अजमेर. सदियों से इस देश का प्रवासी समाज जंगलों में निवास करता आया है. वह प्रकृति पूजक है और प्राचीन भारतीय संस्कृति का अटूट अंग भी, साथ ही इस राष्ट्र के लिए तन मन धन से अपने हृदय में श्रद्धा रखने वाला समाज है, लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद आज भी वहां अच्छी शैक्षणिक व्यवस्थाएं विकसित नहीं हो पाई है.
ऐसा नहीं है कि सरकारों ने प्रयत्न नहीं किये लेकिन जनजाति क्षेत्रों में सरकारी अध्यापक जाना नहीं चाहते. अपने समाज की इसी कमजोरी का लाभ उठाकर राष्ट्र विरोधी ताकतें भोले-भाले वनवासी समाज का शोषण करती है. उन्हें प्रलोभन देकर मतान्तरित करती है और अपनी संस्कृति अपने राष्ट्र के ही खिलाफ साधन के रूप में उपयोग कर पाने में सफल हो जाती हैं.
इसलिए संपूर्ण भारतीय समाज के हृदय में जंगलों में रहने वाले जनजाति समाज के प्रति अनन्य बंधुभाव और संवेदना का जागरण करना होगा. यह विचार विद्या भारती राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिव प्रसाद ने पुष्कर रोड स्थित लालगढ़िया पैलेस में गुरुवार को विद्या भारती संस्थान अजमेर की ओर से आयोजित महानगर के प्रबुद्ध जन सम्मेलन में व्यक्त किए.
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जनजाति क्षेत्र की चुनौतियों में हमारी भूमिका विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि विद्या भारती संगठन विगत 30 वर्षों से वनवासी बंधुओं के प्रति अपने दायित्व को अपने सामर्थ्य अनुसार निभाता आ रहा है. आज आवश्यकता है कि समाज का पढ़ा-लिखा प्रबुद्ध वर्ग इस दिशा में अपनी भूमिका तय करे.
इस अवसर पर विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के संगठन मंत्री गोविंद कुमार ने सम्मेलन की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत अपने चार वनवासी जिलों में 802 एकल शिक्षकीय विद्यालय, 10 पूर्ण विद्यालय, 586 सत्संग केंद्र तथा कोठारा की अपनी परियोजना के माध्यम से लगभग 800 गांव में जनजागृती तथा जनजाति शिक्षा का कार्य कर रहा है, जिसके कारण इस क्षेत्र में चल रहे राष्ट्र विरोधी षड्यंत्रों तथा कई सामाजिक कुरीतियों का सफलतापूर्वक दमन हो सका है.
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उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता प्राप्त नहीं होती है. प्रांत भर में चलने वाले विद्या भारती के विद्यालयों के आचार्य अभिभावक तथा छात्र प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन जनजाति शिक्षा के लिए जो समर्पण करते हैं उसी राशि से यह सब संभव हो पाता है.
कार्यक्रम में उपस्थित प्रबुद्ध नागरिकों ने बड़ी संख्या में इस कार्य के लिए आर्थिक सहयोग देने का संकल्प लिया. विद्या भारती संस्थान अजमेर के सचिव राजेंद्र दहिया ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि जनजाति क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा के लिए जो बंधु अपना सहयोग करना चाहते हैं वे विद्या भारती संचालित किसी भी विद्यालय के माध्यम से सहयोग कर सकते हैं. यह सहयोग आयकर की धारा 80जी के तहत कर मुक्त है.