अजमेर. नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने तत्कालीन आयुक्त चिन्मयी गोपाल, आयुक्त प्रशासन अखिलेश पीपल और उपयुक्त ओमप्रकाश डिंडवाल पर अनियमितता के गंभीर आरोप लगाए हैं. मामले की जांच के लिए गहलोत ने संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. गहलोत का आरोप है कि हेरिटेज योजना से बने फूड कोर्ट के संचालन के लिए ठेकेदार को नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाने और नगर निगम को 42 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया गया है.
नगर निगम मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने प्रेसवार्ता में बताया कि हेरिटेज योजना से फूड कोर्ट का निर्माण किया गया था. फूड कोर्ट के संचालन के लिए नगर निगम की ओर से खुली बोली भी लगाई गई थी, जिसमें 38 लाख 70 हजार रुपए में बोली ठेकेदार दीपक जैन के नाम से छूटी थी. गहलोत ने बताया कि तत्कालीन नगर निगम आयुक्त चिन्मयी गोपाल, आयुक्त प्रशासन अखिलेश पीपल और उपायुक्त ओमप्रकाश डिंडवाल ने नियम विरुद्ध जाकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए उसे फूड कोर्ट के नीचे अस्थाई अतिक्रमण करने दिया.
मेयर के नाते जब उन्हें अस्थाई अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए, तो उन्होंने पालना नहीं की. इसके बाद साधारण सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद अस्थाई अतिक्रमण हटाया गया. उन्होंने बताया कि अतिकर्मियों के खिलाफ जो कार्रवाई की जाती है. वही कार्रवाई उन्हें शह देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी होने का नियम है.
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उन्होंने बताया कि अनुबंध होने से पहले ही ठेकेदार ने अधिकारियों की शह पर अस्थाई निर्माण भी करवा दिया था. उन्होंने बताया कि मिलीभगत के खेल में यह बात भी सामने आई है कि साल 2019 में अनुबंध ठेकेदार के साथ हुआ. साल 2020 में उसे कब्जा दिया गया. गहलोत ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मिलीभगत करके नगर निगम को 42 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया है.