खास बात यह है कि आयुर्वेद की दवाओं के सेवन से शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं होते हैं. इस कारण कोरोना के उपचार में आयुर्वेद दवा का उपयोग भी लोग सहर्ष स्वीकार करेंगे.