अजमेर. देश में कोरोना संक्रमण के चलते कई व्यापार आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. पिछले 3 महीने से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है. ऐसे में सवारी के इंतजार में बैठे टेंपो चालकों के पहिए भी थम गए हैं. कोरोना काल में इन चालकों को सवारी मिलना मुश्किल हो गई है. जिसकी वजह से सभी हाथ पर हाथ धरकर बैठने को मजबूर हैं.
चालकों का कहना है unlock में राहत दे दी गई है, लेकिन लोगों की आवाजाही नहीं होने के कारण उनकी रोजी-रोटी पर अब भी संकट बना हुआ है. राजस्थान सरकार की गाइडलाइन के बाद टेंपो चालकों को किसी प्रकार की कोई भी राहत नहीं दी गई है.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पिछले तीन महीनों से वह घर पर ही बैठे हैं. लेकिन अब घर पर रहना मुश्किल सा हो गया है. वहीं अजमेर के सभी पर्यटन स्थल बंद है. जिसके कारण भी रोजगार के पहिए रुक गए हैं.
यह भी पढ़ें : बादलों की ओट से घिरा हिल स्टेशन, सुहावना हुआ माउंट आबू का मौसम
राजस्थान सरकार द्वारा अभी तक धार्मिक स्थलों को खोलने की छूट नहीं दी गई है. इस वजह से सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह वह पुष्कर ब्रह्मा मंदिर भी बंद है. इस कारण कोई भी पर्यटक बाहर से अजमेर नहीं आ रहा है. जिसके कारण टेंपो चालकों की जिंदगी थम गई है.
चालकों ने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग अजमेर के 7 से 8 हजार लोग इस व्यापार से जुड़े हुए हैं. लेकिन अब टेंपो चालक 100 रुपय भी नहीं कमा पा रहे हैं. पहले से ही डीजल महंगा हो चुका है. घर पालना और टेंपो चलाना उनके लिए मुसीबत बन चुका है.
कई टेंपो चालक तो ऐसे हैं. जिन्होंने कोरोना काल से पहले नए टेंपो खरीदे गए थे. उनकी किस्तें भी पूरी नहीं हो पाई. फिर कोरोना के चलते उनके सिर पर परेशानियों का पहाड़ गिर गया है.
यह भी पढ़ें : बूंदी: मिनी ट्रक ने बाइक को मारी टक्कर, एक की मौत, 1 गंभीर घायल
सवारी का इंतजार कर रहे टेंपो चालक
केंद्रीय बस स्टैंड के बाहर खड़े टेंपो चालकों ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनभर सवारी का इंताजर करते हैं और थककर फिर घर लौट जाते हैं. काफी कम यात्री रोडवेज में यात्रा कर रहे हैं. इस कारण टेंपो चालकों की बोनी तक नहीं हो पा रही है