अजमेर. देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है. इस कारण कई राज्यों में कोरोना महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन कर दिया है. जिसका सीधा असर रेल आवागमन पर भी पड़ा है. यात्री भार नहीं होने से कई ट्रेनों का संचालन स्थगित कर दिया गया है. जिन ट्रेनों का संचालन हो रहा है, उनमें यात्रियों की संख्या 20 फीसदी भी नहीं है. ऐसे में रेलवे को नुकसान झेलना पड़ रहा है. रेल यात्रियों के सामानों का भार उठाने वाले कुलियों के हाथ भी खाली हो गए हैं.
ट्रेनों का ठहराव कम होने से बढ़ी मुसीबत
पिछले लॉकडाउन के बाद अनलॉक में कुलियों के हालात कुछ संभलने लगे थे कि कोरोना की दूसरी लहर ने कुलियों से उनका रोजगार छीन लिया. धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर का रेलवे स्टेशन देश के व्यस्तम रेलवे स्टेशन में शुमार है. यहां दरगाह और पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. अजमेर रेलवे स्टेशन पर 70 ट्रेनों का प्रतिदिन ठहराव था, लेकिन आज दिनभर में 15 ट्रेनों का ही ठहराव हो रहा है. खास बात यह है कि जिन ट्रेनों का संचालन हो रहा है, उनमें भी चंद लोग ही सफर कर रहे हैं. ट्रेनों के अधिकांश डिब्बे खाली ही रहते हैं.
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खुद अपना सामान उठा रहे हैं लोग
रेल यात्रियों की कमी का असर कुलियों की जिंदगी पर भी पड़ा है. कुली मनोज बताते हैं कि ट्रेनों से जो सफर कर रहे हैं वह भी अपना सामान खुद ही उठा रहे हैं. कोरोना की वजह से लोगों की भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो वह हमको भी क्या देंगे?
कई दिनों तक बोहनी भी नहीं होती...
कुली राजू बताते हैं कि ट्रेनों का संचालन कम होने और यात्री कम आने से कई दिनों तक तो बोहनी भी नहीं होती. कभी 150 से 250 रुपये मिल जाते हैं, लेकिन ज्यादातर समय खाली ही बैठना पड़ता है. पेट भरने के लिए घर से खाना लाते हैं, लेकिन वह खाना भी मुश्किल से जुटा पाते हैं.
अजमेर रेलवे स्टेशन पर कुलियों के हाल...
अजमेर रेलवे स्टेशन पर 92 कुली हैं. कुलियों के बैठने की जगह के अलावा रेलवे की ओर से इस विकट समय में उनकी कोई आर्थिक मदद नहीं की गई. कुली बताते हैं कि 10 दिन पहले एक सामाजिक संगठन ने उन्हें कुछ रसद सामग्री दी थी, जिससे गुजारा कर रहे हैं. कुलियों ने बताया कि रेलवे के अधिकारियों ने वैक्सीनेशन के लिए बोला है कि 45 से अधिक उम्र के कुली वैक्सीन लगवाएं.
ज्यादातर कुली गांव लौट गए
कुली घनश्याम बताते हैं कि रोजगार नहीं मिलने से ज्यादातर कुली अपने गांव लौट गए हैं. ट्रेनों का संचालन और यात्री कम आने से अब 20 से 25 कुली ही रोज काम पर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि रोजगार नहीं होने की वजह से परिवार को पेट भरने के लिए कर्जा लेना पड़ा है. यही हालात रहे तो मालिक जाने क्या होगा?
कब तक लेंगे कर्ज?
कुली मोहम्मद यूनुस खान बताते हैं कि परिवार में आठ सदस्य हैं. जिनके गुजारे के लिए उन्होंने कर्ज लिया, लेकिन कर्ज भी कहां तक लें. कर्ज चुकाना भी पड़ता है. कर्ज चुकाने के लिए रोजगार नहीं है. यही हाल बने रहे तो मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
ईटीवी भारत पर झलका कुलियों का दर्द...
इन विकट हालातों में रोजगार के लिए जूझ रहे कुलियों ने अपने स्वाभिमान को जिंदा रखा हुआ है. खुद कर्ज और परिवार की जिम्मेदारी के बोझ तले दबे हैं, लेकिन किसी के सामने इन मेहनतकश कुलियों ने हाथ नहीं फैलाए. इन विषम परिस्थितियों में भी कुली मालिक के भरोसे रेलवे स्टेशन आते हैं और ट्रेन आने का इंतजार करते हैं. शायद आज बोहनी हो जाए, लेकिन कोरोना काल में उनके सामने बहुत बड़ी समस्या आन पड़ी है.