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अजमेर : हवा में तैरता पत्थर, आस्था से बंधे लोग खींचे चले आते हैं

अजमेर में हजरत सैयद मीरा हुसैन किंगसवार साहब की दरगाह से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो हवा में तैरता है. दावा है कि मीरा हुसैन साहब ने इस पत्थर को हवा में ही रखा था.

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Published : Jun 30, 2019, 10:48 AM IST

हवा में तैरता हुआ यह नूरानी पत्थर

अजमेर. जिले में हजरत सैयद मीरा हुसैन किंगसवार साहब की दरगाह से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो हवा में तैरता है. दरगाह बाजार स्थित अढ़ाई दिन के झोपड़ें से लगभग 3 किलोमीटर की पथरीली पहाड़ी की चढ़ाई पर यह पत्थर रखा हुआ है. ईटीवी भारत की टीम इस पत्थर की तरफ बढ़ी तो जगह-जगह रास्ते में स्टॉलें खुली हुई थी और उन पर ताबीज पत्थर यानी स्टोन जैसी चीज को बेचा जा रहा था और दावा किया जा रहा था कि इन ताबीज के जरिए आप पर चमत्कार होगा और आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे, कोर्ट में मुकदमा भी जीत जाएंगे, शिक्षा में आगे बढ़ेंगे, खैर इन्हें छोड़कर हमारी टीम आगे बढ़ती रही और आखिरकार तारागढ़ से ठीक पहले नूरानी पत्थर हमें मिल ही गया.

अजमेर आस्था कहें या फिर अंधविश्वास हवा में तैरता हुआ यह नूरानी पत्थर


इस पत्थर के पास एक खादिम बैठे थे और वे लोगों को बता रहे थे कि मीरा हुसैन साहब ने अपनी दो उंगलियों से इस पत्थर को रोका था. जिससे एक जगह निशान बना है. और साथ ही बता रहे थे कि उन्होंने चाबुक रखा है और तीसरी जगह घोड़े का पांव रखा था. इनका दावा है कि इन स्थानों पर हाथ लगाने मात्र से कई बीमारियों का इलाज चुटकी में हो जाता है. जब हमने यहां के जायरिनों से बात की तो उन्होंने भी आस्था जताते हुए कहा कि हम इस पत्थर को देखने आए हैं. हालांकि, यह पत्थर फिलहाल जमीन पर टिका है. लेकिन यह पत्थर हवा में तैरता था और इस पत्थर को छूने मात्र से ही कई बीमारियों का इलाज हो जाता है.

पत्थर का इतिहास

बता दें कि हजरत मीरा सैयद हुसैन की दरगाह तारागढ़ पर बनी है. वे यहां अल्लाह की इबादत कर रहे थे, उसी वक्त एक शैतान ने यह पत्थर उन पर फेंका लेकिन मीरा साहब के चमत्कार के चलते यह पत्थर उन पर नहीं गिराऔर उनके ऊपर मंडराने लगा. मीरा हुसैन साहब ने जब अपने हाथ उठाए तो उन्हें इस पत्थर के बारे में पता चला .मीरा हुसैन साहब ने पत्थर से पूछा कि पत्थर तुझे अल्लाह ने भेजा है, या किसी शैतान ने तो पत्थर ने जवाब दिया कि शैतान ने भेजा है.

जिस पर पत्थर ने हजरत सैयद मीरा हुसैन से अरदास की उसे बक्श दे और उस पर रहम करें. साथ ही उसने कहा कि कुछ ऐसा करें कि दुनिया उसे ना भूले जिसके बाद यह पत्थर इसी तरह यहां मौजूद है. और आने वाले लोगों की आस्था इस पत्थर से जुड़ी हुई है. देश-विदेश से आने वाले जायरीन दरगाह शरीफ तारागढ़ की पैदल चढ़ाई करते हैं. बीच में इस पत्थर को देखकर जरूर रुकते हैं और यहां मन्नत के धागे बांधते हैं.

अजमेर. जिले में हजरत सैयद मीरा हुसैन किंगसवार साहब की दरगाह से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो हवा में तैरता है. दरगाह बाजार स्थित अढ़ाई दिन के झोपड़ें से लगभग 3 किलोमीटर की पथरीली पहाड़ी की चढ़ाई पर यह पत्थर रखा हुआ है. ईटीवी भारत की टीम इस पत्थर की तरफ बढ़ी तो जगह-जगह रास्ते में स्टॉलें खुली हुई थी और उन पर ताबीज पत्थर यानी स्टोन जैसी चीज को बेचा जा रहा था और दावा किया जा रहा था कि इन ताबीज के जरिए आप पर चमत्कार होगा और आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे, कोर्ट में मुकदमा भी जीत जाएंगे, शिक्षा में आगे बढ़ेंगे, खैर इन्हें छोड़कर हमारी टीम आगे बढ़ती रही और आखिरकार तारागढ़ से ठीक पहले नूरानी पत्थर हमें मिल ही गया.

अजमेर आस्था कहें या फिर अंधविश्वास हवा में तैरता हुआ यह नूरानी पत्थर


इस पत्थर के पास एक खादिम बैठे थे और वे लोगों को बता रहे थे कि मीरा हुसैन साहब ने अपनी दो उंगलियों से इस पत्थर को रोका था. जिससे एक जगह निशान बना है. और साथ ही बता रहे थे कि उन्होंने चाबुक रखा है और तीसरी जगह घोड़े का पांव रखा था. इनका दावा है कि इन स्थानों पर हाथ लगाने मात्र से कई बीमारियों का इलाज चुटकी में हो जाता है. जब हमने यहां के जायरिनों से बात की तो उन्होंने भी आस्था जताते हुए कहा कि हम इस पत्थर को देखने आए हैं. हालांकि, यह पत्थर फिलहाल जमीन पर टिका है. लेकिन यह पत्थर हवा में तैरता था और इस पत्थर को छूने मात्र से ही कई बीमारियों का इलाज हो जाता है.

पत्थर का इतिहास

बता दें कि हजरत मीरा सैयद हुसैन की दरगाह तारागढ़ पर बनी है. वे यहां अल्लाह की इबादत कर रहे थे, उसी वक्त एक शैतान ने यह पत्थर उन पर फेंका लेकिन मीरा साहब के चमत्कार के चलते यह पत्थर उन पर नहीं गिराऔर उनके ऊपर मंडराने लगा. मीरा हुसैन साहब ने जब अपने हाथ उठाए तो उन्हें इस पत्थर के बारे में पता चला .मीरा हुसैन साहब ने पत्थर से पूछा कि पत्थर तुझे अल्लाह ने भेजा है, या किसी शैतान ने तो पत्थर ने जवाब दिया कि शैतान ने भेजा है.

जिस पर पत्थर ने हजरत सैयद मीरा हुसैन से अरदास की उसे बक्श दे और उस पर रहम करें. साथ ही उसने कहा कि कुछ ऐसा करें कि दुनिया उसे ना भूले जिसके बाद यह पत्थर इसी तरह यहां मौजूद है. और आने वाले लोगों की आस्था इस पत्थर से जुड़ी हुई है. देश-विदेश से आने वाले जायरीन दरगाह शरीफ तारागढ़ की पैदल चढ़ाई करते हैं. बीच में इस पत्थर को देखकर जरूर रुकते हैं और यहां मन्नत के धागे बांधते हैं.

Intro:अजमेर में हजरत सैयद मीरा हुसैन किंगसवार साहब की दरगाह से कुछ ही दूरी पर एक ऐसा पत्थर मौजूद है जो हवा में तैरता है जी हां आपने ठीक सुना है जो हवा में तैरता है और दावा है कि मीरा हुसैन साहब ने इस पत्थर को हवा में ही रखा था चलिए आपको अजमेर लिए चलते हैं और दिखाते हैं इस पत्थर का क्या इतिहास है


Body:दरगाह बाजार स्थित अढ़ाई दिन के झोपड़े से लगभग 3 किलोमीटर की पथरीली पहाड़ी की चढ़ाई पर यह पत्थर रखा हुआ है जब हमारी ETV भारत की टीम इस पत्थर की तरफ बढ़ी तो जगह-जगह रास्ते में स्टॉले खुली हुई थी और उन पर ताबीज पत्थर यानी स्टोन जैसी चीज को बेची जा रहा था और दावा किया जा रहा था इन ताबीज के जरिए आप पर चमत्कार होगा और आप कभी बीमार नहीं पड़ेंगे ,कोर्ट में मुकदमा भी जीत जाएंगे, शिक्षा में आगे बढ़ेंगे ,खैर इन्हें छोड़कर हमारी टीम आगे बढ़ती रही और आखिरकार तारागढ़ से ठीक पहले यह पत्थर हमें मिल ही गया


इस पत्थर के पास एक खादिम बैठे थे और वे लोगों को बता रहे थे कि मीरा हुसैन साहब ने अपनी दो उंगलियों से इस पत्थर को रोका था और एक जगह निशान बना है और बता रहे थे कि उन्होंने चाबुक रखा है और तीसरी जगह घोड़े का पांव रखा था इन जनाब का दावा है कि इन स्थानों पर हाथ लगाने मात्र से कई बीमारियों का इलाज चुटकी में हो जाता है


जब हमने यहां के जायरीनो से बात की तो उन्होंने भी आस्था जताते हुए कहा कि हम इस पत्थर को देखने आए हैं हालांकि यह पत्थर फिलहाल जमीन पर टिका है लेकिन यह पत्थर हवा में तैरता था और इस पत्थर को छूने मात्र से ही कई बीमारियों का इलाज हो जाता है


Conclusion:आखिर क्या है पत्थर का इतिहास

चलिए अब हम आपको इस पत्थर के बारे में बताते हैं जो कि चमत्कारी पत्थर है हजरत मीरा सैयद हुसैन की दरगाह तारागढ़ पर बनी है और वे यहां अल्लाह की इबादत कर रहे थे उसी वक्त एक शैतान ने यह पत्थर उन पर फेंका लेकिन मीरा साहब के चमत्कार के चलते यह पत्थर उन पर गिरा नहीं और उनके ऊपर मंडराने लगा

मीरा हुसैन साहब ने जब अपने हाथ उठाए तो उन्हें इस पत्थर के बारे में पता चला मीरा हुसैन साहब ने पत्थर से पूछा कि पत्थर तुझे अल्लाह ने भेजा है या किसी शैतान ने तो पत्थर ने जवाब दिया कि शैतान ने भेजा है


जिस पर पत्थर ने हजरत सैयद मीरा हुसैन से अरदास की उसे बक्श दे और उस पर रहम करें कि दुनिया उसे ना भूले जिसके बाद यह पत्थर इसी तरह यहां मौजूद है और आने वाले लोगों की आस्था इस पत्थर से जुड़ी हुई है

देश-विदेश से आने वाले जायरीन दरगाह शरीफ तारागढ़ की पैदल चढ़ाई करते हैं तो बीच में इस पत्थर को देखकर जरूर रुकते हैं और यह मन्नत के धागे बांधते है

बाईट-सैयद वारिस अली जायरीन

बाईट-मोहम्मद तोहिक ख़ादिम
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